Chapter – 2
1973, (मुंबई)
शाम का समय, एक होटल के अंदर हल्का-हल्का सा म्यूजिक बज रहा था, थोड़ा सा साइड में बीच की टेबल पर औरत बैठी हुई थी।
उन दोनों की उम्र तकरीबन 35-36 होगी। उनमे से एक औरत कहती है,”यार आज तो तूने कमाल कर दिया, क्या बोला तुने आज कोर्ट में”।
दूसरी वाली कहती है,” हाँ, तो यूँ ही थोड़ी मेरा नाम देश के बड़े वकीलों में से एक है”।
क्रिया देश के बड़े वकीलों में से एक है। शायद ही कभी कोई मुकदमा हारा होगा उसने।
काफी बड़े लोगों से जान पहचान है उसकी।
पर कहते है न बड़े पद के लोगों के दुश्मन भी काफी होते है।
क्रिया के भी हजारों दुश्मन थें ।
क्रिया अपने घर पहुँचती है और दरवाजा खटखटाती है। दरवाजा उसका सात साल का बेटा खोलता है और आते ही उसकी गोदी में चढ़ जाता है।
क्रिया कहती है,”बेटा अजय पहले नहा लू फिर गोद में आना और वो उसे उतार देती है”।
अजय कहता है,”पर आप कितनी देर से आए,अब थोड़ी देर मे तो….” तभी पीछे से कोई उसका मुँह बंद करते हुए कहता है,”बेटा मम्मी को अंदर तो आने दो”।
वो क्रिया का पति था।
क्रिया अंदर आते हुए, “आज कैसा रहा दिन अजय का पापा के साथ”?
अजय-“बहुत अच्छा आज तो हमने बहुत मस्ती की”
क्रिया-“हाँ, वो तो दिख ही रहा है। ये घर का क्या हाल बनाया है तुम दोनों ने”?
शिव (क्रिया का पति)-“तुम इसकी टेन्शन मत लो।
मै ये सब साफ कर दूँगा”।
क्रिया हाँ में सिर हिलाते हुए नहाने चली जाती है।
शिव घर साफ कर देता है, और अजय सिर्फ उसको तंग कर रहा होता है।
शिव एक संगीतकार है और एक कवि भी।
दोनों का प्रेम विवाह हुआ है और दोनों अब अपनी पारिवारिक जीवन में खुश है।
क्रिया नहा कर आती है और शिव कुछ लिख रहा होता है और अजय कोई चित्र बना रहा था।
क्रिया कहती है,”कल तुम्हें स्टूडियों जाना है ना शिव”।
शिव कहता है,”हाँ,और तुम्हें भी जाना है ना?”
क्रिया,”हम्म रोज वाला ही है सब, कल कुछ खास नही है।”
फिर वो दोनों खाना खाते है और सोने चलें जाते है”।
2 घंटे बाद
क्रिया आराम से सो रही थी तभी अजय और शिव क्रिया के कान में जोर से बाजा बजा देता है ।
क्रिया अचानक से उठ जाती है और चौंक जाती है।
फिर अजय और शिव जोर से उसे हैप्पी बर्थडे बोलने लगते है।
वो कहती है,” अरे यार मै तो भूल ही गयी थी कि आज मेरा जन्मदिन है”! फिर दोनों उसे गले लगाते है और वो केक काटती है।
फिर शिव उसके नाक पर केक लगा देता है।
जिस पर अजय हॅसने लगता है। फिर क्रिया भी शिव को केक लगा देती है और अजय और जोर से हॅसने लग जाता है। कुछ देर बाद वो सब एक-दूसरे के पिछे केक के साथ मस्ती करते है और फिर थक कर काफी देर बाद वो लोग सोने चले जाते है।
सुबह अजय अपने स्कूल जाता है और शिव अपने काम से स्टूडियो।
क्रिया भी अपने दफ़्तर में होती है। तभी उसके टेलीफोन पर एक फोन आता है।
जिसे सुनते ही वो अपनी गाड़ी लेकर निकल जाती है।
थोड़ी देर बाद वो एक जंगली इलाके से गुजर रही होती है तभी उसके पिछे से कोई हाथ रखता है।
वो पिछे मुड़ के देखती है तो एक औरत उसकी ही उम्र की उसके सामने में होती है।
क्रिया -“सरिता तुने मुझे यहाँ यूँ अचानक क्यों बुलाया? सब ठीक तो है ना “
सरिता कुछ नही बोलती …।
सरिता उसकी बचपन की सहेली है।
क्रिया -“अरे बोल ना, यूँ बूत बन के क्यों खड़ी है”।
सरिता रोते हुए-“मुझे माफ़ करना, मैं मजबूर हूँ ममता के आगे”!
क्रिया को कुछ समझ नहीं आता, वो कहती है,”तु क्या बोल रही है?”
तभी पेड़ के पीछे से कुछ लोग आते है और क्रिया हक्कि बक्कि सब देखती रह जाती है।
अब उसे सब समझ आने लगता है।
ये सब उसके दुश्मन थे और आज वो अकेली थी।
वो भागने की कोशिश करती है पर तभी कोई उसे पकड़ लेता है और फिर कुछ लोग मिल के उसे खाई से नीचे फेक देते है ।