भाग- 2: वो आखिरी रात

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जाने क्या जादू टोना हो गया था। उसे पहले तो बहुत मजा आया था लेकिन अब लग रहा था कि वो किसी खुबसूरत जादूगरनी के हाथ की कठपुतली हो गया है। अब धीरे धीरे शरीर से ताक़त भी चली जा रही थी लेकिन शरीर में ताकत नहीं रहने पर भी उसको वो काम करने के लिए मना लेती। इतना सब होने के बाद रात में मैडम को अलग से पर्सनल सर्विस चाहिए थी। अब रमेश खुल कर सांस लेना चाहता था। भाग जाना चाहता था। उसे मां की याद आती। अपनी बकरिया याद आती। भाई याद आते, जिनके साथ एक ही बिस्तर पर सब कश्मकश करके सोते थे …।

उधर झुनकी जानती थी कि उसकी जवानी जा चुकी है। शेरनी अब बूढ़ी हो चुकी थी। अब उसके पास कोई नही आने वाला, इसलिए इसको अपने पास ही रखना होगा और समाज में सब जान तो रहे थे लेकिन उसके शान में कोई कमी नही हुई थी…।

उधर रमेश के सारे भाई बड़े हो रहे थे और वो भाई को समझा नही पा रहे थे कि शादी कर ले। तुमसे पहले हम कर लेंगे तो लोग क्या कहेंगे? कुछ मदद नहीं करेगा तो घर कैसे बनेगा? सरकार इंदिरा आवास तभी देगी जब तुम्हारी शादी ब्याह होगा लेकिन रमेश को ये सब कहाँ सूझता था। उसे तो बस झुनकी ही दिखती थी। न उसके गालों में आ रही झुर्रियां नजर आ रही थी न बूढ़ा होता चाचा। अब तो झुनकी ने इस साल बड़े लड़के की शादी भी कर दी की उसके उम्र के शादी हो रही थी और रमेश की मां यह सब देख कर कुढ़ रही थी की मेरे लड़के का घर तो नही बसने दे रही लेकिन अपना सब कर रही है। फिर बेटी भी व्याह देगी।

अब बहू के आने से झुनकी ने रमेश को घर में रहने तो दिया लेकिन बहू से कहती इसका कोई नही है। मां बाप तो हैं पर घर से निकाल दिया है। इसलिए इसको इधर रखा है। दो रोटी खायेगा और बदले में घर की रखवाली करता रहेगा। बहू कम उम्र की थी उसने सिर हिला दिया लेकिन बात उसको हज़म नहीं हुई। फिर उसने कई बार इस तरह की हरकतें देखी जोकि नाकाबिले बर्दाश्त थी ….। फिर उसने अपने पति से हिचकिचाते हुए इस बात की चर्चा की। वो लड़का तो बचपन से उसको अपने घर में देखता आ रहा था सो उसके लिए नई बात नही थी। पर वो मां से कैसे बात करे तो उसने एक उपाय निकाला। अब वो बेमतलब उसको ताना दे देता। गाली गलौच कर लेता ताकि वो चला जाए लेकिन रमेश क्या करता उसने तो ज़वानी और पैसे सब इसमें लगा दिया। अब शरीर इतना कमजोर हो गया था कि उम्र से 10 साल बड़ा ही लग रहा था। न कभी उसने ब्याह करना चाहा। घर वालों ने कहते कहते कोशिश ही करनी छोड़ दी। इसके चक्कर में छोटे भाईयों की भी उम्र निकल गई। जैसे तैसे मां ने कह सुन कर बाकी भाइयो का घर बसाया ….।

