वो बारिश की एक रात

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कुछ बातें हमारे समाज में हमेशा से मौजूद होती है और कही न कही सभी को पता भी होती है, पर सब चुप रहना ही पसंद करते है। कोई इसे सुलझाना नही चाहता है। आज की कहानी भी कुछ ऐसी ही है।

मुंबई (रात 8 बजे)

सडक पर गड़िया तेज़ी से भागी जा रही थी। सड़क थोड़ी सी सुनसान थी पर लोग ठीक-ठाक मात्रा में वहाँ से गुज़र रहे थे। आज वैसे भी हल्की हल्की बारिश हो रही थी और ठंडी ठंडी हवा चल रही थी। जो माहौल को खुशनुमा बना रही थी या फिर ‘डरावना’ । खैर ये तो अपने अपने नजरिये की बात है।

माध्यम अपनी साईकिल से उसी सडक से जा रहा था। वो काफी खुश था। कुछ तो मौसम के मिज़ाज़ से और कुछ कल उसका जन्मदिन भी था। कल वो 18 साल का होने वाला था। उसे अपने 18 वे जन्मदिन का बहुत इंतज़ार था। एक तो वो बालिग हो जाता और दूसरी बात पापा उसे बाइक दिलाने वाले थे। उसकी मां नही थी तो उसके पापा उसकी सारी जरूरतें पूरी करते थें लेकिन बस पैसों से। कल भी उसके घर एक शानदार पार्टी थी।

माध्यम इन्ही ख्यालो में खोया हुआ था। उसकी पार्टी में कल सनाया भी आने वाली थी जो उसकी क्रश थी। माध्यम दिखने में एक पतला सा डील डौल वाला लड़का था। चेहरा हल्का सा गुलाबी रंगत लिए हुए था। अभी अभी उसने अपने बारवी का बोर्ड दिया था।

माध्यम के ख्यालों पर तब ब्रेक लगता है जब वो सामने गाड़ी से टकरा जाता है और नीचे गिर जाता है। माध्यम ऊपर देखता है और फिर उठता है। तब तक उस गाड़ी में से भी दो लोग बाहर आते हैं। उनमे से एक आदमी लम्बा और मजबूत शरीर का मालिक था। उसने शर्ट और पैंट पहनी थी और शर्ट के ऊपर के दो बटन खुलें थे।उसके हाथों में महंगी घड़ी थी। वो दिखने से ही एक अमीर घराने का लग रहा था।उसने कहा, “अरे माध्यम तुम यहाँ, तुम ठीक तो हो”?

माध्यम उस आदमी को जानता था। दरअसल ये आदमी एक इनवेस्टर था, जो काफी फिल्मों में अपने पैसे इन्वेस्ट करता था और अब तो उसका खुद का प्रोडोक्शन हाउस भी था। वो लगभग 45 साल का था पर लगता हमेशा 30-35 का ही था।माध्यम के पिता इसके यहां मैनेजर थे और माध्यम भी कभी कभी पार्टी में इसके घर जाया करता था। तो इस ज़रिये ये शख्स भी माध्यम को जानता था।

  • माध्यम-“मिस्टर अनिकेत बजाज! मतलब सर आप यहाँ…मतलब आई एम सॉरी! मैने वो देखा नही!”
  • अनिकेत(मुस्कुराते हुए)-“कोई बात नहीं,आओ तुम्हे घर तक छोड़ दूँ”।
  • माध्यम- “नहीं,नहीं मैं चला जाऊँगा,आप परेशान मत हो”।
  • अनिकेत (उसके कंधे पर हाथ रखते हुय)- “चलो भी”!
  • माध्यम जैसे ही उसकी कार के पास जाता है उसे शराब की एक तेज़ गंध आती है।
  • कार में एक लड़की भी बैठी हुई होती है जो सिर्फ नाम मात्र के कपड़ो में होती है। वो अनिकेत की खास दोस्त होती है और अनिकेत के साथ वाला इंसान भी कोई शरीफ नहीं लग रहा था।
  • माध्यम थोड़ा सा सिहर सा जाता है और कहता है, “आप रहने दीजिये मुझे अभी याद आया कि मै अभी अपने एक दोस्त के घर कुछ भूल आया था तो वो यही पास में रहता है तो मैं अभी वही जा रहा हूं।”
  • अनिकेत- “कोई बात नहीं, तुम्हें जहाँ जाना है, हम छोड़ देंगे।”
  • और अब की बार माध्यम के मना करने पर भी वह उसे जबरदस्ती कार में बिठा देते है।
  • माध्यम की साईकिल वही गिरी हुई थी और उसपे बारिश की बुँदे पड रही थी और अब अनिकेत बजाज की कार काफी तेज़ रफ़्तार में चल रही थी। कार के अंदर काफी तेज़ आवाज में गाना चल रहा था और माध्यम अब रो रहा था।उसे अजीब सी बेचैनी हो रही थी। कार में बैठे हुए वो तीनों लोग जोर से हंस रहे थे। फिर उस अँधेरी रात में उस हैवानी घटना को उस कार के अंदर अंजाम दिया गया। सबसे पहले अनिकेत बजाज और फिर उसकी खास दोस्त टीना और फिर वो तीसरा शख्स मार्टिन, तीनो ने उसका रेप किया। माध्यम की चीखें उस गाने में दब गयी और उसके आंसू बारिश में धूल गये। जब माध्यम की चीख सिसकियों में बदल गयी तो उसे बड़े ही निदर्य हालत में उसके घर से कुछ दूर फेक दिया गया।

माध्यम बड़ी ही दयनीय हालत में अगली सुबह एक रिक्शा वाले को मिला। उसे अस्तपाल ले जाया गया। उसे देख कर कोई भी अंदाजा लगा सकता था कि उसके साथ क्या हुआ है। मगर उसके पिता ने सब जगह यही बताया कि उनके बेटे का एक्सीडेंट हुआ है। उन्हें अपने बेटे से ज्यादा फ़िक्र अपनी इज़्ज़त की थी।

माध्यम की बाई हाथ की हड्डी बुरी तरीके से टुट गयी थी और अब वो कोई भी भारी चीज नही उठा सकता था। उसके शरीर पर जगह जगह काटे जाने के निशान थे और बेल्ट से पिटने के भी निशान थे और बुरी तरीके से नोंचने के निशान थे। डॉक्टर उसे बचाने का भरसक प्रयास कर रहे थे। डॉक्टर की कोशिशों से उसके शरीर के जख्म शायद भर जाये मगर उसके मानसिक जख्म का क्या?

