Chapter-1: जादूई एहसास

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अध्याय-1

सुमन एक 26 साल की कामकाजी औरत थी। वह एक एलाइंस इंटरप्राइजेज नाम की कंपनी में काम करती थी। सुमन एक संयुक्त परिवार में रहती थी। उसके परिवार में उसके सास-ससुर, एक ननद उसका पति, उसके दो जेठ और जेठानी रहती थी। सुमन की सास काफी धार्मिक प्रवृत्ति की थी। वह काफी समय अपना पूजा-पाठ में बिताती थी इसके साथ ही वह अंधविश्वास को भी बहुत मानती थी। सुमन का पति एक बड़ा बिजनेसमैन था जो अकसर काम के लिए बाहर आता जाता रहता था। सुमन के ससुर जी अकसर बीमार रहते थे, जिसके चलते घर में किसी ना किसी को हमेशा उनकी देखभाल के लिए उनके साथ रहना पड़ता था। सुमन की जेठानी स्कूल में टीचर थी और दूसरी घर संभाल लेती थी इसी तरह खुशी खुशी सुमन का परिवार चल रहा था।

एक दिन अचानक सुमन के ससुर जी की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई और सुमन उन्हें लेकर अपने जेठ जेठानी के साथ अस्पताल जाती है। वहां जाकर उसको पता चलता है कि उसके ससुर जी की तबीयत बहुत ज्यादा बिगड़ गई है और उन्हें कई दिनों तक अस्पताल में भर्ती करना पड़ेगा। यह सोच कर कि कहीं कुछ गड़बड़ ना हो जाए सुमन अपने पति को फोन करके जल्दी आने के लिए कहती है और उससे मदद भी मांगती है कि वह अभी अस्पताल में भरने के लिए कुछ पैसे भिजवा दें। जिससे जल्दी से जल्दी उसके पिता का इलाज शुरू हो सके। सुमन अचानक बिगड़ी उसके ससुर जी की तबीयत देखकर घबरा जाती है। जैसे ही सुमन की सास को अपने पति की हालत के बारे में पता चलता है तो अस्पताल जाने की जगह किसी तांत्रिक के पास पहुंच जाती है और उनसे कहती है कि वह उसकी पति को ठीक कर दें। सुमन की सास अस्पताल में जाकर अपनी बहू सुमन और अपनी दूसरी बहू और बेटे पर गुस्सा करती है कि उसकी इजाजत के बिना उन लोगों को उसके पति को अस्पताल नहीं लाना चाहिए था। उसके बेटे और बहू उसे सब मिलकर समझाने की कोशिश करते हैं कि मां जी पिताजी की हालत बहुत ज्यादा खराब हो रही है और इस वक्त उनका अस्पताल में रहना और इलाज करवाना बहुत जरूरी है। लेकिन सुमन की सास जिद पर अड़ जाती है कि मुझे अपने बाबा पर पूरा भरोसा है और वही उसके पति को ठीक कर सकते हैं। दरअसल सुमन के ससुर जी को एक नहीं बल्कि कई बीमारियां एक साथ थी और इसके साथ ही उनको ब्रेन ट्यूमर जैसी बड़ी बीमारी भी थी। जिसके चलते डॉक्टरों ने जवाब दे दिया था कि हम अपनी तरफ से पूरी कोशिश करेंगे लेकिन कोई भी झूठी उम्मीद हम आप लोगों को नहीं दे पाएंगे। सुमन की सास को लगा कि उसके बेटे और बहुएं अपने ससुर से पीछा छुड़ाने के लिए ऐसा कर रहे हैं। इसीलिए वह किसी की बात नहीं मानती और जिद पर अड़ जाती है कि वह यहां अपने पति का इलाज नहीं करवाएगी। उसे डॉक्टरी इलाज पर भी भरोसा नहीं था।