झुनकी की लड़की बड़ी हो रही थी। सुंदर तो वो थी लेकिन कोई इस घर में रिश्ता नही करना चाह रहा था। इस बात को झुनकी का बड़ा बेटा बखूबी समझ रहा था …। उसने एक दिन मौका देख कर जब रमेश झुनकी की बहू से पानी मांग रहा था। पानी का ग्लास देते वक्त रमेश की हाथ उसके बहू के हाथ से टकरा गया। दरअसल वो कमजोरी के मारे ठीक से देख नही पा रहा था और हाथ टकरा तो गया लेकिन गलती से। अब झुनकी के बेटे ने इसका फायदा उठा कर कि मेरी बीबी को छेड़ रहा है। बस उसने तिल का ताड़ बनाया और उसको घर से निकाल देने की जिद करने लगा। फिर क्या था उसने इसी बहाने से अन्न जल त्याग दिया कि अब जब तक ये नही घर से जायेगा तब तक मैं पानी का एक बूंद भी नही लूंगा। फिर अब झुनकी क्या करे? बड़े बेटे में तो उसकी जान बसती थी। उसने सोचा एकाध दिन में मामला शांत हो जायेगा लेकिन घर में सब मौन होकर झुनकी के बड़े बेटे का ही समर्थन कर रहे थे। अब झुनकी का पति भी फैक्ट्री में कार्य करने में असमर्थ था। सो फैक्ट्री वालों ने उसे घर बैठें रहने की सलाह दी ….।

अब रमेश बेबस था कि जवानी तो निकल गई। दो पैसे भी नही थे उसके पास। किस मुंह से मां बाप के सामने जाए। जब भाईयों ने घर बनने के समय मदद मांगी तब भी वो नही गया। धन से नही तो शरीर से कर ही सकता था। उसका मन था लेकिन झुनकी ने बेबस कर रखा था। सो अब वो क्या करे लेकिन मां बाप ने उसे अपने घर में आने दिया। खाने के लिए अन्न दिया। रहने के लिए जगह दिया। सब मिल गया लेकिन मन को संतुष्टि नही मिल रही थी। जिस झुनकी के लिए जग छोड़ा। अब वो छूट रही थी या छूट गई थी। कुछ समझ में ही नही आ रहा था। अब वो इधर करवटें बदल रहा था और झुनकी उधर ….।

झुनकी के पति ने जवानी इस औरत के चक्कर में फैक्ट्री में लगा दी कि इसकी लाली लिपस्टिक की कमी न हो और ये हमेशा सुंदर दिखे। दूध दही खाए। उसे याद नहीं कि कभी उसने पूरी और पराठा खाया होगा ….। कभी एक बनियान नही खरीदी। हमेशा फटे जूते और कपड़े पहने, ताकि ये नई साड़ी पहने। आज जब वो अभी भी जवान और सुंदर लग रही थी और उसने उसकी पूरी उम्र उसके इंतजार में ये सोच कर गुजार दी कि वो कहेगी कि अब बच्चे बड़े हो गए, अब घर आ जाओ। बहू बनाएगी, हम छत पर बैठ कर खायेंगे। चाय पियेंगे। बस इतना सा ही सपना था लेकिन उसने कभी नहीं कहा वापिस आ जाओ। अब कमाने की जरूरत नहीं। चलो कोई न अब तो बढ़िया व्यवहार कर लेती ….।

बदले में उसने एक टूटी चारपाई और पुराना चादर दे दी और कह दिया तुम दिन भर खांसी करते हो। मेरी नींद टूट जाती है। इसलिए यहीं परे रहो…। झुनकी के पति की आंखों के आगे अंधेरा छा गया ….। अब वो खुद ही चाहने लगा कि मौत आए और उसे अपनी बांहों में समेट ले और वो सुकून से सो जाए। ये इच्छा उसकी पत्नी कभी नही पूरी कर पाएगी और सर्द आंहे भरने लगा….।

झुनकी के लिए बहुत मुश्किल हो रहा था रात काटना। ये पलंग उसने बहुत शौक से लुहार को घर पर रख के तब बनवाया था जब वह रमेश के अलावा किसी और को उस पर नही आने देना चाहती थी। उसका वश चलता तो और भी लोग पलंग शेयर कर सकते थे लेकिन हालात अब उसके वश में नही थें। सो अब रमेश ही उसका आख़िरी प्यार हो गया था …..।