करीब एक साल बाद (पहाडी इलाका)

एक छोटा सा तीन मंजिला (co-ed) पी.जी था वो, जिसमेें सबसे नीचे शांता देवी और उनके पति रहते थे। वो दोनों एक बुजुर्ग दम्पति थे, जिनका गुज़ारा इसी पी.जी से होता था और पी.जी में हमेशा ही भीड़ रहती थी, क्यूंकि पास में ही इस शहर की शान सबसे बड़ी यूनिविर्सिटी थी, जिसमें बच्चे दूर-दूर से पढ़ने आते थे। पी.जी के दुसरी मंज़िल पर दो कमरे थे। जिनमे तीन लड़कियाँ रहती थी। ऊपर भी दों कमरे थे पर उनमे से एक ही कमरे में एक नौकरीपेशा आदमी रहता था। दुसरा वाला कमरा खाली था। फिलहाल उस दूसरे वाले कमरे के लिए दो लोग बात करने आये थें।

  • शांता देवी- “भाई साहब आप जिस कमरे की बात कर रहे है, वो बड़ा कमरा है।उसमें हम दो किरायदार को रखेंगे। आपके भतीजे को कमरा बाँटना होगा”!
  • सामने बैठा शख्स कहता है, “अगर हम आपको दुगुना पैसे दे, तब”?
  • शांता देवी-“जी ठीक है, फिर”।
  • सामने बैठा शक्श अपने बगल में बैठे हुए लड़के से कहता है- “माध्यम बेटे जाओ, अपना समान रख लो”!
  • माध्यम उठ कर ऊपर चला जाता है।

कुछ देर बाद माध्यम अपनी खिड़की से बाहर देख रहा था। बाहर थोड़ी थोड़ी बारिश हो रही थी। तभी माध्यम की नजर एक लड़की पर जाती है। वो बारिश में कुछ बच्चों के साथ कीचड़ में फुटबॉल खेल रही थी और जोर से हँस रही थी। वो पतली दुबली और मध्यम के बराबर लम्बाई की थी। कुछ देर बाद वो लड़की चली गई। माध्यम भी अब खिड़की बंद कर देता है और थोड़ा आराम करने के लिए बेड पर जाता है। तभी कोई उसका दरवाजा बजाता है। माध्यम को अभी किसी से मिलने का कोई मन नही कर रहा था। पर फिर भी वो दरवाजा खोलता है। सामने वही लड़की थी, जो अभी कुछ देर पहले माध्यम को बाहर दिखी थी।

अब माध्यम उसे पास से देख पा रहा था। वो लड़की दिखने में एक आम लड़की की तरह ही थी। पतली और सांवली सी। उसके होंठों के ऊपर एक छोटा सा तील था।उसके बाल थोड़े से घुंघराले और उलझें थे और क्यूंकि अभी वो सामने हंस रही थी तो उसके बाई गाल का डिंपल भी दिख रहा था।

  • वो लड़की कहती है, “हाय मेरा नाम ‘मिश्री मिश्रा’ है। मै भी इसी पी.जी में रहती हूं।आप यहाँ नए है न! मुझे अभी आंटी ने बताया और हाँ वो आपको ये अलमारी की चाबी देना भुल गयी थी। अरे मैने तो आपका नाम पुछा ही नही! आपका नाम क्या है”?
  • माध्यम- “मेरा नाम माध्यम है! चाबी”
  • मिश्री- “हाँ,माध्यम चाबी थोड़ा अजीब उपनाम है, पर कोई नही”।
  • माध्यम- “मैने आपसे चाबी मांगी है”।
  • मिश्री- “ओ अच्छा,वैसे आपका नाम काफी अच्छा है। इसका छोटा नाम ‘मधु’ बनेगा नहीं”!
  • माध्यम- “आप मुझे चाबी देंगी”?
  • मिश्री (चाबी देते हुए)- “हाँ जरूरऔर किसी भी चीज़ की जरूरत हो तो बेझिझक आंटी को कहना”।

माध्यम ने अपना दरवाजा बंद कर दिया था और अब वो फिर अपनी दुनिया में था। माध्यम अब 19 साल का था। लगभग एक साल होने वाले थे उस हादसे को, मगर माध्यम की जिंदगी बहुत बदल गयी थी।

माध्यम एक खुशमिजाज लड़का हुआ करता था। उसके बहुत सारे दोस्त थे। पर उस हादसे के बाद उसके सभी दोस्तों ने भी उससे मुँह मोड़ लिया था क्यूंकि माध्यम के पिता के छुपाने के बाद भी आस-पास के लोगों को पता था कि उसके साथ क्या हुआ है और इसमें लोग माध्यम की ही गलती निकाल रहे थे। ‘क्यों’ क्यूंकि हमारे समाज को तो लगता है, अरे बेटे है। लड़कों का रेप! नहीं, जरूर उसकी अपनी मर्ज़ी शामिल होगी। अरे,वो ‘गे’ होगा! हम्म, लड़का होकर तू खुद को नही बचा सका हाहाहा…! माध्यम ने ये सभी बाते अपने ही पिता से सुनी थी और अपने दोस्तों से। उसके पिता को अपने बेटे से ज्यादा चिंता इस बात की थी कि लोग क्या कहेंगे और इस वक्त जब माध्यम को अपने पिता के साथ की सबसे ज्यादा जरूरत थी, उन्होंने उसे खुद से दूर दुसरे शहर भेज दिया।

माध्यम को अभी भी अपने पिता के वो कटु शब्द याद है।

“बस माध्यम मुझे तुम्हें अपना बेटा कहते हुय भी शर्म आ रही है। आखिर लोग क्या कहेंगे कि विराज सिंह के ‘बेटे’ का रेप हो गया। मै सभी के लिए मज़ाक बन गया हूं!सिर्फ तुम्हारी वजह से और इसलिए अब तुम यहाँ नही रह सकते।

अगली सुबह, माध्यम की नींद खुलती है और अब वो तैयार होने लगता है। आज माध्यम के कॉलेज का पहला दिन था। माध्यम नहा कर आता है। उसने एक फुल पैन्ट पहनी थी और एक फुल बाजु की शर्ट पहनी थी। अब वो फुल बाजु के ही कपड़े पहनता था क्योंकी उसके बाजु पर एक गहरे कट का निशान था और उसके शरीर के बाकी हिस्सों पर भी ऐसे ही निशान थे। उसके अंदर के अंगों में भी दिक्क़त थी।जिससे वो कुछ ज्यादा मसालो वाला और तीखा खाना नही खा सकता था। उसकी दवाई भी चालू थी।

माध्यम अपने लिए खुद खाना बना कर नीचे कॉलेज जाने के लिए निकलता है। तभी उसे मिश्री और उसके साथ एक और लड़की दिखती है। मिश्री उसे देखते ही हाथ हिलाती है और कहती है-

  • “हाय,गुड मॉर्निंग”!
  • माध्यम-” गुड मॉर्निंग,वो मुझे सैंट कॉलेज जाना था। तुम मुझे बता सकती हो कि यहाँ से कौन सी बस जायेगी”?
  • मिश्री- “आ, तुम भी हमारे ही कॉलेज में हो मतलब। चलो हमारे साथ ही”।
  • माध्यम- “अच्छा तुम भी वही हो पर कोई बात नहीं। मैं चला जाऊँगा”।
  • मिश्री- “पर हम भी तो वही जा रहे है,हमारे साथ ही चलो “।
  • माध्यम- “नही मैं चला जाऊँगा”।
  • और वो वहाँ से चला जाता है।
  • मिश्री- “ये थोड़ा अजीब है, नही आदिति”!
  • आदिति- “हम्म्म, है तो अब चलो।”

