chapter 13: जादुई एहसास

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( मृत्यु )

विकास ने कहा, “कितना अच्छा होता ना श्रेया, अगर तुम कुछ दिन और यहां रुकती हमारे साथ”। तब श्रेया ने कहा, “मेरा भी बहुत मन है तुम सब लोगों के साथ रहने का, लेकिन क्या करूं विकास? काम भी तो जरूरी है ना”। तब माजी बोलती हैं, “बेटा तुम्हारी बहुत कमी महसूस होगी। बहुत याद आएगी तुम्हारी। जब भी तुम्हें वक्त मिले तुम यहां आ जाया करना”। तब श्रेया ने हंसते हुए सुमन की तरफ देख कर कहा, “अब तो यहां सुमन के बेबी से ही मिलने आऊंगी सीधे”। यह सुनकर सब लोग हंस दिए और विकास ने भी कहा, “हां श्रेया जरूर आना”।

इसके बाद श्रेया ने कहा, “विकास यही कुछ ही दूर पर मेरे मौसा मौसी भी रहते हैं। मैं सोच रही हूं कि जाने से पहले एक बार उनसे मिल आऊ। तुम एक काम करोगे, क्या तुम प्लीज मेरी फ्लाइट की बुकिंग करा दोगे”? विकास ने कहा, “हाँ जरूर श्रेया, तुम बिलकुल फिकर फ़िक्र मत करो। में तुम्हारे जाने के सारे अरेंजमेंट्स करा दूंगा। और हां तुम तैयार हो जाना मैं शाम को ऑफिस से आकर तुम्हे तुम्हारे मौसी जी के घर छोड़ आऊंगा”। श्रेया और विकास बात कर ही रहे थे कि तभी सुमन को अचानक चक्कर आ गए और वो बेहोश होकर गिर गई। ये देखकर विकास बहुत घबरा गया और सुमन को उठाकर अपने कमरे में ले गया।

इसके बाद उसने फोन करके डॉक्टर को घर बुला लिया। डॉक्टर ने आकर कहा कि, “इन्हे कमजोरी की वजह से चक्कर आ गए है और इन्हें बहुत आराम करने की जरूरत है। नही तो इनका गर्भपात भी हो सकता है”। ये सुनकर विकास एकदम से घबरा गया और कहने लगा कि, “डॉक्टर साहब आप ऐसी बात क्यों बोल रहे हो। मेरी बीवी और बच्चा ठीक तो है ना”। तब डॉक्टर ने कहा, “नहीं विकास तुम्हारे बच्चे का अच्छे से विकास नहीं हो पा रहा है क्योंकि तुम्हारी बीवी बहुत ज्यादा कमजोरी है। और वह पूरा पोषण नहीं ले रही है। अगर तुम चाहते हो कि तुम्हारी बीवी और बच्चे ठीक रहे तो तुम्हें अपनी बीवी को पूरी तरीके से बेड रेस्ट कराना होगा। उसका बहुत अच्छे से ध्यान रखना होगा। यह बात तो मैंने तुमसे पहले भी कही थी कि इनमें कमजोरी है और ज्यादा देखभाल की जरूरत है। लेकिन मुझे एक बात नहीं समझ आ रही कि जब पहले इनके चेकअप किए थे तो यह इतनी कमजोर नहीं थी। अब ज्यादा कमजोर हो गई हैं। क्या यह कुछ ज्यादा काम कर रही हैं”?

तभी विकास ने कहा, “डॉक्टर साहब वैसे तो यह घर का सारा काम करती ही है लेकिन अभी हम लोग दो-तीन दिन पहले ही ऋषिकेश घूम कर आए हैं। हो सकता है यात्रा की थकान की वजह से और ज्यादा कमजोरी आ गई हो”।तब डॉक्टर ने कहा, “हाँ इसी वजह से ऐसा हुआ होगा। दरअसल इनमें विटामिंस की कमी आ गई है। मैं यह कुछ दवाइयाँ लिख रहा हूँ। इन्हें समय समय पर देते रहना और इनका ज्यादा से ज्यादा बेड रेस्ट करवाना। बाकी घबराने की कोई बात नहीं है। जल्दी ही यह और बच्चा दोनों रिकवर कर जाएंगे”।

