डिजिटल पेमेंट (Digital Payment) को बढ़ावा देने के लिए सरकार के साथ भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा भी कई कदम उठाए जा रहे हैं। इसके बावजूद देश में नकदी यानी कैश की मांग में तेजी देखने को मिल रही है। डिजिटल पेमेंट यानी यूपीआई (UPI) के बाद माना जा रहा है कि कैश फ्लो में कमी आएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कैश विड्ऱॉल को लेकर देश की अग्रणी कैश लॉजिस्टिक्स कंपनी सीएमएस इंफोसिस्टम्स ने एक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2024 में हर महीने एक एटीएम से कैश विड्रॉ में 5.51 फीसदी की वृद्धि हुई। पढ़ें पूरी खबर….
CMS Infosystems की रिपोर्ट
कैश विड्रॉल को लेकर सीएमएस इंफोसिस्टम्स (CMS Infosystems) ने एक रिपोर्ट जारी किया है। बता दें कि सीएमएस इंफोसिस्टम्स भारत की अग्रणी कैश लॉजिस्टिक्स कंपनी है। कंपनी ने वार्षिक रिपोर्ट में बताया कि पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में एक एटीएम से हर महीने होने वाले कैश विड्रॉल में औसत 5.51 फीसदी (करीब 1.43 करोड़ रुपये) की वृद्धि देखने को मिली है। इसका मतलब है कि अभी भी कई लोग कैश से लेन-देन करना पसंद करते हैं।
कैश विड्रॉल में आई तेजी
रिपोर्ट के मुताबिक यूपीआई (UPI) जैसे डिजिटल भुगतान मोड में तेजी देखने को मिली है। ऐसे में कैश के उपयोग में भले ही गिरावट आई है। कंपनी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि वित्त वर्ष 2013 में स्वचालित टेलर मशीन (ATM) से हर महीने लगभग 1.35 करोड़ रुपये का कैश विड्रॉल हुआ। देश के महानगरों में औसत नकदी निकासी में 10.37 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इसके बाद एसयूआरयू (अर्ध-शहरी और ग्रामीण) में 3.94 प्रतिशत और अर्ध-महानगरों में 3.73 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
देश के लगभग आधे एटीएम को मैनेज करने वाली कंपनी ने भी कैश विड्रॉल को लेकर रिपोर्ट पेश किया। इनके रिपोर्ट के अनुसार मेट्रो स्थानों यानी महानगरों में एटीएम से नकदी निकासी में 37.49 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि एसयूआरयू में एटीएम से नकदी निकासी में 12.50 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। सरकारी लेंडर के मामले में 49 प्रतिशत एटीएम महानगरीय और शहरी क्षेत्रों में स्थित हैं। वहीं, प्राइवेट लेंडर वाले बैंकों में इनकी संख्या 64 प्रतिशत है, जबकि शेष एटीएम दोनों लेंडर के अर्ध शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में हैं।
एटीएम से कैश विड्रॉल के मामले में कर्नाटक देश में सबसे आगे है और इसके बाद 1.82 करोड़ रुपये के साथ दिल्ली और 1.62 करोड़ रुपये के साथ पश्चिम बंगाल है। ‘अनफोल्डिंग इंडियाज कंजम्पशन स्टोरी’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2024 में मीडिया और मनोरंजन सेक्टर में औसत खर्च 29.30 प्रतिशत बढ़ गया, जबकि वित्त वर्ष 23 में 21.94 प्रतिशत की गिरावट के बाद वित्त वर्ष 2024 में तेजी से आगे बढ़ने वाले उपभोक्ता वस्तुओं पर खर्च 16.76 प्रतिशत बढ़ गया।