कॉलेज में,

माध्यम ने सेमेस्टर के बीच में दाखिला लिया था। जिसके कारण फिलहाल वो इंचार्ज से मिलकर अपने क्लास में चला जाता है लेकिन उस वक्त माध्यम काफी घबरा रहा था और वो अपने क्लास के अंदर जाता है। तब सबकी नजर उस पर पड़ती है। वहाँ कुछ बच्चे प्रोफेसर की जगह पर बैठे हुए थे, तो कुछ उनके सामने खड़े थे। बाकी सब अपने में मस्त थे। वहाँ उसे मिश्री भी दिखी, जिसकी बगल में एक लम्बा और अच्छी पर्सनेलिटी का मालिक एक लड़का बैठा था। वो अपने कपड़े और पर्सनेलिटी से भी काफी अच्छा लग रहा था। जो बच्चे प्रोफेसर की जगह पर बैठे हुए थे, उनमें से एक ने पुछा-

  • “तुम कौन हो”?
  • माध्यम- “मैरा नाम माध्यम है। फर्स्ट ईयर फॉरेन लैंगवेज डिपार्टमेंट”।
  • दूसरे लड़का ने कहा- “ओ बस भाई पूरा बायो डाटा देगा क्या? हमें मालूम चल गया। तुम हमारी क्लास में ही हो”।
  • एक लड़की- “हम्म,बायो तो देना ही पड़ेगा। नया जो है। चलो अब जरा अच्छे से दो हमें अपना बायो”।
  • और फिर उस लड़की के साथ कुछ् और भी हंसने लग गए। जो उसी के ग्रुप के थे।
  • माध्यम अब थोड़ा घबरा रहा था। तभी कोई और बोला, “अरे हमने तो कुछ किया भी नही, तुम तो यूं ही घबरा रहे हो। बिल्कुल शर्मीली हो मेरी जान”। और ये कहते हुए उस लड़के ने माध्यम के कंधे पर हाथ रख दिया।

माध्यम को उसके हाथ रखते ही अजीब सा लगने लगा और अब वो डर के मारे काप रहा था। उसके सामने वो हंसते हुए उसके कॉलेज के बच्चों में उसे करीब एक साल पहले की हसीं की याद आ रही थी और अब उनके चेहरे बदले हुए लग रहे थे। तभी मिश्री आ जाती है और उस लड़के का हाथ माध्यम के कंधे से हटाते हुए कहती है-

  • “इन्फ गाइस, ये हमारा ही क्लासमेट है। हमारा जूनियर नहीं, जो तुम इसका रैगिंग लो! और वैसे भी अब तुम्हारी रैगिंग उसे परेशान कर रही है। जोकि गलत है।”
  • वो लड़की फ़िर कहती है, “ओ कॉम ऑन, हम रैगिंग नहीं कर रहे थे। हम तो सिर्फ मज़ाक कर रहे थे”।
  • मिश्री- “डियर टिना, अगर तुम्हारे मज़ाक से सामने वाला अच्छा महसूस ना करे तो वो मज़ाक नही होता है, और फिर मज़ाक वो होता है जो हंसाए, न की सिर्फ एक को मज़ा आये और दुसरा परेशान हो।
  • टिना- “पर तुम क्यों इतना परेशान हो रही हो”?
  • मिश्री- “क्योंकी ये मेरा दोस्त है, समझी”!

माध्यम थोड़ा हैरान था। मतलब अभी वो कल ही तो इस लड़की से मिला है और वो इतनी जल्दी उसे अपना दोस्त भी बता रही थी। पर फिर वह बिना ज्यादा ध्यान दिये एक जगह बैठ गया। क्लास शुरु हुई और एक साधारण तरीके से खतम हुई। कुछ देर बाद ब्रेक हुआ। सब कैंटीन की तरफ जा रहे थे। तभी माध्यम के पास मिश्री आ कर कहती है-

  • “हेय हाय, सो कैसा लगा पहला दिन कॉलेज में “?
  • माध्यम (मन में) “जैसे तुमने देखा नही”!
  • मिश्री- “ये टिना को सीरियसली मत लेना। वैसे भी कोई भी नही लेता उसे सीरियस”।
  • तब तक मिश्री के दोस्त भी आ गये थे और वो भी माध्यम की तरफ देखते हुय कहते हैं, “हाय”!
  • माध्यम- “हम्म्म,वो मुझे कुछ काम था एक्सक्यूज़ मी”!
  • और वो वहाँ से चला जाता है।
  • अभिनव (वही लड़का जो मिश्री के साथ बैठा था)- “ये थोड़ा अजीब नही लगा, तो ये तेरे पी.जी में आया है, राइट”!
  • मिश्री- “हम्म”

‘मिश्री’ एक बिंदास लड़की थी। वह कॉलेज की पॉपुलर लड़की थी। वो दिखने में तो ठीक ठाक ही थी पर अपनी हरकतों से वो मशहूर थी। उसने आते ही एक सीनियर लड़की को पीट दिया था। पर फिर बाद में उसके टॉ्सिक बॉयफ्रेंड को अच्छा सबक भी सिखाया था और उसकी शिकायत भी करी। वो अपने बेहतरीन डांस की वजह से भी जानी जाती थी और वो सबकी मदद भी करती थी। पढ़ने में भी अच्छी थी। वो कुछ लोग होते है न जो काफी स्कारत्मक होते है। हर कोई उनके आस पास रहना चाहता है। कुछ ऐसी ही थी मिश्री। उसके काफी सारे दोस्त थे पर अभिनव उसका अच्छा दोस्त था। कुछ लोग तो उनको एक अच्छी जोड़ी भी मानते थे।

वही माध्यम बाथरूम में रो रहा था। ऐसा अक्सर उसके साथ होता था। वो एक साथ दो चार लोगों से डरता था और उसका रोना निकल जाता था। पर वो कभी भी किसी के सामने नहीं रोया। यहाँ तक अपने पिता के सामने भी नही क्योंकी उसके पिता ने बचपन से ही उसे बताया कि ‘लड़के रोते नही है। बहादुर बच्चे नही रोते। रोते तो कमजोर लोग है। लड़कियों की तरह रोना बंद करो”। पर रोना तो सबको आता है न, बहादुर लोगों को भी। और अपने आँसू अपने दर्द और अपने साथ हुय अन्याय को छिपाकर चुप रह कर क्या हम बहादुर बनते हैं?