सुमन अपनी सास को समझाने की कोशिश करते हुए कहती है कि मा जी डॉक्टर अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे हैं और पिताजी जल्दी ठीक हो जाएंगे। लेकिन सुमन की सास कोई भी बात मानने को तैयार नहीं थी। वह कहने लगती है कि इन डॉक्टरों का तो पता नहीं लेकिन मुझे अपने बाबा पर पूरा भरोसा है। वह बाबा जी भगवान से बातें करते हैं और उनके आशीर्वाद से लोगों की बड़ी से बड़ी समस्या आसानी से दूर हो जाती है। वह आगे बोली कि चाहे कुछ भी हो जाए मुझे अपने बाबाजी पर पूरा भरोसा है और मेरे पति की इस बीमारी का इलाज भी सिर्फ बाबाजी कर सकते हैं और किसी के बस की बात नहीं है। यह सब बात सुनकर सुमन और उसके जेठ जेठानी सब लोग बहुत परेशान हो जाते हैं और मिलकर सब उसकी सास को समझाने की कोशिश करने लगते हैं कि मां जी अब जिद मत कीजिए। तभी उसकी सास बहुत नाराज हो जाती है और उन सब पर बुरी तरह बिगड़ने लगती है। यह सब देखकर सुमन और उसके जेठ जेठानी बहुत परेशान हो जाते हैं। वह लोग समझ गए थे कि उसकी सास को समझाने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि उनका अंधविश्वास इस हद तक बढ़ चुका है कि अब ना तो वह किसी की बात सुनेंगे और ना ही समझेंगे। माजी की बढ़ती हुई नाराजगी को देखकर सुमन अपने जेठ जेठानी से कहने लगती है भैया दीदी मां जी तो जिद पर अड़ गई हैं उन्हें समझाना बहुत मुश्किल है। यह सुनकर उसके जेठ जी कहने लगते हैं कि सुमन ठीक कह रही है और माजी की जिद के आगे वह लोग कुछ कह भी नहीं सकते थे। इसीलिए सुमन कहने लगी कि भैया अब डिस्चार्ज पेपर तैयार करवाओ और हम पिताजी को घर ले चलने की तैयारी करते हैं क्योंकि मां जी से तो अब उम्मीद करना ही बेकार है कि वह किसी की बात मानेगी।

इतना सुनकर सब लोग उदास मन से पिताजी के डिस्चार्ज की तैयारी में लग जाते हैं और उन्हें घर ले आते हैं। उसके बाद सुमन की सास अपने पति को अपने कमरे में ले जाती है। जैसे उन्हें कमरे में ले कर जाती है तभी एक तेज रोशनी चमकती है और उसके साथ ही एक परछाई भी दिखाई देती है जिसको देखकर सब लोग डर जाते हैं और सोच में पड़ जाते हैं। अचानक ऐसा लगता है मानो कि वह सब एक गहरी नींद के बाद उठे हैं और उन्हें कुछ याद ही नहीं। जब सब लोग अपने को संभाल कर देखते हैं तो पाते हैं कि उनके ससुर जी बिल्कुल ठीक है और अच्छे से घूम रहे हैं। यह सब देखकर अचानक चौक कर उनका बड़ा बेटा अपनी मां से पूछता है कि मां क्या सब ठीक है। मुझे ऐसा क्यों लगा जैसे कि मैं एक लंबी नींद के बाद उठा हूं और पिताजी तो बहुत बीमार थे ना मां। यह बोलते बोलते उसके चेहरे पर अजीब से भाव दिखाई दे रहे थे जैसे मानो उसके मन में बहुत कुछ चल रहा है और वह बहुत बड़ी उलझन में है। यह सुनकर उसकी मां हंसी और कहने लगी कि बेटा कैसी बात कर रहे हो तुम्हारे पिताजी तो बिल्कुल ठीक हैं और हम दोनों अभी मंदिर से आए हैं। फिर बड़ा लड़का पूछने लगता है की मां पिताजी को तो ब्रेन ट्यूमर था ना फिर अचानक ठीक कैसे हो गए।

उसकी मां कुछ सामान समेटते हुए कहती है कि सब बाबा का आशीर्वाद है कि उसके पिता जी एकदम ठीक हो गए और अब उन्हें कोई परेशानी नहीं है। यह सुनकर लड़का कहने लगता है कि मां यह तो बहुत अच्छी बात है कि पिताजी बिल्कुल ठीक हो गए हैं। इतना कहकर वह लड़का घर से बाहर निकल जाता है। लेकिन अभी भी उसके मन में बहुत उथल-पुथल मची हुई थी कि क्या वाकई सब ठीक है और अगर वाकई सब ठीक है तो यह सब क्या हुआ और उसे इतना अजीब क्यों लग रहा है। वह सोचने लगता है कि अचानक ऐसा कैसे हो सकता है उसके पिताजी को तो बहुत बड़ी बीमारी थी और वह काफी बढ़ चुकी थी तो उसके पिताजी ठीक कैसे हुए और आखिर कहीं कुछ ऐसा तो नहीं जोकि उसकी नजरों से छूट रहा हो।