आज उसने निश्चय किया कि ये रात आख़िरी थी रमेश के बिना। अब वो उसके बगैर नहीं रहेगी। सो वो उठी। अब उसने एक एक करके सबको जाकर निहारना शुरू किया। शायद ये आख़िरी बार था कि वो सबको इतने सुकून से देख रही थी। उसने सबसे पहले छोटे बेटे को देखा, जो कल ही उसके लिए नई साड़ी लाया था। उसने अपनी कमाई से पहली बार कुछ खरीदा था। उसने बेटे की बलाएं ली, फिर वो बेटी के पास गई। उसके लिए उसने जाने कितने साड़ी, कपड़े, और दो जोड़े चांदी के पायल और एक सोने की छोटी सी नथ बनवा के एक ट्रंक रखा था कि शादी के बाद वो इस तरह से विदाई करेगी कि पूरा गांव देखता रह जायेगा। बेटी ने पायल को हाथ भी नही लगाया था। उसने कहा था कि ये गंदे हो जायेंगे। शादी के बाद ही पहनूंगी। सो उसने एक जोड़ा उसको नींद में ही पहना दिया। अब वो गई बहू के पास जोकि पेट से थी और जाने कितने जोड़े कपड़े उसने हाथ से सिल कर बना लिया था। स्वेटर, छोटे छोटे मौजे सब एक से बढ़कर एक थे ….।

फिर वो बड़े बेटे और पति के पास गई और सबको नजर भर देख लिया। फिर उसने चाय बनाई और उसमें उसने एक पुड़िया डाल दी। वो पुड़िया जो उसके पूरी दुनिया को बदल देने वाला था ….। उसने थोड़ा शक्कर ज्यादा मिला कर उसमें डाल दिया और सबको दे आई…।

अब थोड़ी देर में पूरा घर शांत हो गया। वो नहा कर बेटे की पहली कमाई की साड़ी जो वो लेकर आया था, उसको पहन कर बेटे को दिखाया लेकिन वो तो सुन्न हो चुका था। वो बेटे की बलाएं लेकर मंदिर गई और रमेश को घर आने का भी इशारा कर दिया। अब झुनकी के बड़े बेटे का दोस्त उससे मिलने किसी जरूरी काम से आया तो उसने देखा सब बेहोश पड़े थें। अब उसने जल्दी से एंबुलेंस बुलाया और सबको हॉस्पिटल ले गया। डॉक्टर ने पुलिस को बताया। झुनकी के बड़े बेटे का दोस्त जो उसका साला भी था।

उसने जल्दी से पुलिस बुलायी। डॉक्टर ने चेकअप शुरू किया। वो कितना खुश था कि वो मामा बनने वाला था। अब इस पागल औरत ने पूरा खानदान ही तबाह कर दिया। अब उसने जल्दी से लिखित शिकायत दर्ज करवाई। पुलिस गई और महिला पुलिस ने जैसे ही दो थप्पड़ मारा, झुनकी ने सब बताया कि कैसे रमेश ने ज़हर लाने में उसकी मदद की। वो मना कर रहा था। ये सही नही पर वो सुन नही रही थी….। उसने जबसे प्यार किया था, तब से बस उसकी हर जायज़ नाजायज मांग को बिना किसी शर्त के मानी थी लेकिन ये जान बूझकर इन लोगों ने अपने नाजायज रिश्ते के लिए पांच जान और एक नन्हा सा जान जिसने दुनिया में कदम भी नही रखा था प्यार का नाम तो कुर्बानी देना होता है इन्होंने तो कुर्बानी ले ली ….। अब दोनों एक साथ तो हैं लेकिन दीवार का फर्क है, अभी भी शायद पूरी उम्र के लिए …..।