टाइम ट्रेवल

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Chapter – 1

(एक भीड़ वाला इलाका, निरुपा बिल्डिंग)

निरुपा बिल्डिंग की सुबह हमेशा की तरह हुई।
इस बिल्डिंग का नाम निरुपा क्यों है? पता नही!
पर हमारी कहानी शुरू होती है, (फ्लोर नम्बर 3, कमरा नम्बर 74) से, यहाँ दो लड़कियां रहती है।
रिया और सनिम, रिया एक स्कूल में टीचर है और सनिम एक मिडिया पर्सन है।

(सुबह,7:30)

रिया जल्दि से तैयार होती है, फिर वो सनिम के पास जा कर कहती है, “अरे उठो महारानी 7:30 बज रहे है”
इस पर सनिम जल्दी से उठ जाती है और घड़ी देखकर कहती है, “क्या 7:30 बज गये”
ये चार बजे अलार्म बजा क्यों नहीं?” फिर रिया कहती है, “वो बजा था आप सो गई थी उसे बंद करके”।
सनिम कहती है, “यार मै फिर लेट हो गई, मुझे आज ‘विराज’ के साथ 4:30 बजे मॉर्निंग वॉक पर जाना था, अब वो गुस्सा करेगा।”

फिर वो अपना फोन उठाती है और एक नम्बर पर कॉल करती है ।

“सनिम” जो दिखने में औसत लड़की थी। हल्का सा गोरा रंग और लंबी आँखे और मध्यम लम्बाई।
उसने ऊंगली में एक महंगी अँगूठी पहनी थी।

सनिम कॉल करती है, दुसरी तरफ से कोई कॉल उठाता है।
फिर सनिम कहती है,”गुड मॉर्निंग विराज”
दुसरी तरफ से आवाज आती है,”गुड मॉर्निंग, राजकुमारी जी उठ गयी”।
सनिम कहती है,”आई एम सॉरी विराज वो मै कल देर से सोयी थी इसलिए….”
उसकी बात पूरी सुने बिना ही विराज कहता है,”इनफ सनिम तुम्हें समय कि कोई परवाह नहीं है, तो ये मतलब नहीं किसी को नहीं है, मै अभी बिजी हूँ” फिर वो फोन काट देता है।

रिया उससे कहती है, “तु क्यों है इस अजीब से रिश्ते में, न वो तुझे पसंद करता है, न तू उसे।
तुम दोनों ही अलग हो, फिर क्यों कर रहे हो ये शादी”?
सनिम कहती है, “ऐसा नहीं है, हम दोनों एक दुसरे से बहुत प्यार करते है, अब तू सुबह-सुबह ज्ञान मत दे”।
फिर वो नहाने चली जाती है, पर बाथरूम में जाते ही वो अपने ख्यालो में खो जाती है।

सनिम मेरठ से थी, वो एक ब्राह्मण वंश से थी।
उसके पापा मेरठ के एक प्रसिद्ध पंडित है जो सिर्फ मेरठ में ही नहीं लगभग पुरे हिन्दुस्तान में प्रसिद्ध है।
“पूज्य श्री गोपीनन्द महाराज जी ” उनके नाम से मठ है और उनके भक्त उच्चे घराने के लोग है, जिनमें बड़े व्यापारीयों से लेकर बड़े नेता भी है। सनिम हमेशा से ही एक आदर्श परिवार की एक राजकुमारी जैसे पली बढ़ी।
उसके पिता चाहते थे कि सनिम उनके दिखाये कदमो पर ही चले, पर सनिम अलग थी, उसे हमेशा से ही एक जर्नलिस्ट बनना था।
काफी मनाने और समझाने पर उसके पापा इस बात के लिए माने और उसे मुम्बई भेजने को भी मान गए और उसके बात मानने के एवज में उन्होंने एक शर्त रखी और सनिम की मंगनी अपने एक अमीर व्यवसायी भक्त के बेटे विराज से करा दी।

