लालकृष्ण आडवाणी: भारतीय राजनीति का दृढ़प्रतिज्ञ नेतृत्वकर्ता एवं कुशल शिल्पकार

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भारतीय राजनीतिक पटल पर सबसे अनुभवी राजनीतिज्ञों में से एक एवं भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष- कद्दावर नेता लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) को 3 फरवरी, 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) द्वारा भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित किया गया है। यह एक कुशल नेतृत्वकर्ता के राजनीतिक योगदान का विलंब से ही सही, यथोचित सम्मान है।

8 नवंबर, 1927 ई. को कराची (Karachi), वर्तमान पाकिस्तान में जन्मे, आडवाणी (Lal Krishna Advani) ने भारत के विभाजन के आघात और उससे उपजी त्रासदी का साक्षात् अनुभव किया और अपना पूरा जीवन राष्ट्र-निर्माण एवं राष्ट्र-उत्थान के लिए समर्पित कर दिया। वह एक प्रचारक (पूर्णकालिक कार्यकर्ता) के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में सम्मिलित हुए और बाद में अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) के साथ भाजपा के संस्थापक सदस्यों में से एक बन गए।

लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) सन् 1986 से 1991 ई. और फिर सन् 1993 से 1998 ई. तक सबसे लंबे समय तक भाजपा के अध्यक्ष रहे। उन्होंने पार्टी को सन् 1984 ई. में केवल दो लोकसभा सीटोंवाली एक सीमीत पार्टी से सन् 1991 में 120 सीटों के साथ एक मजबूत ताकत के रूप में बदल दिया। इस क्रम को निरंतर अग्रगामी बनाते हुए सन् 1998 ई. में पार्टी को 182 सीटोंवाली पार्टी में परिवर्तित कर दिया। उन्होंने सन् 1998 से सन् 2004 ई. और सन् 2009 से सन् 2014 ई. तक लोकसभा में विपक्ष के नेता के रूप में भी कार्य किया।

लालकृष्ण आडवाणी को व्यापक रूप से महान् बौद्धिक क्षमता, मजबूत सिद्धांतों और एक मजबूत और समृद्ध भारत के विचारों के प्रति अटूट आस्था एवं समर्थनवाले व्यक्ति के रूप में जाना-माना जाता है। जैसा कि अटल बिहारी वाजपेयी ने पुष्टि की है, ” उन्होंने राष्ट्रवाद में अपने मूल विश्वास से कभी समझौता नहीं किया है और फिर भी जब भी स्थिति की माँग हुई, उन्होंने राजनीतिक प्रतिक्रियाओं में लचीलापन प्रदर्शित किया है।” उन्हें व्यापक रूप से भाजपा के सबसे प्रभावशाली और सम्मानित नेताओं में से एक माना जाता है, जिन्होंने इसके कई प्रमुख सदस्यों को न केवल सलाह दी, वरन् उनका निर्माण किया। उन्हें देश भर में, विशेषकर शहरी मध्यम वर्ग और युवाओं के बीच पार्टी का आधार और अपील बढ़ाने का श्रेय भी दिया जाता है। उन्होंने “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास” (सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास) का नारा दिया, जो मोदी सरकार का मार्गदर्शक सिद्धांत बन गया।

भारत रत्न सम्मान, जिसका शाब्दिक अर्थ है “भारत का गहना”, को मानव प्रयास के किसी भी क्षेत्र में किसी भी व्यक्ति द्वारा प्रदान की गई उच्चतम स्तर की असाधारण राष्ट्रीय सेवा का सम्मान करने के लिए 1954 में स्थापित किया गया था। इस सम्मान/ पुरस्कार में पीपल के पत्ते के आकार का एक पदक शामिल होता है, जिस पर प्लैटिनम सूर्य का प्रतीक और “भारत रत्न” शब्द अंकित होता है। यह पुरस्कार प्रधान मंत्री की सिफारिश पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया जाता है। इस सम्मान/ पुरस्कार के पिछले सम्मानित होनेवालों में महात्मा गाँधी, जवाहरलाल नेहरू, राजेंद्र प्रसाद, सी. राजगोपालाचारी, भगवानदास, एम. विश्वेश्वरैया, वल्लभभाई पटेल, सर्वपल्ली राधाकृष्णन, सी.वी. रमन, राजीव गाँधी , ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, सचिन तेंदुलकर और अटलविहारी वाजपेयी के नाम सम्मिलित हैं।

लालकृष्ण आडवाणी को एक सांसद, एक मंत्री, एक पार्टी नेता और एक राजनेता के रूप में राष्ट्र के प्रति उनके उत्कृष्ट योगदान हेतु इस सम्मान के लिए चुना गया था। उनकी राजनीतिक यात्रा सात दशकों से अधिक लंबी है और उनका योगदान देश की प्रगति और विकास में महत्वपूर्ण रहा है। आडवाणी के शुरुआती वर्षों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के आदर्शों के प्रति उनका उत्साहपूर्ण समर्पण था, जो एक राष्ट्रवादी संगठन था, जिसमें वह 14 साल की उम्र में शामिल हुए थे। वह एम.एस. गोलवलकर जैसे आरएसएस के नेताओं से गहराई से प्रभावित थे। गोलवलकर और दीनदयाल उपाध्याय, जिन्होंने उनमें देशभक्ति, अनुशासन और सेवा की भावना पैदा की।

