कहानी: पिता की सीख

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Story

रश्मि का विवाह जगन्नाथ जी ने बहुत ही भव्य तरीके से किए था। अपनी सामर्थ्य के हिसाब से उन्होंने बहुत दिया। कर्ज भी बहुत सिर पे चढ़ गया था। इकलौती बेटी को ससुराल वाले ज्यादा न सुनाए, इसके लिए उन्होंने ये सब किया था। बेटी ने कितना कहा पापा मुझे अपने पैरों पे खड़ा होना है पर बीवी अक्सर बीमार रहा करती तो उन्होंने सोचा चलोबीवी की बात मान लेते हैं। वरना बेटियाँ तो इतनी प्यारी होती हैं कि उन्हे कौन विदा करना चाहता है। पर यही रीत है। राजा जनक को भी बेटी विदा करनी पड़ी थी तो हम कैसे बेटी को रख सकते हैं।

अपनी हैसियत के हिसाब से जगन्नाथ जी ने बहुत देन-लेन किया था। लेकिन बेटी की सास का चेहरा देख के लग नही रहा था कि वो खुश हैं। रश्मि की माँ कह रही थी, “हाय मेरा दिल बैठा जा रहा है। जाने कैसे लोग हैं। फूल सी बेटी दे दी, फिर भी चेहरे कैसे बना रखें हैं। जाने कैसे रखेंगे मेरी बेटी को..”।

विदाई के बाद रात आंखो में ही कटी। राजेश, रश्मि का भाई पगफेरे की रस्म के लिए रश्मि को लेने गया। वहाँ भी अच्छे से उसका स्वागत नही हुआ। राजेश को कुछ सही नही लगा। अब रश्मि मायके में थी। अपने घर में, जिसमे उसने पहली बार आँख खोली, चलना सीखी, सपने देखे। बचपन से ये ही सुनते आई थी कि तुम्हें पराये घर जाना है। उधर ससुराल में सबने कहा अब यही तुम्हारा घर है। लेकिन अपना सा क्यों नही था ये घर? माँ के आंचल की महक क्यों नही है यहाँ? ऐसे ही सवाल रश्मि के अंतर्मन में चल रहे थे, पर जवाब किससे मांगे।

विवाह के बाद पहली बार मायके आयी बेटी का स्वागत सप्ताह भर चला। सप्ताह भर बेटी को जो पसन्द है, वो सब किया गया। वापस ससुराल जाते समय पिता ने बेटी को एक अति सुगंधित अगरबत्ती का पुडा दिया और कहा कि बेटी तुम जब ससुराल में पूजा करोगी तब यह अगरबत्ती जरूर जलाना। माँ ने मन्द स्वर में कहा “बिटिया प्रथम बार मायके से ससुराल जा रही है, तो भला कोई अगरबत्ती जैसी चीज देता है?”

पिता ने झट से जेब मे हाथ डाला और जेब मे जितने भी रुपये थे, वो सब बेटी को दे दिए। जगन्नाथ जी ने और उनकी पत्नी ने महसूस किया था कि बेटी के चेहरे पे जो रौनक थी वो अब गायब थी। वो एक ही रात में पराई हो चुकी थी। वरना वो एक बर्थडे पार्टी से आती तो पूरी रामायण सुना देती। आज तो ससुराल से आई है फिर भी कुछ नही कहा। समझ तो दोनो लोग रहे थे पर एक दूसरे से नज़रे चुरा रहे थे।

ससुराल में पहुँचते ही सासु माँ ने बहु का बैग टटोला और पूछा कि तुम्हारे माँ बाप ने बिदाई में क्या दिया? कुछ विशेष न मिलने पर उनकी नजर अगरबत्ती के पुडे पर पड़ी। क्रोधवश सासु माँ ने मुँह बना कर बहु को बोला कि कल पूजा में यह अगरबत्ती लगा लेना। सुबह जब बेटी पूजा करने बैठी, अगरबत्ती का पुडा खोला तो उसमे से एक चिट्ठी निकली।

लिखा था…..
बेटी यह अगरबत्ती स्वतः जलती है, मगर संपूर्ण घर को सुगंधित कर देती है। इतना ही नही, आजू-बाजू के पूरे वातावरण को भी अपनी महक से सुगंधित एवं प्रफुल्लित कर देती है…!! हो सकता है कि तुम कभी पति से कुछ समय के लिए रुठ जाओगी या कभी अपने सास-ससुरजी से नाराज हो जाओगी, कभी देवर या ननद से भी रूठोगी, कभी तुम्हे किसी से बाते सुननी भी पड़ जाए या फिर कभी अडोस-पड़ोसियों के बर्ताव पर तुम्हारा दिल खट्टा हो जाये। तब तुम मेरी यह भेंट ध्यान में रखना। अगरबत्ती की तरह जलना। जैसे अगरबत्ती स्वयं जलते हुए पूरे घर और सम्पूर्ण परिसर को सुगंधित और प्रफुल्लित कर ऊर्जा से भरती है, ठीक उसी तरह तुम स्वतः सहन करते हुए ससुराल को अपना मायका समझ कर सब को अपने व्यवहार और कर्म से सुगंधित और प्रफुल्लित करना।

बेटी चिट्ठी पढ़कर फफक-फफक कर रोने लगी। सासू माँ दौड़कर आयी, पति और ससुरजी भी पूजा घर मे पहुँचे, जहाँ बहु रो रही थी। “अरे हाथ जल लग गया क्या?पति ने पूछा। “क्या हुआ यह तो बताओ- ससुरजी बोले। सासु माँ आजू-बाजू के सामान में कुछ है क्या- यह देखने लगी तो उन्हें पिता द्वारा सुंदर अक्षरों में लिखी हुई चिठ्ठी नजर आयी। चिट्ठी पढ़ते ही उन्होंने बहु को गले से लगा लिया और चिट्ठी ससुरजी के हाथों में दी। चश्मा ना पहने होने की वजह से चिट्ठी बेटे को देकर पढ़ने के लिए कहा। सारी बात समझते ही संपूर्ण घर स्तब्ध हो गया।

सासु माँ उच्च स्वर में बोली, “अरे यह चिठ्ठी फ्रेम करानी है। यह मेरी बहू को मिली हुई सबसे अनमोल भेंट है। पूजा घर के बाजू में ही इसका फ्रेम होनी चाहिए” और फिर सदैव वह फ्रेम अपने शब्दों से सम्पूर्ण घर, और अगल-बगल के वातावरण को अपने अर्थ से महकाता रहा, और अन्ततः अगरबत्ती का पुडा खत्म होने के बावजूद भी उसकी महक परिवार में बनी रही।

  • क्या आप भी ऐसे संस्कार अपनी बेटी को देना चाहेंगे?
  • क्या बहु कभी बेटी बन पायेगी?
  • क्या सास कभी माँ बन पायेगी?
  • क्यों बहु की गलतियों को बेटी की तरह माफ़ नहीं किया जाता?

ऐसे ही कुछ सवालों के साथ आपको छोड़े जा रही हूँ। अपनी प्रतिक्रिया कमेंट बॉक्स में जरूर दीजियेगा।

2 COMMENTS

  1. क्या बात क्या बात
    वल्लाह वल्लाह शुभानाल्हा

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