जैसे तैसे माध्यम का कॉलेज का पहला दिन खत्म होता है। वो पी.जी के लिए निकल रहा था, तभी उसकी नजर मिश्री और उसके दोस्तों पर गयी। वो सभी साईकिल पर थे। सभी शोर मचाते हुय जा रहे थे। माध्यम को अपने दोस्तों के साथ साईकिल से स्कूल जाने वाले दिन की याद आ गयी। वो पी.जी पहुँचता है और अपने कमरे में चला गया। उसे पी.जी के लोगों से कोई मतलब नही था।

मिश्री भी कुछ देर बाद पी.जी में आ गयी। वो सभी के साथ घुली मिली हुई थी। मिश्री की रूममेट उससे बड़ी थी और वो जॉब करती थी। पर वो दोनों काफी अच्छे दोस्त थे। दूसरे कमरे में आदिति थी, जो मिश्री के साथ ही कॉलेज में पढ़ती थी। उसकी और मिश्री की कुछ खास दोस्ती नहीं थी। माध्यम अकेला रहता था और उसके बगल वाले कमरे में एक लड़का था, जो जॉब करता था, वो ठिक ठाक ही था और आंटी पी.जी की मालकिन थी। वो काफी अच्छी थी सबके साथ।

माध्यम अपने कमरे में लेटा हुआ था। उसका कुछ करने का मन नही था। अपना मन बहलाने के लिय उसने अपना फोन ऑन किया। उसमें उसके पापा की तरफ से एक पार्टी आर्गेनाईज करने की खबर थी। वो पार्टी एक सक्सेस पार्टी थी। अनिकेत बजाज की पिक्चर के 500 करोड़ का आंकड़ा पार करने की खुशी में रखी गई थी।
ये सब पढ़ कर उसे बहुत दुःख हुआ। आखिर अभी तक उसके पिता उस आदमी के लिए काम कर रहे थे। अब उसे अपनी मां की बहुत याद आने लगती है।

वो अब काफी अकेला महसुस कर रहा था। ‘दुःख’ अपने पिता के अपने साथ न होने का। ‘गुस्सा’ अनिकेत बजाज उसकी जिंदगी नर्क बना कर खुद कामयाबी की सीढ़िया छू रहा था। ‘असहाय’ कोई उसके साथ नहीं था। वो बिलकुल अकेला था।सभी तरह की भावना उसके दिल में हावी हो रही थी। उसके दिल में एक कसाव सा होने लगा था। तभी उसने बाथरूम का दरवाजा खोला और वो शावर के नीचे बैठ गया। पानी से उसके पूरे कपड़े गिलें हो रहे थे। उस वक्त करीब रात के 1 बज रहे थे। पानी काफी ठंडा था पर वो तो जैसे सुन्न हो गया था। वो अपने अंदर की भावना को दबाना चाह रहा था। वो अपने आप को नोंच रहा था और बार बार खुद को रगड़ रहा था। करीब एक घंटा बाद जब वो थक गया तो वो रोने लगा।

मिश्री के कमरे में पीने का पानी ख़त्म हो गया था। वो बेमन से उठी और हाथ में बोतल ले कर रसोई की तरफ जा रही थी। पर उसे कुछ आवाज़े सुनाई दी तो उसने जहाँ से आवाज़ आ रही थी, उस तरफ अपने कदम बढ़ाये। आवाज़ माध्यम के कमरे से आ रही थी। मगर थोड़ी थोड़ी पानी गिरने की आवाज़ और उसमें मिली हुई सिसकियाँ।

मिश्री ने दरवाजा बजाते हुय माध्यम को आवाज़ दी। पर अंदर से कोई जवाब नहीं आया। मिश्री को थोड़ी घबराहट होने लगी। उसके सामने एक औरत का रोता हुआ और पानी में भिंगता हुआ चेहरा कोंध गया। उसने जल्दी से दरवाजा फिर बजाया और उसे आवाज़ दी।

वही माध्यम जैसे कुछ सुन ही नहीं रहा था। उसने अपने हाथ में एक टुटा हुआ कांच पकड रखा था और वो उसे अपने दुसरे हाथों की कलाई में घुसा रहा था। उसके हाथों से खून निकल निकल रहा था मगर उसे कोई होश नहीं था। उसे कुछ देर बाद मिश्री की आवाज़ सुनाई दी। फिर जैसे उसे होश आया हो। अब उसे दर्द भी हो रहा था। वो बाथरूम से निकला और टी शर्ट पहनी, जो उसके कलाई से ऊपर थी। फिर उसने दरवाजा खोला। उसे मिश्री दिखी जो परेशान लग रही थी और उसकी आँखों में उसे अपने लिए चिंता साफ नजर आ रही थी।

मिश्री- “क्या तुम ठीक हो”?

ये शब्द अभी माध्यम को काफी अच्छा लगा। कभी कभी ये साधारण सा शब्द हमारे लिए बहुत मायने रखता है न। उसके पास ऐसा कोई नही था जो उससे ये सवाल पूछे। उसके पिता भी नहीं। माध्यम को मिश्री से झूठ बोला नहीं गया।

  • माध्यम- “नहीं, मैं ठीक नहीं हुँ”!
  • मिश्री की नज़र उसकी कलाई पर गई, जिसमें से खून निकल रहा था।
  • मिश्री- “क्या मैं उस पर पट्टी कर दूँ “?
  • माध्यम ने हाँ में सर हिला दिया।

थोड़ी देर बाद वो दोनों छत पर थे। मिश्री माध्यम के चोट पर पट्टी बांध रही थी।

  • मिश्री- “माध्यम, मुझे पता है तुम अभी अपनी तकलीफ बताने के लिए तैयार नहीं हो।पर कभी कभी तकलीफ हद से ज्यादा बढ़ जाती है तो हमें किसी का हाथ पकड़ लेना चाहिए और कभी कभी जब आप तैयार हो तब किसी को बता देना चाहिए”।
  • माध्यम- “मिश्री तुम मुझसे पूछोंगी नही कि मैने ये क्यों किया?”
  • मिश्री- “जब तुम खुद बताना चाहो तब सुनुँगी”।

फिर वो दोनों चुप हो गए और वो दोनों ही चांद की तरफ देख रहे थे जो बादलों में छिपा हुआ था और बार थोड़ा थोड़ा बाहर आने की कोशिश करता पर बादल उसे फिर से ढक देते।

  • माध्यम- “तुम मुझे मधु बुला सकती हो”।
  • मिश्री मुसुकुरा कर हाथ आगे बढ़ाते हुय, “तो फ्रैंडस”!
  • माध्यम भी हाथ मिलाते हुय, “हम्म्म”

और दोनों को ही एक ठंडी हवा छू कर गुज़रती है।

अगली सुबह

माध्यम नीचे तैयार हो कर आता है। मिश्री भी कॉलेज जाने के लिए निकल रही होती है तो …..आज माध्यम खुद से उसे आवाज़ देता है-

  • “आआ..मिश्री वो हाय”
  • मिश्री- “हेय,’गुड मॉर्निंग मधु’ अभी तुम ठीक हो न”!
  • माध्यम- “हम्म्म”, वो कभी कभी थोड़ा सा पैनिक हो जाता हुँ। बाय द वय, थैंक्स कल रात के लिए। उस समय जब तुम मेरे साथ थी। मुझे सच में तब किसी की जरूरत थी।”
  • मिश्री-“कोई बात नहीं। सबके साथ कोई न कोई दिक्क़त होती है। तो उस समय किसी की मदद लेने में और करने में कोई दिक्क़त थोड़ी है और मैं भी तो एक psychiatrist से मदद लेती हूं।

माध्यम थोड़ा हैरान होता है पर फिर वो कुछ नहीं कहता है।

कॉलेज में मिश्री अभिनव के साथ बैठती है और माध्यम उनके पिछे बैठा हुआ था।
लेक्चर ख़तम होने के बाद माध्यम अकेले कैंटीन में बैठ कर खाना खा रहा था। तभी वहाँ मिश्री आ कर बैठ जाती है। वो देखती है कि माध्यम की प्लेट में सिर्फ सलाद और दही, रोटी है।