यह सब सोचते सोचते वह गुमसुम सा एक कुएं के पास जाकर बैठ जाता है। वहां भी उसके मन में इसी तरह की बहुत सारी उलझन चल रही थी। यह सब बातें सोचते सोचते अचानक उसे नींद की एक झपकी लग जाती है और उसे एक सपना आता है जिसमें वह देखता है कि वह कहीं काले घने अंधेरे जंगल में खो गया है। वह जगह बहुत ही डरावनी लग रही थी। वहां पर पेड़ भी बहुत ही अलग प्रकार के थे जो कि उसने कभी नहीं देखे थे। उन पेड़ों की शाखाएं कुछ इस तरीके की थी मानो वह इंसान की परछाई हो जो कि पलक झपकते ही कुछ क्रियाएं करती हो। उन पेड़ों की शाखाओं की आकृति कुछ इस तरीके से बदल रही थी जैसे वह किसी को अपनी तरफ बुला रही हो। जो घने अंधेरे में बहुत ही ज्यादा डरावना लग रहा था। वहां बहुत ही अजीब प्रकार की आवाज सुनाई दे रही थी जो कि कुछ सीटी बजने जैसी और किसी के रोने की, कुछ गरजने की बहुत ही डरावनी और खौफनाक आवाज थी। जैसे ही सुमन का जेठ कुछ आगे बढ़ा उसने देखा कि कुछ सुरंग जैसा आकार की परछाई है। वह बहुत ही डरता डरता उसकी तरफ आगे बढ़ता है तभी अचानक से कोई बहुत ही शक्तिशाली चीज चमकती है और उसे अपनी तरफ खींच लेती है। वह बहुत ही तेज रफ्तार से घूमता घूमता एक सुरंग के रास्ते से होकर किसी अनजान जगह पर जा पहुंचता है जोकि बहुत ही विरान और डरावनी थी। चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ था। ऐसा लग रहा था मानो अमावस्या की काली रात हो। जैसे ही वह वहां पर पहुंचा और थोड़ा कुछ समझने की कोशिश की , उसका पैर एक कंकाल से टकरा गया। कंकाल की ठोकर लग कर वह गिर पड़ा और उसका मुंह किसी दलदल जैसी गीली जगह पर जा लगा।

वह खुद को संभालता हुआ उठने लगता है और जैसे ही उठकर उसने अपने चेहरे को हाथ लगाया तो उसके हाथ पर खून और कुछ मांस के टुकड़े लग गए। वह बहुत ही बुरी तरह डर गया और घबरा गया ।घबराकर व हताश होकर और अपनी सुध बुध खो कर एक तरफ भागने की कोशिश करने लगा अचानक उसे थोड़ी सी रोशनी दिखाई दी और वह उस रोशनी की तरफ खुद को बचाने की उम्मीद से भागा। वहां जाकर उसने देखा कि कुछ कंकाल हवा में उड़ रहे थे और कुछ इंसानों के मरे हुए शरीर को काटकर सब्जी बनाने की तैयारी में लगे हुए थे। यह देखकर वह और भी बुरी तरीके से डर गया। वह कुछ सोच समझ पाता इससे पहले यह कंकाल ने उसका हाथ खींच लिया और उसे ले जाकर एक जेल जैसी जगह पर बंद कर दिया। जहां जेल के दरवाजे किसी और चीज के लिए नहीं बल्कि इंसान की हड्डियों के बने हुए थे और उस जेल के चारों तरफ खून से भरा एक समुंद्र था जिसमें मांस के टुकड़े, आंखें वगैरा इंसान के शरीर के अंग टुकड़ों में पड़े थे। यह सब देख कर वह इतनी बुरी तरह डर गया कि अपनी सारी सुध बुध ही खो बैठा और जोर जोर से चिल्लाने लगा और रोने लगा। इतना रोया इतना रोया कि रोते-रोते बेहोश हो गया।