जनता पार्टी और भाजपा के साथ लालकृष्ण आडवाणी का जुड़ाव भारतीय राजनीति में एक मजबूत रूढ़िवादी/ परंपरावादी उपस्थिति स्थापित करने में महत्वपूर्ण था। वह सन् 1980 ई. में अटलविहारी वाजपेयी के साथ भाजपा के संस्थापक सदस्यों में से एक थे, जो उनके आजीवन मित्र और गुरु बने रहे। उन्होंने छह बार भाजपा के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया और पार्टी को उन्होंने कई चुनावी जीत दिलाई। वह तीन बार लोकसभा में विपक्ष के नेता भी रहे।

उन्होंने भाजपा के गठबंधन के आधार का विस्तार करने और क्षेत्रीय दलों के साथ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने सन् 1998 से 2004 ई. तक वाजपेयी के नेतृत्ववाली एनडीए सरकार में उपप्रधान मंत्री और गृहमंत्री के रूप में कार्य किया और कई उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल कीं, जैसे पोखरण-द्वितीय परमाणु परीक्षण, लाहौर बस सेवा शुरू करना, पाकिस्तान के साथ शांति प्रक्रिया शुरू करना, इत्यादि। उन्होंने कारगिल युद्ध की जीत की देखरेख करना, आतंकवाद निरोधक अधिनियम (पोटा) को लागू करना और ग्रामीण विकास के लिए भारत निर्माण जैसे कार्यक्रम आरंभ किए।

भारत के उपप्रधानमंत्री और गृहमंत्री के रूप में, लालकृष्ण आडवाणी ने राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून प्रवर्तन को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके कार्यकाल में पुलिस बल के आधुनिकीकरण और आतंकवाद और उग्रवाद जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को संबोधित करने में महत्वपूर्ण प्रगति देखी गई। उन्होंने सन् 2002 ई. में आतंकवाद निरोधक अधिनियम (पोटा) शुरू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसने अधिकारियों को आतंकवाद से लड़ने के लिए और अधिक शक्तियाँ प्रदान कीं। उन्होंने विभिन्न खतरों और आपात स्थितियों के प्रति देश की तैयारियों और प्रतिक्रिया को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद, राष्ट्रीय जांच एजेंसी और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की भी स्थापना की।

इस अवधि के दौरान उनके व्यावहारिक दृष्टिकोण और निर्णायक कार्यों ने देश की स्थिरता और सुरक्षा में योगदान दिया। सन् 1999 ई. में कारगिल युद्ध से निपटने के लिए उनकी व्यापक प्रशंसा की गई, जहाँ उन्होंने पाकिस्तानी घुसपैठियों को भारतीय क्षेत्र से बाहर निकालने के लिए सफल सैन्य अभियान का समन्वय किया। सन् 1998 ई. में पोखरण परमाणु परीक्षणों में उनकी भूमिका के लिए भी उनकी सराहना की गई, जहाँ उन्होंने परमाणु विस्फोट करने के निर्णय का समर्थन किया, जिसने भारत की वैज्ञानिक और रणनीतिक शक्ति का प्रदर्शन किया।

राजनीति से परे, लालकृष्ण आडवाणी संसदीय लोकतंत्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और रचनात्मक बहस की वकालत के लिए जाने जाते हैं। एक सांसद के रूप में, उन्होंने लगातार लोकतांत्रिक मूल्यों के महत्व और राष्ट्र के सामने आनेवाली चुनौतियों से निपटने के लिए सार्थक बातचीत की आवश्यकता पर जोर दिया। उनके वक्तृत्व कौशल, उनकी वैचारिक प्रतिबद्धता, उनकी रणनीतिक दृष्टि, उनके मार्गदर्शन और उनकी सत्यनिष्ठा के लिए उन्हें व्यापक रूप से सम्मान दिया जाता है। उन्होंने नरेंद्र मोदी, प्रमोद महाजन, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज और अमित शाह जैसे कई राजनीतिक नेताओं और कार्यकर्ताओं को प्रभावित और प्रेरित किया है।

आडवाणी को उनकी सार्वजनिक सेवा के लिए कई पुरस्कार और सम्मान मिले हैं, जैसे सन् 2015 ई. में भारत का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण, सन् 1999 ई. में उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार और सन् 2016 ई. में भारतीय राजनीति में उनके योगदान के लिए लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड। उन्होंने कई किताबें भी लिखी हैं, जैसे ‘माई कंट्री माई लाइफ़’ , ‘ए प्रिज़नर्स स्क्रैप-बुक’, और ‘द बीजेपी: ए पॉलिटिकल बायोग्राफ़ी’ इत्यादि। 

भारतरत्न न केवल लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) के राजनीतिक करियर की स्वीकृति है, बल्कि राष्ट्र की सेवा के लिए उनकी राजनीति कौशल और समर्पण की भी मान्यता भी है। उनको भारतरत्न प्रदान करने में आडवाणी के अनुसार, सरकार सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि दृढ़ नेतृत्व, दृढ़ विश्वास और राष्ट्र की सेवा के प्रतीक का सम्मान करती है। आडवाणी की विरासत पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी और यह पुरस्कार उस राजनेता के प्रति सच्ची श्रद्धा है, जिसने भारत की नियति को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस बहाने भारतीय राजनीति के एक कुशल राजनीतिज्ञ एवं भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष शिल्पकार  को आदर और सम्मान देना सुखद है।