Chapter-2: जादूई एहसास

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मधु को क्या हुआ

सुमन की जेठानी का नाम मधु था। मधु की चीख सुनकर सब लोग दौड़कर वहां पहुंचते हैं और उसे बेहोश देखकर घबरा जाते हैं। सबके चेहरे पर चिंता और घबराहट साफ दिखाई दे रही थी लेकिन सुमन की सास को मानो जैसे कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था। उसके चेहरे पर कोई खास शिकन नहीं थी। वह वहां मौजूद जरूर थी लेकिन उसे जैसे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था कि कुछ गलत हो गया है या कुछ अनहोनी सी हुई है।

मधु की हालत देखकर सुमन और उसका जेठ घबरा जाते हैं और दौड़ कर उसे संभालते हुए उठा कर बेड पर बिठा देते हैं। सुमन किचन में जाती है और मधु के लिए पानी लेकर आती है तभी सुमन का बड़ा जेठ राकेश मधु से पूछता है कि “क्या हुआ तुम अचानक बेहोश कैसे हो गई “? जैसे ही मधु कुछ बोलने की कोशिश करती है वह बोल नहीं पाती। वह बहुत कोशिश कर रही थी पर वह कुछ बोल नहीं पा रही थी घर में सबको लगा कि शायद डर और घबराहट की वजह से वह कुछ बोल नहीं पा रही है। लेकिन मधु अपने होश में तो थी पर बहुत कोशिश करने पर भी उसकी आवाज नहीं निकल रही थी। उसे ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने उसका मुंह बंद कर दिया है।

मधु की आंखों से आंसू निकलने लगते हैं लेकिन वो कुछ बोल नहीं पा रही थी। तभी राकेश मधु को समझाने लगता है “मधु तुम घबराओ मत हम सब तुम्हारे साथ हैं। मैं यही तुम्हारे पास बैठा हूं तुम्हें घबराने की कोई जरूरत नहीं है”। वह मधु को अपनी गोद में सर रख कर लेटा लेता है और उसका सर सहलाने लगता है। मधु अभी तक रोए जा रही थी और उस हादसे के बाद बुरी तरह घबरा गई थी। वह कुछ समझ ही नहीं पा रही थी कि इतनी जल्दी और अचानक यह सब क्या और कैसे हो गया? वो बहुत बुरी तरह डर गई थी वही घर में बाकी सब लोग उसको समझा रहे थे कि डरो मत तुम बिल्कुल ठीक हो। सब लोग अपने मन से अंदाजा लगा कर अलग-अलग तरह की बात करने लगे। सुमन बोली “हो सकता है कि कमजोरी की वजह से या थकान की वजह से दीदी को चक्कर आ गए हो और वह बेहोश हो गई हो, वैसे भी बहुत कमजोर सी है और अपना बिल्कुल ध्यान भी नहीं रखती हैं जब देखो तभी काम की चिंता लगी रहती है”।

राकेश कहता है “मधु तुम्हें अपना ध्यान रखना चाहिए काम की ज्यादा चिंता मत किया करो। काम तो सब लोग मिलकर कर ही लेंगे लेकिन अगर तुम ठीक नहीं रहोगी और अपना ध्यान नहीं रखोगे तो कैसे चलेगा”। राकेश ने प्यार से मधु को थोड़ा सा डांटते हुए कहा। लेकिन मधु अभी भी चुप थी और लग रहा था जैसे मानो वह किसी की बात सुन ही नहीं रही। वह वहां मौजूद जरूरत थी लेकिन उसे किसी बात से कोई लेना-देना नहीं था। सब लोग मिलकर मधु का मूड ठीक करने की कोशिश करने लगते हैं। मधु का बड़ा देवर उमेश कहता है “क्या भाभी आप तो कितनी अच्छी है सब का कितना ध्यान रखती हैं और आजअपना ही ध्यान रखना भूल गए। चलिए अब आप जल्दी से अपना मूड ठीक कीजिए। उठिए, हम सब
आज मिलकर मजे करेंगे और हां भाभी आज मुझे आपके हाथ के बने समोसे और कचोरिया खाने है। आप मेरे लिए बनाओगे ना आपके हाथों जैसा स्वाद और कहीं नहीं है भाभी आप जल्दी ठीक हो जाइए।”

