chapter 14: जादुई एहसास

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( जंगल में भूत )

उसी दिन रात तक श्रेया के मां-बाप भी आ चुके थे। घर में बहुत ही दुख भरा माहौल था विकास ने श्रेया से कहा, “श्रेया तुम्हारे मां बाबूजी को मैं ले आता हूं। उनकी फ्लाइट लैंड कर गई होगी। तुम यहाँ रहकर सबका ध्यान रखना”। यह कहकर विकास वहा से एयरपोर्ट की तरफ श्रेया के मां बाबूजी को लेने चला जाता है। विकास सोचता है कि मेन हाईवे पर से जाने में काफी वक्त लग जाएगा और वहाँ ट्रैफिक भी मिल सकता है तो वह शॉर्टकट लेने की सोचता है और जंगल की तरफ से जाने वाले रास्ते से जाने लगता है।

जैसे विकास थोड़ी दूर गया उसकी गाड़ी के आगे एक परछाई सी आ गई। उस परछाई को देखकर विकास डर गया। उसने जैसे ही वहाँ से वापस जाने की कोशिश की तो वह देखता है कि उसकी गाड़ी स्टार्ट नहीं हो रही थी और एकदम से बंद पड़ गई थी। यह देखकर तो विकास और भी ज्यादा डर गया और बुरी तरह से घबराकर अपनी गाड़ी स्टार्ट करने की कोशिश करने लगा। थोड़ी सी देर में उसकी गाड़ी स्टार्ट हो गई, पर वह अपनी गाड़ी को जैसे ही पीछे ले जाने की कोशिश करता है तुरंत उसकी गाड़ी का आगे का शीशा टूट जाता है। गाड़ी फिर से बंद पड़ जाती है।

यह देखकर तो वो फिर और ज्यादा बुरी तरीके से डर गया। विकास को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ये सब उसके साथ क्या हो रहा था। वो इतनी बुरी तरह घबराया हुआ था कि उसे कुछ सूझ भी नहीं रहा था कि वह क्या करें? वह बस लगातार अपनी गाड़ी को चालू करने की कोशिश कर रहा था और बार-बार उसकी नजर सामने की तरफ पड़ रही थी। तभी उसने देखा की कोई इंसान सफेद कपड़े पहने हुए उसकी तरफ बढ़ा चला आ रहा है। तभी उसने वहां से अपनी नजर घुमा ली और कुछ भी करके गाड़ी स्टार्ट करने की कोशिश करने लगा।

उसने जैसे ही फिर से सामने देखा तो देखता है कि वह सफेद कपड़ो वाली परछाई जैसे मानो खून की बारिश में भीग गई हो। उसके कपड़ों में से बहुत सारा खून बह रहा था और उसके हाथों में भी खून लगा हुआ था। विकास बहुत बुरी तरह घबराया हुआ था। वह लगभग अपनी सारी सुधबुध खोए जा रहा था। लेकिन उसने जैसे तैसे करके खुद को संभाला और हनुमान चालीसा का जाप करने लगा। उसकी आवाज बहुत ही टूटी फूटी निकल रही थी। लेकिन उसने अपनी हिम्मत समेटी और लगातार हनुमान चालीसा का जाप करता रहा।

कुछ ही पलों में उसकी गाड़ी शुरू हो गई और उसने बेहताश होकर गाड़ी को पीछे की तरफ ले लिया और वहाँ से गाड़ी मोड़कर बड़ी ही स्पीड से भागने लगा। भागते भागते वो मेन रोड की तरफ आ गया था और अब उसमें थोड़ी हिम्मत भी आ गई थी। अब उसके आसपास बहुत सी गाड़ियां और लोग चल रहे थे। तब उसने अपनी गाड़ी मेन रास्ते पर ली और सोचने लगा कि यहाँ पर काफी सारे लोग हैं। बहुत सारी भीड़ है, तो अब उसे कोई खतरा नहीं है।

चूंकि वह बहुत घबराया हुआ था तो उसने सोचा कि कुछ वक्त के लिए गाड़ी यहीं पर साइड में रोक कर थोड़ा सांस ले ले। तो उसने अपनी गाड़ी को फुटपाथ के पास में थोड़ी देर के लिए रोका। तभी उसे वहां फुटपाथ पर उसका एक दोस्त मिल गया जिसका नाम सुमित था। दोनों में बातें होने लगी। सुमित ने विकास से गले मिलते हुए कहा, “क्या बात है भाई, कहाँ रहता है आजकल दिखाई ही नहीं देता? और इस वक्त तू यहाँ क्या कर रहा है”? सुमित को देखकर विकास में और ज्यादा हिम्मत आ गई और अब उसका मन पहले से काफी ज्यादा स्थिर भी हो चुका था।