जब उसकी नींद खुली तो उसे होश आया और उसने अपने आपको अपने घर में सुरक्षित पाया। लेकिन अपने सपने की यादें अभी तक उसके दिमाग में इस तरीके से घूम रही थी कि वह ना कुछ सोच पाया ना कुछ समझ पाया बस घबराया हुआ था एक कोने में सिकुड़ कर बैठ गया और सीसकने लगा। तभी उसकी जोर की चीख निकल गई। उसकी आवाज सुनकर सुमन और बाकी परिवार वाले दौड़ कर उसके कमरे में गए और देखा तो वह बहुत ही घबराया हुआ और डरा हुआ सा लग रहा था। जिसे देख कर सब लोग काफी चौक जाते हैं। तभी उसकी मां उससे पूछती है क्या हुआ बेटा सब ठीक तो है। वह कुछ बोल नहीं पाता बस गुमसुम सा बैठा रह जाता है। उसकी बीवी कहती है क्या हुआ आप इतने घबराए हुए क्यों हो, सब ठीक तो है ना ? आपको अचानक क्या हो गया था ? आप यहां से ठीक-ठाक गए और घर से दूसरी गली से गांव के बाहर जाने वाले रास्ते की तरफ से जो पहला कुआं पड़ता है। आप उसके पास जाकर सो गए और आपको काफी देर बाद आपके बड़े भाई वहां से उठाकर घर ले आए। वह कोई सोने की जगह है। आप वहां क्यों जाकर बैठ गए थे और अब आप इतना अजीब सा व्यवहार क्यों कर रहे हो ? आखिर सब ठीक तो है ना ?

उसकी बीवी के इतना पूछने पर उसकी सांस एकदम नाराज हो गई और कहने लगी कि बेटा उस गली में मत जाना। कहते हैं उस गली में बहुत सी बुरी आत्माएं रहती है। कुछ समय पहले वहां कुएं में गिरकर कुछ लोगों की मौत हो गई थी जिनकी आत्मा भी अभी तक वहां घूमती है और लोगों को अलग-अलग तरह से बहुत परेशान करती है। आखिर तुम वहां गए क्यों तुम्हें क्या जरूरत थी वहां जाने की। लड़का मानो इन सब बातों को सुन ही नहीं रहा था और बुरी तरह घबराया हुआ था। पता नहीं सुमन की सास को अचानक क्या हुआ वह भागी भागी गई और कुछ समय बाद अपने हाथों में एक पुड़िया लेकर आई। उसमें से कुछ निकाल कर उन्होंने अपने बेटे के माथे पर लगाया और उसके तुरंत बाद ही उनके बेटे को नींद आ गई। उन्होंने कहा कि यह सो रहा है और अभी इसे आराम करने दो , उठने के बाद भी इससे इस बारे में कोई बात नहीं करेगा और ना ही मैं किसी भी तरह का इस बात को लेकर जिक्र चाहती हूं। मां जी अपने परिवार को इतना बोल कर अपने कमरे में चली गई और जाप करने लगी।

इसके बाद परिवार के अन्य सदस्य भी धीरे-धीरे अपने-अपने कमरों में चले गए और अपने-अपने काम में लग गए। थोड़ी ही देर में सुमन के देवर की नींद खुल गई और वह बहुत खुश, बहुत फिट महसूस कर रहा था। मानो उसे कुछ हुआ ही न हो और उसके मन में किसी प्रकार की कोई हलचल न हो। वह पूरी तरह खुश नजर आ रहे थे। उसके बाद काफी समय ऐसे ही बीत गया और सब लोग सुख पूर्वक अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे।

एक दिन सुमन की ननद सुबह-सुबह उठ कर माजी के कमरे में चली गयी और बिना कुछ देखे चाय के लिये कह रही थी, “माँ मैं आपके लिए चाय लाई हूँ, चाय पीजिये”। यह कहकर वह माजी की ओर बढ़ने लगी। माजी अभी भी अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी। जैसे ही वह माजी जी के पलंग की ओर बढ़ती है और माजी के पलंग से पर्दा हटाने लगती है तो पाती है कि माजी जी तो थे ही नहीं। जैसे ही उसने चादर हटाई तो उसे एक अजीब सा साया जैसा कुछ दिखाई दिया, जिसे देखकर वह बुरी तरह डर गई। उसमें से कुछ बहुत ही अजीब हल्की रोशनी और हल्का धुंआ निकल रहा था। जिसे देखकर किसी के भी पसीने छूट जाएंगे। जैसे ही वह घबराहट में थोड़ा पीछे हटने लगी, तभी अचानक पूरे कमरे में रोशनी टिमटिमाने लगी और चारों ओर अंधेरा छा गया। उसी समय हल्की खनखनाहट और किसी के फुसफुसाहट की आवाज आई। आवाज इतनी धीमी थी कि किसी के लिए भी कुछ सुनना या समझना मुश्किल था। वहां का माहौल बेहद डरावना और खतरनाक लग रहा था। सुमन की भाभी के होश उड़ गए थे और उन्हें कुछ भी होश नहीं था। वहां इतना कुछ देखने को मिला था कि वह चीख पड़ी और बेहोश होकर गिर पड़ी।

to be continued…..

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