  • मिश्री- “तुमने कोई भी सब्जी या कुछ और नहीं लिया क्यों?”
  • माध्यम- “मैं तीखा खाना नहीं खा सकता हूं। मेरी फूड डाइजेशन में परेशानी है”।
  • मिश्री- “ओ”

थोड़ी देर बाद मिश्री का दोस्त अभिनव आता हैं और वो भी वहाँ बैठ गया। वो भी माध्यम से अच्छे से बात करता है।

शाम को पी.जी में,

माध्यम अपने कमरे में था कि तभी कोई उसका दरवाजा खट खटाता है। वो खोल कर देखता है तो उसके बगल में रहने वाला लड़का था, जो उससे बड़ा था और वो जॉब करता था। वो कहता है-

“हाय मेरा नाम नकुल है। वो मेरा लैपटॉप खराब हो गया है। तो क्या मैं तुम्हारा लैपटॉप….”?
माध्यम- “हाँ,बिल्कुल”।

नकुल अंदर आता है और अपना काम करता है और थोड़ी देर बाद कहता है-

  • नकुल- “हो गया मेरा काम थैंक्स भाई। अच्छा अब निचे चलों”।
  • माध्यम- “निचे,कहाँ?”
  • नकुल- “अरे आज वो पम्मी आंटी का बर्थडे है तो हम सब उन्हें एक सरप्राइज पार्टी दे रहे है”।
  • माध्यम- “पर मै उसमें…..”
  • नकुल- “पर वर क्या कुछ नही, चलो!”

नकुल माध्यम को ले कर जाता है। वहाँ पर बाकी लोग भी थे। मिश्री, आदिति, तान्या (मिश्री की रूममेट) सब लोग कुछ न कुछ कर रहे थे।

  • नकुल- “गाइस देखों मैं इसे भी ले आया”।
  • तान्या- “हाय बडी!”
  • माध्यम- “हेल्लो!”
  • मिश्री- “चलों सब लोग अब तैयार हो जाओं”।

तभी आदिती पम्मी आंटी का दरवाजा बजाती है और बाकी लोग छिप जाते है। पम्मी आंटी दरवाजा खोलते हुए-

  • “क्या हुआ? इतनी रात में तुम मेरा दरवाजा क्यों बजा रही हो”?
  • आदिती- “वो न कुछ…आ हाँ कुछ अजीब सी आवाज़े आ रही थी। वहाँ से पर्दे के पिछे से”।
  • पम्मी आंटी- “गज़ब हो तुम। इतनी रात को ये कहने को उठाया तुमने। कहाँ से आ रही थी आवाज़”?
  • आदिति- “वो वहाँ, पर्दे के पिछे से”
  • पम्मी आंटी जैसे ही पर्दा हटाती है, उनके ऊपर बहुत सारे गुब्बारे गिरतें है और रोशनी हो जाती है। सब बाहर आकर उन्हें हैप्पी बर्थडे कहते हैं और सामने एक बढ़िया सी पम्मी आंटी की फोटों होती है।
  • पम्मी आंटी- “ये सब, थैंक्य यू बच्चों”।
  • मिश्री- “जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं”
  • माध्यम- “हैप्पी बर्थडे आंटी”।
  • नकुल- “चलो अब केक काटो आंटी”।

पम्मी आंटी केक काटती है और फिर थोड़ी देर बाद ही सब लोग केक पम्मी आंटी को और एक दुसरे को भी लगाते है। माध्यम आज कितने दिनों के बाद मुस्कुरा रहा था। उसे खुद ही पता नही था। तभी मिश्री आकर उसे भी केक लगा देती है और फिर वो भी मिश्री और पम्मी आंटी को केक लगा देता है। फिर सब एक साथ तान्या के कैमरे से फोटों खिंचवाते हैं।

  • नकुल- “तो अब थोड़ा डांस हो जाए”!
  • पम्मीआंटी- “अरे बिलकुल”।

फिर मिश्री (ज़िंदगी न मिलेगी दुबारा का गाना सनोरिटा) लगाती है और सब नाचते है। ऐसे ही कुछ समय व्यतीत होता है। माध्यम अब सबसे थोड़ा थोड़ा घुल मिल रहा था और इसमें मिश्री उसके साथ थी।

कॉलेज में एक दिन, माध्यम अपनी किताबों में डुबा हुआ था कि तभी आदिती आती है और कहती है-

  • आदिती- “हाय, तुम यहाँ अकेले क्या कर रहे हों”?
  • माध्यम- “कुछ खास नहीं”!
  • आदिती- “अच्छा चलों, ऑडिटरियम में चलते है”।
  • माध्यम- “पर क्यों?”
  • आदिती- “अरे वहाँ, डांस की तैयारी हो रही है और अपनी मिश्री भी तो है और उसका दोस्त अभि भी है डांस में”।
  • माध्यम- “तुम जाओ, मेरा मन नही है।”

आदिती फिर अकेले चली गयी पर माध्यम का भी मन था वहाँ जाने का तो वो भी फिर देखने गया। वहाँ थोड़ी सी भीड़ थी और म्यूजिक बज रहा था (डार्लिंग रोको ना प्यार करने दो….) और अभिनव और मिश्री दोनों एक साथ लैटिन डांस कर रहे थे।
बाकी सब लोग ताली बजा रहे थे। वहाँ का माहौल खुशनुमा था। माध्यम को भी अच्छा लग रहा था वहाँ। वो मिश्री और अभिनव को गौर से देख रहा था। वो काफी खुश थी और वो खुशी उसके चेहरे पर साफ दिख रही थी। तभी माध्यम को अपने आगे खड़ी दो लड़कीयों की बात सुनायी दी।

  • पहली लड़की, “ये दोनों कितने अच्छे लग रहे है न साथ में”।
  • दुसरी लड़की, “हाँ, अरे तो ये दोनों कपल भी तो है”!
  • पहली लड़की, “है, अच्छा”दुसरी लड़की, “हाँ, सारे कॉलेज को पता है ये बात तो और लगते भी तो कितने प्यारे है दोनों साथ में”।

माध्यम फिर मिश्री और अभिनव को गौर से देखता है। हाँ वो दोनों अच्छे लग रहे थे साथ में। वो दोनों ताल मेल बिठा कर गाने के हिसाब से डांस कर रहे थे। और दोनों ही खुश भी थे और मिश्री थी भी तो कितनी बोल्ड। भले ही वो दिखने में औसत थी।उससे ज्यादा खूबसूरत लड़कियाँ थी कॉलेज में पर वो एक अलग ही अंदाज लिए थी। सबसे जुदा, जो सब उसकी तारीफ करते थे और वही माध्यम खुद को देखता है। कहाँ वो एक दब्बू सा लड़का। जो खुद के लिए भी नहीं बोल पाता है और फिर उसके साथ तो ….हाँ, आखिर वो मिश्री के करीब क्यों जाए! वो उसे भी परेशान करेगा। जिसकी जिंदगी में कोई परेशानी है ही नहीं। माध्यम वहाँ से चला गया और अपनी अगली क्लास का इंतजार करने लगा। कुछ देर बाद वहाँ मिश्री आ कर बैठ जाती है।