तब उसने सुमित को बताया कि वह अपनी एक एक पुरानी कॉलेज की दोस्त के माता-पिता को लेने के लिए एयरपोर्ट जा रहा था। विकास कहने लगता है, “सुमित बस पूछ मत यार, मेरी वह कॉलेज की दोस्त श्रेया है ना, वह अभी कुछ दिनों के लिए यहाँ आई हुई थी। हमारे साथ रहने आज उसके मां बाप भी आने वाले थे। तो मैं बस उन्हीं को लेने के लिए एयरपोर्ट जा रहा था। लेकिन यार रास्ते में एक हादसा सा हो गया”। सुमित ने घबराकर पूछा, “क्या हुआ भाई, वह तो मैं तुझे देखकर समझ ही रहा हूं कि तू घबराया हुआ सा लग रहा है। लेकिन हुआ क्या तू ठीक तो है ना”।

तब विकास उसे बताने लगता है कि, “मैं थोड़ी जल्दबाजी में था तो मैंने सोचा कि मैं जंगल की तरफ से आने वाले रास्ते से शॉर्टकट ले लूं। तो एयरपोर्ट जल्दी पहुंच जाऊंगा लेकिन भाई रास्ते में एक अजीब घटना हो गई। मुझे रास्ते में एक भूत मिल गया”। विकास इस तरह उस भूत के बारे में बता ही रहा था तभी सुमित को हंसी आ जाती है और वह कहने लगता है, “क्या विकास तू भी ना इतना बड़ा हो गया। इतना पढ़ा लिखा और समझदार होकर इन सब भूत प्रेत की बातों में विश्वास रखता है। ऐसा कुछ नहीं होता मेरे भाई, तू डर मत”।

सुमित को हॅसते हुए देखकर विकास को गुस्सा आ जाता है और वह कहता है, यहाँ मेरी जान निकल रही है डर से और तुझे मजाक सूझ रहा है। भाई मैं कोई मजाक नहीं कर रहा। मैंने सच में देखा उसे अपनी आंखों से। तुझे अगर यकीन नहीं होता तो यह देख मैं घर से बिल्कुल ठीक गाड़ी लेकर निकला था और मेरी गाड़ी का आगे का शीशा कैसे चटक गया है? सुमित ने भी उसकी गाड़ी का टूटा हुआ शीशा देखा और कहने लगा, “अरे भाई हो सकता है जंगल में कोई पेड़ पेड़ की शाखा लग गई हो और उससे शीशा चटक गया हो। तू ज्यादा परेशान मत हो”।

ये सुनकर तो विकास को और ज्यादा गुस्सा आ जाता है और वह चिड़चिड़ाता हुआ कहता है, “तुझे नहीं मानना तो ना सही। तू जा यहाँ से मुझे तुझसे कोई बात नहीं करनी। एक तो मैं पहले ही परेशान हूँ, इतना घबराया हुआ हूँ। मेरी मदद करने के बजाय तुझे मजाक सूझ रहा है”। तब सुमित अपनी हँसी रोकता है और कहता है, “अरे अरे विकास तू तो नाराज हो गया भाई। चल ठीक है मान ली तेरी बात सहीहै। पर अब बता मैं तेरी क्या मदद करूं”।

तभी विकास कहता है, “तू मेरे साथ एयरपोर्ट तक चल। उनकी फ्लाइट कुछ ही देर में बस लैंड करने वाली है”। सुमित कहता है, “भाई पर मैं तो घर से टहलने के लिए निकला था। घर में किसी को कुछ पता भी नही है”। विकास कहता है, “ज्यादा बहाने मत बना। नहीं जाना तो सीधे मना कर दे”। सुमित बहाने बनाते हुए कहने लगता है, “अरे नहीं भाई ऐसी कोई बात नहीं है। ऐसा कैसे हो सकता है कि मैं तुझे किसी काम को मना करूं। लेकिन वह घर पर किसी को बताकर नहीं आया हूं। घर में सब लोग चिंता करेंगे ना कि मैं कहाँ चला गया इतनी देर के लिए”। तब उसने कहा, “भाई फोन करके घर पर बता दे और तू चिंता मत कर। वक्त तुझे तेरे घर छोड़ दूंगा। वैसे
भी तेरा घर यहां से है ही कितनी दूर”।

