प्यार तूने क्या किया

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ऋषि आज बहुत टेंशन में था क्योंकि रिया पता नही किधर रह गई थी…। हॉस्पिटल से तीनों साथ में निकले थे। रिया, ऋषि और लक्ष्य उनका बेटा..। लेकिन ऋषि को ऑफिस से अर्जेंट कॉल आ गया और उसको जाना पडा…। रिया बोली कोई नही हम ऑटो कर लेंगे। ऋषि बोला नही ओला कर देता हूँ। पर वो मानी ही नही, ऑटो कर ही निकली…।

मीटिंग में ऋषि इतना बिजी हो गया कि पूछ ही नही पाया। पापा के ऑपरेशन में भी इतनी अफरा तफरी हो गई। दिमाग थक सा गया। अब घर आया तो पता चला कि रिया और लक्ष्य घर ही नही पहुँचे…।

ऐसा पहली बार नही हुआ था कि रिया और लक्ष्य पहली बार अकेले बाहर निकले थे, पर ये क्या हुआ…। फ़ोन लगाया तो फोन घर में ही छोड़ रखा था। अब क्या करे? सारे मोहल्ले में ढूंढा, क्या पता किसी ने देखा हो किसी से मिली हो..। सारे रिश्तेदारो को फोन लगाया। किसी के घर चली गई हो। मन में अनजान ख्याल आता पर ऋषि मन के अंदर घुसने देने से भी डर रहा था…।

मुहल्ले वालों को पता चली बात तो तरह तरह की बातें बनाने लगे हाय कपड़े कैसे पहनती थी….। व्हाट्सएप पे स्टेटस कैसे-कैसे डालती थी। लड़कियों वालें तो लक्षण ही नही थे…। रील्स भी बनाती थी फेसबुक पे। मैंने देखा था इतनी मोटी कमर थी फिर भी पतली कमरिया हाय हाय करती रहती थी…। ऋषि जिनके पास भी जाता लोग एकाध बातें तो कान में डाल ही देते थे….। किसी ने ये तक भी कह डाला उसने तुम्हारे भोलेपन का फायदा उठाया है…। चूना लगा गई साथ में तुम्हारे बेटे को भी ले गई। वो जिसका बेटा नही वो भला क्या तुम्हारे बेटे की कद्र करेगा…।

ये सुन-सुन कर उसका दिल बैठा जा रहा था…। पुलिस स्टेशन गया तो रिया की पिक देखकर पुलिस वाला भी यही सब सुना रहा था कि ये किसी के साथ चली गई है…। ऋषि का मन मान ही नही रहा था…। वो लगभग गिड़गिड़ाने लगा तो पुलिस वाले ने कहा हम 24 घंटे बाद रिपोर्ट लिखेंगे। तुम इंतजार करो, वो न आई तो लिख लेंगे…। लेकिन वो अब आने वाली नही इतना तो पक्का है…।

ऋषि को अपने बेटे की बहुत ज्यादा फिक्र हो रही थी। जाने कैसे होगा। मेरे बिना तो सोता भी नही। मैं न रहा तो मेरी शर्ट उसके पास रख देती थी रिया। किस हाल में होगा मेरा बेटा और मेरी बीवी। ये सोच सोच के दिल बैठा जा रहा था…। सड़कों पे रात भर गाड़ी चलाते-चलाते हाथ में छाले पड़ गए, पर कहीं कुछ दिख नही रहा था। अंधेरा हर तरफ ऋषि के साथ उसके फैमिली और दोस्त भी रिया और लक्ष्य को रात भर ढूंढते रहे लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा…।

सुबह पुलिस स्टेशन की तरफ फिर भागा…। पुलिस ने इस बार मामले को गंभीरता से लिया क्योंकि ऋषि की हालत देख पत्थर को भी दया आ जाती लेकिन वो तो इंसान थे आख़िर। लोकेशन ट्रेस कर नही सकते क्योंकि फोन तो घर में ही था… उन्होंने जाँच के लिए रिया का फोन माँगा ऋषि ने झट से निकाल कर दिया क्योंकि वो उसके पास था। सोचा क्या पता इसी पे कोई कॉल आ जाए…। पुलिस ने व्हाट्सएप खोलने को कहा तो ऋषि गुम क्योंकि वो कभी भी उसे कोड नही बताती थी और फोन भी नही छूने देती थी…।

पुलिस ने कहा “आप चिंता मत कीजिये हम कोड unlock करवा लेंगे, आप घर जाएं। जैसे ही कुछ पता चला आपको इनफॉर्म करेंगे। आप घर जाकर आराम करें”…। ऋषि थके कदमों से घर वापिस आया…। उसे समझ नही आ रहा था आखिर दोनों गए किधर…। आसमान खा गया या ज़मीन निगल गई…। रिया को कोई प्राब्लम थी। शेयर करती मेरे बेटे को क्यों मुझसे दूर कर दिया। एकबार भी मेरे लिए नही सोचा मैं कैसे रहूंगा उसके बिना….।

