टाइम ट्रेवल

0
380

Chapter – 3

1913,बम्बई (एक अनजानी जगह)

एक लड़का एक काली कम्बल ओढ़ कर आधी रात में दबे पाँव वो काफी पतली गलियों से होते हुए एक घर का दरवाजा एक खास तरीके से खटखटाता है।
पहले 3 बार फिर 2 बार फिर 1 बार फिर 2 बार, और तुरंत दरवाजा खुल जाता है ।
दरवाजा एक किशोर युवक खोलता है, फिर वो उसे अंदर बुलाता है। अंदर चार लोग बैठे हुए थे।
वो बाहर से आया हुआ लड़का कहता है,”प्रणाम चन्दन भईया, अब्दुल भईया, मदन भईया, अभय भईया”!
‘चन्दन’ एक लम्बा, चौडा और गठीले शरीर वाला था।
‘अब्दुल’ जो थोड़ा सावला रंग लिए और मध्यम लम्बा था।
‘मदन’ जो पतला और लम्बा था।
‘अभय’ गेहूंआ रंग और रौबदार मूंछ लिए हुए और अच्छी लम्बाई, मजबुत शरीर के साथ थी।
चन्दन कहता है,”अरे किशन भईया बैठै बैठे!” किशन बैठता है और उस किशोर युवक से कहता है,”महेश ज़रा पानी पीला दो” और फिर कहता है खबर पक्की है।
सोमवार को ही दिल्ली से बम्बई गोरे नए हथियार मंगा रहे है”।
चन्दन कहता है, “अभय भैया हमारे लड़कों को भी कुछ नए हथियार चाहिए होंगे”।
अभय सोचते हुए, “हम्म इन गोरों से हमें वो हथियार लेने होंगे”! फिर वो सभी आपस में सब बातें तय करते है। कुछ देर बाद मदन कहता है, “अच्छा अभय भैया वो आपने स्त्रियों को दल में शामिल करने के बारे में क्या सोचा है?”
अभय-“नही मदन दल के नियम वहीं पुराने ही है, कोई स्त्री इसमें नहीं शामिल होगी”।
अभय बम्बई में चल रही क्रांतिकारी गति-विधियों का कर्ता में से एक है जो अपना सारा जीवन भारत माता की सेवा में लगाना चाहता है।

सोमवार (रात का समय)
चार लोग काले कुर्ते और काली धोती पहने हुए थे, उन्होंने अपने चेहरे ढक रखे थे और सर पर पगड़ी बाँध रखी थी। उन सभी की सिर्फ आँखे दिख रही थी, वो लोग अपने घोड़े पर बैठकर एक दिशा में बढ़ जाते है। कुछ देर बाद वो सभी एक जंगली इलाके में थे। वो सभी अभय और उसके साथी थे, जो आज आने वाली रेल को लूटने वाले थे।
सभी अभय के इशारा करते ही अपने घोड़े से उतर कर अलग-अलग पेड़ पर चढ़ जाते है।
कुछ देर बाद रेल की आवाज आती है सभी एक दम सतर्क हो जाते है।
जैसे ही रेल पास आती है, सभी एकसाथ उसकी छत पर कूद जाते है। रेल अपनी रफ्तार से चल रही थी, वो लोग काफी सावधानी से नीचे रेल के अंदर जाते हैं।
और हवा में बन्दुक चलाने लग जाते है।
चन्दन चालक को बेहोश कर देता है और अब रेल उनके हवाले होती है।
वो लोग बन्दुक की नोक पर सारे हथियार अपने कब्ज़े में कर लेते है। तभी उन्हें दूर से गोरी सेना आते हुए दिखती है।
सभी हथियार लूट चुके होते है और अब गोरी सेना उनके पीछे है।
वो लोग बिखर जाते है। अभय अपने घोड़े पर सवार हो कर जंगली इलाके में काफी तेज़ी से चला जाता है और अपने पिछे आ रहे गोरों के छक्के छुड़ाने लगता है।
किंतु तभी उसका घोड़ा एक बेल में उलझ जाता है और अभय अपने घोड़े पर से गिर जाता है। वह खुद को संभाल नहीं पाता और वो भी उसी खाई में गिर जाता है, जहाँ भविष्य में सनिम और क्रिया गिरे है।