तभी मधु का छोटा देवर यानी सुमन का पति विकास कहता है “भैया, आप कैसी बात कर रहे हो भाभी को ठीक तो हो जाने दीजिए उसके बाद हम सब मिलकर वन डे पिकनिक मनाएंगे। लेकिन अभी तो उन्हें आराम की बहुत जरूरत है उन्हें आराम करने देते हैं और मैं डॉक्टर को बुला कर लेकर आता हूं वह आकर भाभी का चेकअप कर लेगा और बता देगा जो भी परेशानी है मुझे भाभी की हालत कुछ ठीक नहीं लग रही है”। इतना कहकर विकास वहां से सुमन की तरफ मुड़ता है और कहता है कि भाभी का ध्यान रखना मैं डॉक्टर को लेने जा रहा हूं। मैं दो-तीन बार कॉल ट्राई कर चुका हूं लेकिन डॉक्टर साहब का फोन नहीं लग रहा है, हो सकता है नेटवर्क ना हो, इसीलिए मैं खुद जाकर देख लेता हूं और उन्हें बुला लाता हूँ”।

इतना कहकर विकास वहां से चला जाता है और थोड़ी देर में डॉक्टर के घर पहुंच जाता है वह दरवाजे पर जाकर बैल बजाता है। तभी एक औरत आकर दरवाजा खोलती है विकास कहता है, “नमस्ते, मैं विकास हूं, डॉक्टर त्रिपाठी घर पर हैं क्या” ?औरत बोलती है,” मैं उनकी पत्नी हूं दरअसल डॉक्टर साहब घर पर नहीं है वह अपने किसी मरीज को देखने के लिए यहां से कहीं दूर गए हैं कोई इमरजेंसी केस आ गया था”। विकास कहता है,” डॉक्टर त्रिपाठी हमारे फैमिली डॉक्टर हैं क्या आप बता सकती हैं कि उन्हें आने में कितनी देर लगेगी”। वह औरत कहती है ,”वह जहां गए हैं वह जगह यहां से काफी दूर है और उन्हें आने में वक्त भी लगेगा”।

इतना सुनकर विकास वहां से वापस चल देता है और किसी दूसरे डॉक्टर के पास जाने लगता है वह सोचता है कि भाभी की तबीयत ज्यादा खराब ना हो जाए इसीलिए जल्दी से जल्दी किसी अच्छे डॉक्टर का इंतजाम करना होगा। विकास यह सोचते हुए जा ही रहा था तभी उसे ख्याल आता है कि घर वालों को एक बार बता देना चाहिए। वह अपनी पत्नी सुमन को फोन करता है और कहता है,”डॉक्टर त्रिपाठी तो घर पर नहीं है वह कहीं बाहर गए हैं, मैं दूसरे डॉक्टर को लेने जा रहा हूं। अभी रास्ते में हूं, भाभी की तबीयत अब कैसी है”? सुमन जवाब देती है,”भाभी अभी आराम कर रही हैं लेकिन वह अभी भी बहुत घबराई हुई है। उन्हें अभी डॉक्टर की सख्त जरूरत है बाकी आप यहां की चिंता मत कीजिए हम सब लोग मिलकर उन्हें संभाल लेंगे। आप बस डॉक्टर को लेकर आइए”।

वहां से कुछ ही दूर शक्ति एनक्लेव में एक बहुत बड़े डॉक्टर रहते थे विकास को उनका ख्याल आता है और वह उनके घर जाता है। वहां जाकर उसने डोर बेल बजाई। अंदर से किसी ने दरवाजा खोला। उसे देख कर विकास बोला,”जी नमस्ते, “मेरा नाम विकास है। मैं यही पास में रॉयल रेजिडेंसी सोसाइटी में रहता हूं मुझे डॉक्टर वर्मा से मिलना है। क्या डॉक्टर साहब घर पर हैं ?” वह आदमी जिस ने दरवाजा खोला था, कहता है “जी बताइए मैं ही डॉ सिद्धार्थ वर्मा हूं”। विकास कहता है, “डॉक्टर साहब, आप जल्दी मेरे साथ मेरे घर चलिए, मेरी भाभी अचानक बेहोश हो गई हैं और उनकी तबीयत बिल्कुल भी ठीक नहीं है”। डॉक्टर कहते हैं, ”ठीक है विकास, चलो” इतना कहकर विकास डॉक्टर को अपने घर ले जाता है।

विकास ड्राइविंग करते करते रास्ते में डॉक्टर को उसकी भाभी की हालत के बारे में पूरी जानकारी दे देता है और इसी बीच दोनों घर पहुंच जाते हैं। घर पहुंचने पर विकास डॉक्टर को मधु के कमरे में ले जाता है और डॉक्टर मधु का चेकअप करते हैं। डॉक्टर परिवार वालों को बताता है “लगता है मधु किसी चीज से बहुत बुरी तरह डर गई है और उन्हें मानसिक सदमा लगा है मैंने इन्हें दवाइयां दे दी हैं और इंजेक्शन भी दे दिया है। वह काफी डरी हुई है और मानसिक सदमे से जूझ रही है। आप लोग उनकी अच्छी तरह देखभाल करेंगे और उन्हें अकेला नहीं छोड़ेंगे। मुमकिन है अकेले रहने से उनके मन में कुछ बुरे विचार आ सकते हैं और उनका स्वास्थ्य बिगड़ सकता है। यह आवश्यक है कि कोई न कोई हर वक्त उसके साथ रहे और उसका ख्याल रखे”। राकेश कहते हैं, ”हां डॉक्टर, हम मधु का पूरा ख्याल रखेंगे। चलो, मैं तुम्हें बाहर तक छोड़ देता हूँ।” इतना कहकर राकेश डॉक्टर का सूटकेस लेकर बाहर छोड़ने जाता है और उसकी फीस भी भर देता है। वह पूछता है,” डॉक्टर मधु कब तक सामान्य हो जायेगी, चिंता की कोई बात नहीं है, है ना”?