  • मिश्री- “आज तो मैं बहुत थक गई पर मज़ा बहुत आया। अरे तुम क्यों नहीं आए मधु”?
  • माध्यम- “बस ऐसे ही”

और वो वहाँ से उठ कर दुसरी तरफ बैठ गया।

  • मिश्री- “अरे अब ये क्या बात हुई भला। तुम वहाँ क्यों गए”?
  • माध्यम- “मेरी मर्ज़ी।”

तभी लैक्चर शुरु हो जाता है और सब चुप हो जाते है। पर मिश्री को माध्यम का अचानक बदला सा व्यवहार कुछ खटक रहा था।

शाम को पी.जी में,

  • आज नकुल, मिश्री और तान्या के साथ कुछ बात और थोड़ा मज़ाक कर रहा था।
  • तान्या- “हाय, माध्यम जॉइन अस”
  • माध्यम- “नहीं, मुझें कुछ काम है तो..यु गाइस एन्जॉय”

और वो ऊपर चला जाता है।

मिश्री उसे देख रही थी। उसे अचानक से उसका ये व्यवहार समझ नहीं आ रहा था।
अगले दिन माध्यम कॉलेज में कुछ पढ़ रहा था। तभी वहाँ मिश्री आती है।

मिश्री- “मधु, गुड मॉर्निंग।”
माध्यम- “गुड मॉर्निंग।”

और फिर वो जाने लगता है कि तभी मिश्री उसका हाथ पकड़ लेती है।

  • मिश्री- “मधु, तुम मुझे इग्नोर क्यों कर रहे हो? कल से”
  • माध्यम- “नहीं तो ऐसा कुछ नही है।”
  • मिश्री- “मै क्या पागल हुँ। मुझे समझ आ रहा है कि तुम मुझे इग्नोर कर रहे हो। पर क्यों”?
  • माध्यम- “तो इससे क्या फर्क पड़ता है। मै कोई तुम्हारा बॉय फ्रैंड नहीं हुँ। जो तुम्हें फर्क पड़ना चाहिए”।
  • मिश्री- “ठीक से बोलों”
  • माध्यम- “अच्छा, तो फिर सुनों! तुम क्यों मेरे पिछे पडी हो? जबकी तुम जानती हो कि मै किसी के लायक नहीं हुँ। क्यों आखिर महान बन रही हो? खुश रहो न अपनी फैरीटेल में जहाँ कोई परेशानी नहीं है”।
  • मिश्री- “माध्यम तुम्हें ऐसा क्यों लगता है कि मै कोई फैरीटेल में जीती हुँ। नहीं माध्यम, मै कोई फैरीटेल का किरेदार नहीं हुँ। अगर कोई इंसान खुश है या वो हॅंस रहा है। उसके सब दोस्त है तो इसका मतलब ये नही कि उसकी जिंदगी में कोई परेशानी है हि नहीं या कभी थी ही नहीं। सबके लाइफ में एक डार्क पेज होता है। बस किसी की जिंदगी में वो बहुत ज्यादा होता है और तुम अपनी जिंदगी से या अपने दुःख से किसी और की जिंदगी को कंपेयर क्यों कर रहे हो? सबकी जिंदगी अलग होती है। समस्या अलग होती है और सब इंसान भी तो अलग है। तो क्यों किसी को अपनी जिंदगी के दुःख और अपने स्टरगल का ज्ञान देना। और हाँ, मै अगर तुम्हारे साथ हुँ तो ये मेरा फैसला है! ये मेरा किरेदार है कि मैं सबके साथ ऐसी ही हुँ, और हाँ तुम चाहे मुझसे दूर भागो पर मैं तुम्हें अकेले घुटने नहीं दूंगी। मै अब किसी और को ऐसे ही घुट घुट कर मरने के लिए नहीं छोडूंगी! मै फिर अब वो गलती नहीं करूंगी।”

और वो वहाँ से चली गई। मिश्री की आँखों में आंसू थे और उसके दिमाग में फिर से एक औरत का चेहरा सामने आ गया। वो औरत एक कमरे में बंद रो रही थी और उसके शरीर पर कितने ही चोटो के निशान थे। कुछ तो ठिक हुए निशान थे और कुछ ताज़ा।

वही दूसरी तरफ रात में पिजी में,

माध्यम ने मिश्री से तो काफी कडवाहट से बात की थी पर अब उसे खुद पर काफी गुस्सा आ रहा था।

सुबह, कॉलेज

मिश्री आज पिजी से जल्दी कॉलेज के लिए निकल गयी थी। इसलिए माध्यम सुबह से ही मिश्री को ढूंढ रहा था, तभी उसे अभिनव दिखता है।

  • माध्यम- “हाय अभिनव, तुमने मिश्री को कही देखा है क्या”?
  • अभिनव- “हाँ, वो लाईब्रेरी में थी। अभी वही होगी!”

माध्यम लाइब्रेरी में जाता है। वहाँ मिश्री सबसे अलग एक कोरनर पर बैठकर पढ़ रही थी। तभी उसके पास माध्यम भी आ कर बैठ जाता है और उसकी तरफ एक चिठ्ठी बढ़ा दी और खुद एक किताब को पढ़ने में लग गया।

मिश्री उस चिठ्ठी को पढ़ रही थी।

हाय मिश्री,
जानता हूं तुम्हे अजीब लग रहा होगा कि मै तुम्हारे पास बैठ कर भी चिठ्ठी से क्यों बात कर रहा हुँ! क्यूंकी मैं ऐसा ही हुँ। अगर मै बात करता तो पक्का कुछ गलत बोल देता। जैसे कि तब बोला था! इसलिए लिख रहा हुँ। मिश्री मैने तुम्हारे साथ बहुत गलत व्यवहार किया। मुझे नहीं करना चाहिए थी। पर मै अभी अपने उस डार्क फेज से गुजर रहा हुँ, जिसकी तुमने बात की थी। अक्सर लोगों के बारे में गलत सोचना और उन्हे खुद से दूर रखना चाहता हूँ। बस ऐसा हि हूँ मै। किसी दिन मै तुम्हें अपने बारे में सब खुल कर बताऊँगा! जैसा तुमने बोला की यूँ घुट घुट कर नहीं जीना है। बात करनी है। वो सब मै करूंगा। बस अभी कुछ समय दो मुझे। मैने तुम्हारी आँखों में भी कुछ दर्द देखा है। जब तुम चाहों तो तुम भी मुझे बता सकती हो। यूँ घुट कर तुम भी मत रहना। तुम भी अपना पूरा समय लो और मै भी। बस अभी के लिए “आई एम सॉरी” वापस मेरी दोस्त बन जाओ प्लीज।”

मिश्री माध्यम की तरफ देखती है तो वो अपने कान पकड़ कर उसकी तरफ देख रहा था। मिश्री मुसकुरा देती है । अब वो दोनों फिर से दोस्त बन जाते हैं। माध्यम धीरें धीरें अपनी जिंदगी में आगे बढ़ रहा था पर उसके अतीत की घटना बार बार उसका रास्ता रोक रही थी। रात में डरवाने सपने आना, लोगों के बीच अचानक डर लगना और रोना आना। उसके शरीर पर जख्मों के निशान देख कर उसे खुद से घिन आने लगती थी। माध्यम दर्द में बैचैन था और उसका जन्मदिन करीब आ गया। अब वो 19 का होने वाला था, मगर साथ ही उसकी जिंदगी की वो काली घटना भी करीब आ रही थी।

लगभग रात के 11बजे, माध्यम नकुल के साथ पिजी में आया।

नकुल- “चल भाई आज रात के लिए हमने बहुत घूम लिया। अब मैं सोने जा रहा हुँ। गुड नाइट”!
माध्यम- “यु टू”!