इसके बाद विकास डॉक्टर को विदा करता है और आकर थोड़ी देर सुमन के पास बैठता है और उससे बातें करने लगता है, “सुमन, आज से तुम्हें घर पर कोई भी काम करने की जरूरत नहीं है। घर में बाकी लोग हैं घर संभालने के लिए। तुम अब पूरी तरीके से आराम करोगी”। इसके बाद सुमन मुस्कुराते हुए बोलती है, “आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। डॉक्टर ने दवाइयां दे दी हैं। मैं ठीक हो जाऊंगी और हमारे बच्चे को भी कुछ नहीं होगा”। इसके बाद विकास सुमन को थोड़ा डांटते हुए कहता है कि, “मैं अब तुम्हारी एक भी नहीं सुनने वाला। तुम्हें अब पूरी तरीके से आराम करना होगा। अब मैं तुम्हारी सेहत के बारे में कोई भी लापरवाही बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करूंगा”। इसके बाद विकास अपनी बड़ी भाभी मधु की तरफ मुड़ा और बोला, “भाभी अभी मुझे ऑफिस जाना है। एक बहुत जरूरी मीटिंग है। आप सुमन का अच्छे से ध्यान रखिएगा”। यह कहकर विकास ऑफिस चला जाता है।

शाम को जब विकास घर वापस आया तो उसने श्रेया से कहा, “श्रेया क्या तुम तैयार हो? चलो तुम्हें तुम्हारी मौसी के यहाँ छोड़ आऊ “। तब श्रेया ने कहा, “हाँ विकास मैं बिल्कुल तैयार हूं। चलो हम चलते हैं। मैं अपना सामान लेकर आती हूँ। तुम बस 2 मिनट रुको”। विकास कहता है, “ठीक है, तब तक में भी सुमन से मिलकर आता हूँ”। इतना बोलकर विकास सुमन के पास जाता है और उससे उसका हाल चाल पूछता है। इसके बाद विकास सुमन को बताता है कि वो श्रेया को छोड़ने जा रहा है।

थोड़ी ही देर में विकास और श्रेया मौसी के घर जाने के लिए निकल जाते है। वहा जाकर श्रेया को पता चला कि आज के दिन ही उसके मौसा जी की मृत्यु हो गई है। यह जानकर उसे बहुत दुख हुआ। तभी थोड़ी देर बाद उसके मां पिताजी का भी फोन आया और उन्होंने कहा कि, “श्रेया बेटा तुम अपनी कंपनी में बात करके कुछ दिनों की छुट्टी और बढ़वा लो। क्योंकि हम भी आज फ्लाइट पकड़कर इंडिया आ रहे हैं। हम लोगों की फ्लाइट आज रात तक पहुंच जाएगी”।

उसके बाद श्रेया की मां ने कहा कि, “बेटा अब तुम कुछ दिनों के लिए अपनी मौसी के ही पास रुक जाना। वह बेचारी एकदम अकेली हो गई है और उन्हें संभालना”। श्रेया ने कहा, “हाँ मां आप बिल्कुल भी चिंता मत करो। आप और पिताजी आराम से आइएगा। यहाँ में मौसी का पूरा ध्यान रखूंगी”। यह कहकर श्रेया ने फोन रख दिया।

और इसके बाद वह अपनी मौसी के पास चली गई और उन्हें दिलासा देने लगी। मौसी का रो रो कर बुरा हाल था वह कह रही थी कि, “मेरा एक ही तो सहारा था। वह भी अब मुझे इस दुनिया में अकेला छोड़ कर चले गए। अब में किसके सहारे से जिऊंगी”। श्रेया उन्हें दिलासा दिला रही थी और उन्हें चुप कराने की कोशिश कर रही थी। थोड़ी देर बाद तक उनके सब रिश्तेदार भी जमा हो गए और उनके क्रियाकर्म की तैयारियां करने लगे। उनके सभी पड़ोसियों, रिश्तेदारों ने मिलकर श्रेया के मौसा जी का अंतिम संस्कार किया और उसके बाद सब लोग घर में शोक सभा में बैठ गए।

To be continued….

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