डॉक्टर कहता है कि, “उन्होंने जरूर कुछ ऐसा देख लिया या महसूस किया जोकि उनके मन में घर कर गया है और अब वह पूरी तरह से डरी हुई हैं, बाकी आप कोशिश कीजिए कि उनका मन कहीं ना कहीं लगा रहे ताकि उन्हें कोई बुरे ख्याल ना आए। बाकी आप परेशान मत होना अगर कोई भी परेशानी होती है तो आप मुझे फोन कर दीजिएगा। मैं इनका चेकअप करने के लिए आ जाऊंगा”।

राकेश डॉक्टर को धन्यवाद कहता है और उन्हें छोड़कर वापस घर के अंदर चला जाता है और मधु के पास बैठ जाता है। वहीं बैठकर राकेश मधु से मीठी-मीठी बातें करने लगता है और कहता है, “मधु, क्या तुम्हें याद है कि हम दोनों पहली बार कहाँ मिले थे, जब हम मिले थे तो तुम कितनी खूबसूरत और आकर्षक लग रही थीं। मुझे तुमसे पहली ही नजर में प्यार हो गया था”। हो गया था और तुम मुझे भाव भी नहीं दे रहे थे। पिता, पिता। तुम जैसी प्यारी, सुंदर और समझदार पत्नी के लिए मुझे कितने पापड़ बेलने पड़े.” यह सुनकर मधु के होठों पर हल्की सी मुस्कान आ जाती है और वह प्यार भरी निगाहों से राकेश की ओर देखने लगती है। यह देखकर राकेश को भी बहुत खुशी होती है कि मधु थोड़ा मुस्कुराई। सुमन कहती है, “क्या बात है भैया। देखो दीदी कैसे मुस्कुरा रही हैं और हो भी क्यों ना पहली मुलाकात की बात ही अलग है, अच्छा भैया आप दीदी का ध्यान रखिए मुझे ऑफिस के लिए तैयार होना है अगर कोई मेरी जरूरत हो तो बताइए मैं आज ऑफिस से छुट्टी ले लूंगी”। राकेश कहता हैं,”नहीं सुमन, मुझे अभी मधु की हालत थोड़ी ठीक लग रही है और अगर कोई परेशानी होगी तो यहां पर मैं हूं, मां है और बाकी सब लोग हैं तुम परेशान मत हो और ऑफिस जाओ। यह बॉस किसी की परेशानी को नहीं समझता और वैसे भी आप अभी अभी इस कंपनी में शामिल हुए हैं तो आपको जाना चाहिए।’ सुमन कहती हैं, ‘ठीक है मैं चली जाती हूं आप दीदी का ध्यान रखिए”।

राकेश कहता हैं, “उमेश, एक काम करो, ऑफिस में जाकर देखो कि सभी कर्मचारी ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं। और हां, मैनेजर से फाइल लेकर नए ज्वाइन करने वालों की डिटेल वेरिफाई कर लो। मैं यहीं रहता हूं और मधु का ध्यान रखता हूं। प्रिया तुम भी अपने स्कूल जाओ। वैसे भी, माँ और मैं यहाँ हैं, हम दोनों मधु की देखभाल करेंगे”। प्रिया उमेश की पत्नी थी। वह कहती है, “भैया, आज मेरी स्कूल में बात हुई है, मैं थोड़ी देर से जाऊँगी। मैं आपके और माजी के लिए खाना बनाऊंगी और दीदी के लिए सूप भी बनाऊंगी। उसके बाद मैं स्कूल जाऊँगी।’ राकेश कहता हैं, ‘ठीक है प्रिया, यह ठीक रहेगा।’ इसके बाद प्रिया किचन में जाती है और राकेश पास में रखे फल को छीलकर मधु को खिला देता है और
उसे बहलाने के लिए उससे बातें भी करता रहता है।