माध्यम अपने कमरे में जाता है और खिड़की खोलता है। बाहर बारिश आने वाली थी। जोर जोर से बादल गरज रहे थे। कल माध्यम का जन्मदिन होने वाला था और लगभग अभी ही वो समय था, जब उसे उन लोगों ने फेक दिया था किसी कूड़े की तरह। माध्यम के दिमाग़ में ना चाहते हुए भी सारी घटना आँखों के सामने आ जाती है। उसकी चिखे, रोना, डर और वो दर्द सब ताज़ा हो गया और उन लोगों की हसीं उसके कानों में गुंज रही थी। अचानक उसके जख्म दुखने लगे और वो नीचे बैठ कर रोने लग गया और बाहर फिर से बहुत तेज़ बारिश हो रही थी।

माध्यम फिर से जैसे एक साल पीछे चला गया था। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। वो छत की तरफ जा रहा था। तभी मिश्री उसे देख लेती है वो उसे आवाज़ देती है, पर वो तो जैसे कुछ सुन ही नहीं रहा था। माध्यम छत के छज़े के ऊपर खड़ा था और वो वहाँ से कूदने को तैयार था। वहाँ मिश्री आती है और उसे देख कर चिखने लगती है ।

  • मिश्री- “माध्यम, निचे उतरों! तुम ये क्या…माध्यम हम बात करते है।”
  • माध्यम- “मेरे पास मत आना…प्लीज!”
  • मिश्री- “ओके माध्यम कोई तुम्हारे पास नहीं आ रहा। तुम नीचेआ जाओ”
  • माध्यम- “दूर हो जाओ मुझसे, पास मत आना”।
  • वो मिश्री को कोई और ही समझ रहा था और लगातार रो रहा था।
  • मिश्री- “माध्यम मुझे पहचानों, मै मिश्री तुम्हारी दोस्त! तुम यहाँ सुरक्षित हों। कोई कुछ नहीं कर रहा यहाँ।”
  • माध्यम (चिल्लाते हुय)- “आइ सेड, डोंट टच मी! प्लीज डोंट।”

मिश्री धीरे धीरे उसके पास आ रही थी और तभी वो उसका हाथ पकड़ कर उसे छज्जे से निचे अपनी तरफ खिच लेती है। माध्यम काफी तेज़ चिल्लाता है।

माध्यम- “मुझे छोड़ दो प्लीज”।
मिश्री (तेज़ आवाज़ में)- “मधु ये मैं हूँ, तुम्हारी दोस्त! मैं तुम्हे कोई नुकसान नहीं पहुँचा सकती हूँ”।

माध्यम जैसे होश में आता हैं और वो अपने सामने मिश्री को देखता हैं। वो दोनों ही भींग रहे थे और माध्यम इस वक्त रो रहा था और काफी असहाय महसूस कर रहा था। मिश्री के भी आँखों में आंसू थे और वो मजबूती से माध्यम को थामे हुई थी।

माध्यम- “मिश्री मेरा रेप हुआ है!”

मिश्री अपनी ऑंखे बंद कर लेती है और वो माध्यम को गले लगा लेती है। उसकी आँखों से आँसू बह जाते हैं।और वो सिर्फ इतना कहती हैं, “जस्ट टेल मी”। वहाँ उसी समय पम्मी आंटी, अदिति, नकुल, तान्या सब आ गये थे और सबने माध्यम के मुँह से ये बात साफ सुनी थी कि उसका रेप हुआ है। सब उन दोनों के पास जाते हैं और माध्यम के सर पर आंटी हाथ फेरती है।

माध्यम नीचे बैठ गया और उसने सब कुछ धीरे धीरे से बता दिया। इस बीच मिश्री ने माध्यम का हाथ नहीं छोड़ा था। माध्यम सब कुछ बता कर सबकी तरफ देखने लगता है। उसे उम्मीद थी कि अब सब उससे नफरत करेंगे, उसके पापा की तरह। पर शायद मिश्री नहीं करेगी। मगर शायद उस पिजी में समझदार और दुनिया के दकयानुसी ख्यालों से अलग लोग रहते थे। पम्मी आंटी ने उसे गले से लगाते हुए कहा-

  • “नही मेरे बच्चे तुम गलत नहीं हो और अभी बहुत रो लिया अब नहीं।”
  • नकुल- “हाँ,भाई अब न वो लोग रोयेंगे। हम उनपे केस करेंगे”।
  • माध्यम- “आप सभी का धन्यवाद पर अभी मै…”
  • मिश्री- “तैयार नही हों! है न”
  • माध्यम- “हम्म्म”
  • टीना – “कोई बात नहीं माध्यम। तुम जैसा चाहोगे वही होगा। हम सब तुम्हारे साथ है।”

माध्यम ने सर उठा कर सबकी तरफ देखा मिश्री, पम्मी आंटी, नकुल, टीना सबकी आँखों में दिख रहा था कि वो सब सच में उसके साथ है। पर अदिति सबसे दूर खड़ी थी। बिना कुछ बोले। वो सब कुछ देख रही थी। अगली सुबह माध्यम और मिश्री साथ कॉलेज गए। उन्हें देख कर कुछ लोग बाते बनाने लगे तो कुछ हंस रहे थे। उन दोनों ने पहले तो सभी को नजरअंदाज किया। पर जब वो क्लास में गए तो सब उसे देख कर हँस रहे थे और कुछ ने तो पिछे से आवाज भी निकाली “ओय छक्का”,” मिठे” और सब हँस दिये। मिश्री कुछ बोलने को हुई पर अभीमन्यु ने उसका हाथ पकड़ लिया। अब तो जैसे ये रोज की बात थी। क्लास में सब उस पर हॅसते, मजाक बनाते, उसको अलग अलग नाम भी दिया गया।
“गे”,”छक्का”, ” मिठा”,”छय्या”।

हालांकी मिश्री ने उसके लिए कई बार झगड़ा भी किया।

पर उसका मज़ाक़ बनाने वाले लोग ज्यादा थे। ऐसा ही होता है न किसी के आंसू, कमजोरी का सब फायदा उठाते है। बिना बात जाने लोग सही गलत का फैसला कर लेते है और फिर अगर एक ने कोई चीज शुरु कर दी तो लोग बिना सोचे उसी को सच मानेगें और कोई और अगर बिचबीच में कोई दुसरी बात कहे या सही गलत का फर्क समझाएं तो लोगों के लिए वो पागल होते है। जैसे अभी मिश्री सबके लिए थी। माध्यम इन सभी परेशानी से जूझ रहा था। पर लोगों को चैन कहाँ? किसी ने कॉलेज स्टूडेंट वेबसाइट पर भी माध्यम के बारे में अफवाहे पब्लिश कर दी। अब तो जिन्हें नही भी पता था उन्हे भी मालूम चल गया और वो भी माध्यम के विरुद्ध हो गये। एक बार तो मिश्री बुरी तरह सबसे उलझी हुई थी, माध्यम के लिए।