‘विराज’ जोकि एक मजबुत शरीर का मालिक है, कोई देख कर ही बता सकता है कि वो जिम में कितनी मेहनत करता होगा।
गोरा रंग और एक अच्छे नयन नक्श का मालिक है विराज। काफी हैंडसम और साथ ही वो काफी समझदार भी है।
कहना गलत नहीं होगा कि उसी की मेहनत और समझदारी से आज उनका व्यापार इतना ऊँचाई पर है।
वो हर बात में पर्फेक्ट है और उसे पत्नी भी ऐसी ही चाहिए थी पर्फेक्ट। विराज पर ना जाने कितनी ही लड़कीया क्रश रखती है और जो नहीं भी रखती अगर उनके लिए भी इतना अच्छा रिश्ता आए तो वो भी मना नहीं कर पाएंगी कुल मिला कर कोई विराज को मना भी नही कर पायेगा…।
कुछ ऐसा ही सनिम के साथ हुआ, वो विराज को बचपन से जानती थी और जब विराज का रिश्ता उसके लिये आया तो वो मना नहीं कर पायी।
पहले विराज उससे काफी अच्छे से पेश आता था, पर जब से उनका रिश्ता तय हुआ है वो सोचता है सनिम बेवजह उसपर थोपी गई है।
हालांकि इस रिश्ते पर उसने भी अपने पिता की बात नहीं काटी पर वो सनिम से उखड़ा सा रहता है।
यही सब सोचते हुए सनिम नहाकर वापस आती है।