राकेश कहते हैं, “मधु, मैं बहुत खुशकिस्मत हूं कि मुझे तुम जैसी पत्नी मिली है। तुम अपना ख्याल क्यों नहीं रखतीं, तुम जानती हो कि मैं तुम्हें इस तरह देखकर कितना घबरा रहा था। लेकिन अब मुझे खुशी है कि तुम बिल्कुल ठीक हो जाओ। और देखो तुम बहुत जल्दी ठीक हो जाओगी।आखिरकार तुम्हारे पति तुमसे बहुत प्यार करते हैं और तुम्हारी बहुत परवाह करते हैं।” राकेश हल्की हंसी के साथ यह कहता हैं और सेब का एक टुकड़ा उठाकर मधु को अपने हाथ से खिलाता हैं। मधु कहती है, “अभी और ज्यादा मत बनो मुझे पता है कि तुम मुझसे कितना प्यार करते हो। शादी से पहले आप ज्यादा रोमांटिक थे लेकिन अब तुम व्यापार में इतने व्यस्त हो गए हो कि तुम्हें मेरे लिए समय ही नहीं मिलता। लेकिन मैं सोच रही हूँ मुझे अचानक क्या हुआ, मैं तो बिल्कुल ठीक थी ना”?

राकेश को इतनी बात सुनकर ख्याल आता है कि डॉक्टर ने उससे कहा था मधु ज्यादा स्ट्रेस ना ले वरना उसकी तबीयत और बिगड़ सकती है तो वह बात बदलने के लिए कहता है, “तुम भी ना मधु। मेरे पास तुम्हारे लिए हमेशा वक्त होता है। लेकिन तुम समझदार हो यह समझो कि काम भी जरूरी है। अगर मैं काम नहीं करूंगा, बिजनेस में ध्यान नहीं दूंगा तो तुम्हारी फरमाइश कैसे पूरी करूंगा। और तुम भी यह क्या बात लेकर बैठ गए। तुम्हें ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है तुम अब ठीक हो रही हो मेरे लिए इतना ही काफी है”। इतना कहकर राकेश मधु को उठाकर बैठने लगता है। राकेश उसके हाथ में प्लेट में कटे हुए फल देता है और कहता है, “कुछ भी मत सोचो तुम बिल्कुल ठीक हो। और डॉक्टर ने भी
कहा है ज्यादा सोचने से और स्ट्रेस लेने से तुम्हारी तबीयत पर बुरा असर पड़ सकता है। तुम फटाफट यह फल खा लो, फिर तुम्हें दवाई भी तो लेनी है”।

मधु धीरे-धीरे फल खाने लगती हैं और सारे फल खा लेती हैं। तब राकेश उसे दवाई देता है और उसका सर अपनी गोद में रखकर उसे लिटा देता है और उसके बाल सहलाने लगता है। वह कहता है, “अब तुम आराम करो और जल्दी से ठीक हो जाओ। उसके बाद मैं तुम्हें तुम्हारी फेवरेट जगह घुमाने ले जाऊंगा”। वह मधु से बातें करता रहता है और उसका सर सहलाने लगता हैं। थोड़ी ही देर में मधु को नींद आ जाती है तब राकेश कमरे से बाहर जाता है और अपनी मां से कहता है कि, “मां आप मधु का ध्यान रखिए। मैंने उसे दवाई तो दे दी है और अब वो सो रही है । मुझे उसकी हालत पहले से काफी ठीक लग रही है तो अब आप उसे संभाल लेना। आज ऑफिस में एक बहुत इंपॉर्टेंट मीटिंग है बाहर से कुछ लोग मिलने आने वाले हैं जिन्हे अपनी कंपनी में नए मशीनरी के इंप्लीमेंटेशन के लिए बात करनी है अगर सब कुछ ठीक रहा तो आज यह टेंडर भी फाइनल हो जाएगा। यह बहुत बड़ा कॉन्ट्रैक्ट है और मुझे वहां जरूरी जाना पड़ेगा”। मां कहती है, “बेटा तुम चिंता मत करो। तुम अपना काम पूरा करो। ऑफिस जाओ मैं यहां सब संभाल लूंगी और मधु का अच्छे से ध्यान रखूंगी”। राकेश कहता है , “ठीक है मां मैं ऑफिस चला जाता हूं और अगर कोई परेशानी हो तो आप मुझे फोन कर देना। मैं आ जाऊंगा”।

इतना कहकर राकेश अपने कमरे में चला जाता है और ऑफिस के लिए तैयार होता है। कुछ ही देर में वह ऑफिस के लिए निकल जाता है। राकेश ने भले ही मधु का ध्यान भटका कर उसे सुला दिया था लेकिन उसको मन में अभी भी मधु की चिंता हो रही थी। वह ऑफिस में चला तो गया लेकिन काम में उसका कुछ खास मन नहीं लग रहा था उसे बार-बार मधु की चिंता हो रही थी और कुछ ही समय में घर पर बार-बार फोन करके मधु के बारे में पूछ रहा था। उसने जैसे तैसे उस दिन खुद को संभाल कर ऑफिस का काम निपटाया और घर गया।

To be continued….

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