ऋषि को याद आया वो देर रात तक किसी से चैट तो किया करती थी लेकिन उसने कभी पूछा ही नही। कभी ऋषि ने सोचा ही नही था ऐसा कुछ हो भी सकता है…। ऋषि को बस अपने बेटे की याद आ रही थी…। भगवान मेरी किस गलती की सजा मेरे बेटे को दे रहे हो…। मुझे मेरा बेटा वापिस चाहिए। मैं क्या करूं भगवान…। तब ऋषि की माँ भी कमरे में आ गई उनसे अपने बेटे की हालत देखी नही जा रही थी…।

ऋषि ने माँ को देखा तो लिपट के बच्चो के जैसे रोने लगा…। अब एक दिन, दो दिन, कई दिन बीत गए। न रिया आई न कोई खबर.. पुलिस ने उसके व्हाट्सएप को खोला तो उसने पाया कि एक रोनित नाम के लडके से कांटेक्ट में थी लेकिन सारी चैट उसने डिलीट कर दी थी और एक दिन पहले दोनो मिले थे। दोनो की लोकेशन सेम दिखा रहा था…। पुलिस अब उस आदमी की तलाश में थी….। ऋषि बेचारा न ऑफिस जाता न खाना खाता। करीब छ: महीने के बाद लगभग सबने उम्मीद छोड़ ही दी थी लेकिन ऋषि सड़को पर ही गाड़ी चलाता रहता।

एक दिन उसकी नज़र एक बच्चे पर पड़ी जोकि लक्ष्य की उम्र का ही था। रेड लाइट के पास सड़क पर खड़ा था। सहमा सा। उसकी शर्ट को देख ऋषि सहम गया क्योंकि ये शर्ट तो लक्ष्य का था। फिर गौर से देखा तो शक्ल बिलकुल लक्ष्य जैसी थी। और गौर से देखा कि कहीं ये लक्ष्य तो नही और वो लक्ष्य ही था। छ: महीने से शायद उसने यही शर्ट पहनी थी और न नहाने की वजह से ऐसा गंदा और खाना न मिलने की वजह से इतना काला सा लग रहा था….।

ऋषि ने गाड़ी रोकी और बेटे को गले लगा कर बेतहाशा रोने लगा….। बच्चा भी पापा को पकड़ के रोने लगा। लोग गाड़ी रोक-रोक के देखने लगे कि आखिर ये इतनी बड़ी गाड़ी का मालिक रोड के बच्चे को क्यों गले लगा कर रो रहा है….? फिर लक्ष्य ने कहा पापा बहुत जोर से भूख लगी है कुछ खिला दो….। ऋषि जल्दी उसे एक रेस्टॉरेंट में ले गया। लक्ष्य उधर खाने को देखकर इस तरह टूटा जैसे उसने पिछले छ: महीने से कुछ भी भी नहीं खाया हो ऋषि कुछ भी नही पूछ पा रहा था….।

फिर लक्ष्य ने बताया, आपके जाने के बाद मम्मी रोज़ एक अंकल से वीडियो कॉलिंग पे बात करते थी। उस दिन हॉस्पिटल से आने के बाद वही अंकल हमें लेने आए थे। उन्होंने मम्मी को बहुत सारी शॉपिंग करवायी…। मम्मी ने बताया था ये तुम्हारे नए पापा हैं.. मैं उन्हें अंकल कहता तो वो अकेले में कहते तुम्हे रोड पे छोड़ दूँगा… तेरी मम्मी को बेच दूँगा… और मुझे एक दिन अकेले शॉपिंग के लिए लेकर गए और रोड पे छोड़ दिया। मैंन अंकल के सामने कितने हाथ पैर जोड़े। मुझे मेरे पापा के पास जाना है लेकिन उन्होंने एक नही सुनी और रोड पे छोड़ दिया…।

मैं बहुत रोया। कभी सोता तो गाड़ियों की आवाज़ से डर जाता…। मुझे कभी कोई बिस्कुट दे देता कभी कुछ भी नही…। मुझे पता था आप गाड़ी चलाते-चलाते एक दिन मुझे ढूंढ लोगे….। पाँच साल का लक्ष्य। मेरा बेटा। कितने कष्ट सहे तुमने। ऋषि ने अपने बेटे को कलेजे से चिपका लिया…। अब उसे रिया की बिल्कुल भी फिक्र नही थी। अब उसके साथ जो होगा, उसकी जिम्मेदार वो खुद होगी….। उसने ऋषि के भरोसे को एकदम से तोड़ दिया था…।