विकास के इतना जोर देने पर तब सुमित भी विकास के साथ जाने के लिए राजी हो जाता है इसके बाद वह दोनों एयरपोर्ट पहुँचते हैं। और तब तक श्रेया के मां-बाप की फ्लाइट भी आ चुकी थी। वहाँ से विकास और सुमित श्रेया के मां-बाप को लेकर वापस घर जाते हैं और रास्ते में ही विकास सुमित को भी उसके घर छोड़कर जाता है। घर पहुँचते-पहुँचते विकास के माता पिता और विकास को लगभग आधी रात हो गई थी।

उसके बाद अगले दिन विकास ने श्रेया से कहा, “श्रेया अब तुम्हारे मां बाप आ गए हैं, तुम्हारा ध्यान रखने के लिए। मुझे ऑफिस की किसी जरूरी काम से बाहर जाना है तो मुझे अभी घर के लिए निकलना होगा”। तब श्रेया उसे कहती है, “थैंक्यू विकास, तुमने यहाँ तक मेरी बहुत मदद की है। और अब यहाँ मौसी के घर में ऐसा माहौल है और मौसी भी अकेली हैं। तो मैं कुछ दिनों के लिए अपने माता पिता के साथ यही रुकूंगी। अगर तुम्हारा काम है तो तुम चले जाओ”। इसके बाद विकास श्रेया से विदा लेकर वहाँ से चला जाता है और लगभग 2 घंटे बाद अपने घर पहुँच जाता है।

जैसे ही वह अपने घर पहुँचता है वह देखता है कि घर में सब लोग बहुत ही उदास और उखड़े उखड़े से नजर आ रहे थे। विकास को कुछ समझ नहीं आया तो वह सीधे अपने कमरे में अपनी बीवी के पास गया और उससे पूछा, “कैसी हो सुमन और हमारा बच्चा कैसा है”। लेकिन सुमन कोई जवाब नहीं देती और बस उसे घूरती है। तब विकास कहता है, “क्या बात है, तुम मुझसे नाराज हो क्या कि मैं तुमसे कल बिल्कुल भी बात नहीं कर पाया”। अभी तक सुमन चुप ही थी लेकिन विकास बोल रहा था, “और दरअसल हुआ यह कि वहाँ श्रेया की मौसा जी का देहांत हो गया था तो मुझे वही रुकना पड़ा और उसके बाद रात को भी श्रेया के मां-बाप को लेने के लिए एयरपोर्ट गया और उन्हें लेकर आया रात को भी बहुत लेट हो गया था। तो बस वक्त ही नहीं मिला कुछ करने का”।

तब सुमन उसे घूरते घूरते कहती है, “कोई बात नहीं ऐसा तो होता रहता है”। और इतना कहकर सुमन जोर-जोर से हॅसने लगती है। यह देखकर विकास थोड़ा सा घबरा जाता है और वह सुमन के पास जाकर उसके कंधे पर हाथ रखकर कहता है, ” क्या बात है सुमन तुम हॅस क्यों रही हो और मुझे भी ऐसे घूर रही हो? सब ठीक तो है”। तभी सुमन उसका हाथ झटक देती है और विकास को धक्का देती है। जिससे वह थोड़ा पीछे हो जाता है। विकास सुमन का यह रूप देख कर डरता है लेकिन तभी सुमन को कसकर पकड़ता है और उसे झिंझोड़कर कहता है “यह क्या, बर्ताव है तुम्हारा सुमन। तुम ऐसे क्यों बात कर रही हो। तभी मानो सुमन किसी सदमे से जगी हो ऐसे कहती है, “अरे आप कब आए। आप कैसे हो? रुको मैं आपके लिए पानी लेकर आती हूं”। वो कुछ समझ नहीं पा रहा था कि सुमन को ये क्या हुआ था और उसने ऐसे क्यूं बर्ताव किया। लेकिन वह चुप रहा उसने कुछ नहीं कहा और उसके बाद सुमन विकास के लिए पानी लेने चली गई।

To be continued….

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