उसने एक सफेद रंग की ढ़ीली टी-शर्ट पहनी थी और क्रीम रंग की खुली पैंट उस पर उसने एक हल्के रंग की पतली सी जर्क पहनी होती है।
रिया चली गई होती है, तो वो भी अपना नाश्ता कर के और तैयार हो कर चली जाती है।
सनिम अपने ऑफिस में काम कर रही होती है, तभी उसे विराज का मेसेज आता है,”आज रात की पार्टी में समय पर आ जाना”!
सनिम जवाब में लिख देती है कि उसे याद है।
पर तभी उसे पता चलता है कि आज ही उसे एक आर्टिकल पूरा करना है। शाम को देर से कम खत्म होता है और अब सनिम को पार्टी मे जाना होता है। उसे रास्ता मालुम है तो वो ऑफिस से सीधा पार्टी में चली जाती है।
पार्टी बिलकुल शांत सी थी, लोग हाथ में जुस या वाइन लिए आपस में बात कर थे।
ज्यादातर लड़के थ्री पिस सूट में थे और लड़कीया या तो गाऊन या बढ़िया ड्रेस में थी।
वहाँ सिर्फ सनिम ही सबसे अलग लग रही थी।
फिर वो एक तरफ विराज को देखकर उसके पास जा कर उसे हाय कहती है। विराज भी एक महंगें से सूट में काफ़ी जच रहा था वो ऊपर से नीचे तक सनिम को एक सिरे से देखता है।
फिर ना चाहते हुए भी उसे सबसे मिलवाता है।
थोड़ी देर बाद वो सनिम को अकेले में ले जाकर कहता है।
विराज-“सनिम क्यों कर रही हो तुम ऐसा मेरे साथ”?
सनिम-“अब मैने क्या किया”?
विराज- “क्या किया? एक तो तुम आधा घंटा लेट हो ऊपर से ये कैसे कैजुवल कपड़े में आ गई तुम और ये स्निकर्स…!
सनिम- “देखो विराज आज काफी काम था, तो इसलिए मै लेट हो गई और जल्दी में तैयार भी नहीं हो पायी।
विराज- “ऐसा भी क्या काम था तुम्हें? तुम्हें आसानी से चीज़ मिल जाती है तो इसका मतलब ये नही कि दूसरों के साथ भी यही हो।
यहाँ मेरी काफी इज़्ज़त है तो थोड़ा ढंग के कपड़े पहन के आती यहाँ।
न जाने लोग मेरे बारे में क्या बातें बना रहे होंगे..।
सनिम- “तुम कहना क्या चाहते हो? क्या मिला मुझे आसानी से”?
विराज- “मै, जो तुम्हें हमेशा से चाहिए था”!
सनिम- “इनफ विराज तुम सगाई के लिए मना कर सकते थे, मैंने तुम पर चाकू की नोक पर नहीं करवाया कुछ।
विराज – “नहीं कर सकता था मै मना, पर तुमने सब कुछ जान कर किया है और अब खुद को इस फालतु नौकरी के लिए बिजी दिखाना छोड़ो और मेरे लायक बनो।
सनिम- “इट्स टू मच, मै तुम्हें न पसंद करती थी और ना पसंद करती हूँ और तुम्हारी इस घटिया सोच की वजह से मै तुम्हें छोड़ती हूँ।”
फिर सनिम अपनी अंगूठी निकालकर विराज के हाथ में रखकर वहाँ से चली जाती है।
विराज ठगा सा देखता रह जाता है। उसे ये उमीद नहीं थी।
अब उसे लग रहा था कि शायद उसने ज्यादा ही बोल दिया।
सनिम आँखों में आंसु लेकर पार्टी के पिछले वाले हिस्से में आ गयी।
वो वहाँ अपने आप में गुम होती है कि तभी उसे वहाँ से कुछ आवाजें आती है। तो वो उस आवाज के पीछे जाती है
उसे कुछ दिखाई नहीं देता …।
वो आवाज का फिर से पीछा करती है, तो उसे तीन लड़के दिखायी देते है।
वो हुलिये से छोटे-मोटे चोर लग रहे थे।
सनिम एक जगह छुप कर उनकी बात सुनने की कोशिश करती है। उनमें से दो लड़के तो पच्चीस-छब्बिस के लग थे और तिसरा थोड़ा सा छोटा, अठारह का होगा …।
एक लड़का छोटे वाले से बोलता है-“तेरे को समझ नही आता क्या बे, बोला न तेरे को आज बगल वाले माले में पार्टी है, नही आने का आज, फिर काहे को टपका रे तु”? छोटा वाला बोलता है-“अरे भाई माफ़ करना, आज पैसे नहीं थे तो इसलिए…” तिसरा वाला बोल-“साला तेरा रोज का यही नाटक है, चल अभी माल दे”।
फिर वो छोटा वाला लड़का कुछ सफ़ेद सा एक पैकेट में कुछ देता है।
वो दोनों उसे सूंघ कर देखते है, फिर उस छोटे वाले लड़के को पैसे देते है। ये सब कुछ देखकर सनिम की आँखें बड़ी हो जाती है।
उसे वहाँ से कुछ बड़ी खबर की महक आने लगती है।
उसके अंदर का जर्नलिस्ट जाग जाता है वो एक पल को भूल जाती है की इसके साथ क्या हुआ…। फिर वो देखती है कि वो छोटा लड़का चला गया है और वो दोनों भी जाने के लिए मुड़ते है।
सनिम उन दोनों का पिछा करती है, वो दोनों एक फार्म हॉउस में चलें जाते है। सनिम थोड़ी देर वहाँ खड़े होकर कुछ सोचती है, फिर वो फार्म हाउस के जंगल वाले हिस्से में जाती है।
वो अपने मन में ही सोचती है,”अब मालुम चलेगा मेरे स्निकर्स का कमाल”! उसे अपने घर की ऊँची दिवार कूदने का अच्छा तजुरबा है तो वो एक पेड़ पर चढ़ कर आसानी से अंदर की तरफ कूद जाती है। उसे फिर वहीं दोनों लड़के दिखते है, वो उनका पिछा करते हुए बेस्मेट में चली जाती है। वहाँ पर ऐसे काफी पैकेट होते है। उन्हें खोलकर कुछ सामान में वो लोग भर रहे होते है।
सनिम अब विडीओ बनाने लग जाती है। उसने इससे पहले भी स्टिंग ऑपरेशन किया था (किसी की वीडियो बिना बताए बनाना लेकिन उससे सबका भला हो)
तभी उसे पीछे से आवाज आती है,”ये लड़की क्या कर रही है यहाँ”?
सनिम आँखे बंद करके मन में कहती है,”धत्त तेरी की”!
सनिम पीछे मुड़ जाती है, वो आदमी कहता है,”तो तू विडीयो बना रही थी, तेरी तो….” वो आदमी उसके पास जाता है, पर तभी सनिम वहाँ रखी ड्रग्स उसके आँखों में मार देती है और उसके घुटनों में लात मार के भाग जाती है । पर तब तक वहाँ और लोग आ जाते है। करीब 5-6 लोग अब उसके सामने खड़े थे .।
सनिम अपने फोन को अपने जेब में रखती है और एक पोजिशन में खड़ी हो जाती है। दरअसल वो एक अच्छी मर्सिअल आर्टिस्ट है।
वो बड़ी ही फुर्ती से सभी को मारने लगती है। तभी एक आदमी उसके पीछे बन्दुक तान कर खड़ा हो जाता है। वो उनका मुखिया होता है।
वो कहता है,”बस लड़की बहुत उछल् कुद कर ली, अब वो विडियो दे”! सनिम अपने हाथ ऊपर कर लेती है। अचानक वो एक टीन का डब्बा पैरों से उछालती है और घुम कर एक किक मारती है। वो डब्बा उस गन वाले के सर पर लगता है। तभी सनिम काफी तेज भाग जाती है …।
पीछे से एक आवाज आती है,”पकड़ो साली को…आज उसे जिंदा नही छोड़ना”।
अब सनिम भागी जा रही है… उसे नहीं मालुम कि वो कहाँ जा रही है, भागते-भागते वो एक जंगल वाले रास्ते पर पहुँच जाती है, वो गुंडे अभी भी उसके पीछे होते है। अचानक सनिम का पैर फिसल जाता है और सनिम एक खाई में गिर जाती है।