2083, मुम्बई
एक अँधेरा कमरा जहाँ एक 17 साल का लड़का लगातार किताबों को घूर रहा है।
तभी उसकी घड़ी में से आवाज़ आती है और अपने आप एक रोबो लड़की कहती है,”इट्स योर क्लास टाइम”।
वो लड़का चुपचाप अपना मिनी फोन ऑन कर देता है और अपनी क्लास लेने लगता है।
क्लास में एक प्रोग्राम के साथ एक रोबो पढ़ा रहा था ।
वो लड़का कुछ देर बाद अपने मिनी फोन से कहता है,”मम्मी को फोन लगाओ”।

फोन मम्मी को लग जाता है पर मम्मी की सहयोगी रोबो फोन उठाती है और वो कहती है,”आरुश मैम अभी बिजी हैं तुम अभी अपनी क्लास लो और मैम को अपनी आज के क्लास के अपने स्कोर भेजो।
आरुश फोन काट देता है। फिर वो अपने मैसेज को देखता है। जिसमें किसी टीना नाम की लड़की ने लिखा होता है,”इट्स ओवर आरुश”।
आरुश फिर कुछ देर बाद नहाने के लिए चला जाता है।
थोड़ी देर बाद जब वो वापस आता है तो उसे स्कूल की तरफ से उसकी रिजल्ट लिंक आई होती है।
आरुश उसे खोलता है और देखता है कि वो फेल हो गया है।
आरुश अपना सर पकड़ के बैठ जाता है और कुछ देर बाद वो उठाकर कही चला जाता है।
आरुश कुछ दिनों से काफी परेशान था उसकी पार्ट टाइम जॉब भी चली गई थी और उसका ब्रेक अप भी हो गया है। उसका कोई दोस्त भी नही है। वैसे तो उसे पैसों की कोई कमी नही है मगर उसके खर्चे वो बाकी बच्चों की तरह खुद उठाता है।
अभी वो काफी अकेला है। उसके पास रोबो प्रोग्राम के आलावा बात करने को कोई नहीं है।

आज आरुश बहुत परेशान था और वॉक करते करते खुद से बातें करते करते जंगल में चला गया और उसे एहसास ही नही की वो घर से बहुत दूर आ गया था …।
उसकी मम्मी इतनी bussy होती थी की उनके पास टाइम ही नही होता था महीनों गुज़र जाते थे मां से मिले हुए उनके हाथ का खाना खाए हुए….। कुछ देर बाद आरुश चलते जंगली इलाके में काफी अंदर आ जाता है।
वो यहाँ अकसर अकेले आके बैठ जाया करता है क्यूँकि यह शांत जगह होती है।
आज आरुश कुछ अलग ही मूड में था कुछ देर तक वो वही खाई को घूरता रहा और फिर आँखे बंद करके उसमें कूद जाता है।
वो परेशान हो गया था अपनी इस बोरिंग लाइफ से…। प्रोग्राम किए रॉबर्ट के प्रोग्रामिंग वाले खाने से प्रोग्रामिंग वाले लाइफ से और उसे नही लगता था की उसके लाइफ में कुछ चेंज होने वाला है…।
शायद उसकी मम्मी को उसके जाने के बाद याद आए की उनका एक बेटा भी है…। शायद मरने के बाद ही वो अपने bussy शेड्यूल से टाइम निकाल ले …। शायद मेरे रूह को सुकून मिल जाए…।
और वो खाई में छलांग लगा देता है।
तो इस तरह अलग-अलग समय के लोग एक ही खाई में सयोंग वश गिर जाते या कूद जाते है ..या फेक दिए जाते हैं…।