  • मिश्री- “तुम सब पागल हो क्या? ये क्या बकवास कर रहे हो? माध्यम ‘गे’ नही है और अगर होता भी तो इसमे तुम्हे क्या दिक्कत हैं। तुम लोग उसके साथ ऐसा क्यों कर रहे हो?”
  • “और तुम्हें क्यों इतनी दिक्कत हो रही है? तुम उसकी गर्लफ्रेंड हो क्या?” पीछे से एक लड़के ने कहा
  • तभी एक लड़की कहती है, “मिश्री तुम पहले अपने बारे में सोचो। तुम अभी की गर्लफ्रेंड हो या उस माध्यम की। वैसे तुम्हारे साथ वो माध्यम लूज़र ही ठीक है।”

और फिर कुछ ठहाके गुंज उठे। मिश्री सीधे अब अदिति के पास गयी।

  • मिश्री- “अदिति ये सब तुमने किया है न। ये माध्यम के बारे में सबको बता दिया”।
  • अदिति- “मै क्यों बताऊँगी?”
  • मिश्री- “झूठ मत बोलो। माध्यम ने पिजी में सिर्फ हम सबके सामने ही सब बताया था और सिर्फ हम दोनो ही उसके साथ कॉलेज में पढ़ते है और मैने नही फैलाया ये सब तो तुमने किया ये सब।”
  • अदिति- “ओके फाइन। मैने ही फैलाया ये सब तो?”
  • मिश्री- “क्यों किया?”
  • अदिति- “अब कभी न कभी तो ये बात पता चलनी ही थी। आखिर ये बाते छुपी थोड़ी रहती है और फिर सबको कही न कही जिज्ञासा थी, तो मैने दूर कर दी।”
  • मिश्री- “अदिति तुम्हे जरा भी अंदाजा है कि वो क्या क्या सह रहा है। उसकी मेंटल कंडीशन का तुम्हें कुछ भी मालुम है”?
  • अदिति- “नही और जानना भी नही है। आखिर कुछ गलती तो उसकी भी थी न”।
  • मिश्री- “मतलब”?
  • तभी अदिति की दोस्त पारुल बोली, “सोच के देखो मिश्री। माध्यम एक लड़का है और लड़के का रेप। कुछ अजीब नही लगता। ऐसा कभी थोड़ी होता है।”
  • मिश्री- “तुम लोगों का कुछ नही हो सकता”।

अब तो माध्यम को रोज कुछ न कुछ बाते सहनी होती थी। हालांकि धीरे धीरे ये कम हो गया पर कुछ लोग अभी भी उसके मजे लेते थे और उस दिन तो हद ही हो गई, जब माध्यम वाशरूम गया था और तभी वहाँ चार, पाँच लड़के आये। उनमें से एक ने कहा, “ओय मिठे क्या हाल है?” माध्यम ने कुछ नहीं कहा। तभी दूसरे ने उसका सर पकड़ कर दीवार से पटक दिया और कहा, “कुछ पुछा है न, तो जवाब कौन देगा?” माध्यम ने अपना सर पकड़ लिया। तभी कोई और बोला, “ओ दर्द हो गया बच्चे को” और फिर सब हसने लगे। तभी उनमे से एक बोला, “साला ये तो मर्द है ही नही! तो दर्द तो होना ही है।” कोई और बोला, “क्यों रे छय्या ऐसे क्या लटके, झटके दिखाये उन्हें जो वो तेरे दिवाने हो गये।” तभी एक ने उसका मुँह कस कर पकड़ लिया और कहा, “जरा हमें भी दिखा न, पता तो चले क्या सब है तेरे पास”।

माध्यम की आँख से आंसू आ गये। उसे फिर वही सब याद आ गया। आज फिर बारिश इस बात की गवाह थी।बाहर बिजली कड़की रही थी और तेज़ बारिश हो रही थी। तभी कोई बोला, “अरे ये तो रो रहा है, साला। चल आज तुझे दिखाये असली मर्द क्या होता है!”

माध्यम खुद से बोल रहा था। नही फिर से नही। फिर से नही। मुझे हिम्मत करनी होगी और तभी माध्यम ने अपने पास बढ़ रहे लड़के को धक्का दे दिया। वो धक्का इतना जोर का था कि वो लड़का संभाल नही पाया और एक और लड़के के साथ औंधे मुँह गिर गया। इस अप्रत्यासित चीज के लिए उनमें से कोई तैयार नहीं था। वो सभी हड़बड़ा गये और माध्यम बहुत तेज़ भाग गया।

माध्यम भाग रहा था। लोगों की सारी बाते जैसे उसके कानों में लगातार सुनाई दे रही थी। वो भाग कर छत पर गया और जोर जोर की साँस लेने लग गया। वो रो रहा था। अब तो जैसे उसकी हिम्मत ख़तम हो गई थी। वो जा कर किनारे पर बैठ गया। बारिश हो रही थी और वो भींग रहा था और रो रहा था। तभी कुछ देर बाद किसी ने उसके ऊपर छाता लगा दिया। उसने मुड़ कर देखा तो वो मिश्री थी।

मिश्री ने लाल रंग की फ्रॉक पहनी थी और उसके बाल हवा में उड़ रहे थे। उसकी ऑंखे लाल थी। जैसे वो अभी अभी रो कर आयी थी। वो माध्यम के बगल में बैठ गयी।

  • माध्यम- “देखा न तुमने। अपना दर्द बताने का नतीजा। कोई भी मेरे साथ नही है। सब मुझ पर हँस रहे है। मेरा मज़ाक़ बना रहे है।”
  • मिश्री- “तुम लोगों से उम्मीद कर ही क्यों रहे थे कि वो तुम्हारे साथ होंगे। हमें अपनी तकलीफे बतानी चाहिए। पर ये भी देखना चाहिए कि सामने कौन है? ये दुनिया हमेशा ऐसे ही थी, है, रहेगी। इन्हें किसी से कोई फर्क नहीं होता। ये किसी की तकलीफ, दर्द नहीं समझते। बस सभी को बाते बनाने का मौका चाहिए होता है। इनके डर से घुट के मरना और चुप रहना कोई तरीका नहीं है। इससे तुम एक दिन सिर्फ मर जाओगे और किसी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। उल्टा तुम्हारी मौत पर भी ये लोग तुम्हे ही कोसेंगे। ये लड़ाई तुम्हारी है। इसे तुम्हें ही लड़ना है! कोई फर्क नहीं पड़ता, तुम जीतो या हारों पर लड़ो तो! ये दुनिया या तो तुम्हारे साथ होगी या तुम्हारे विरुद्ध। कुछ को तुम सही लगोगे। शायद उनके साथ भी ये हुआ हो। पर वो भी चुप हो। बदनामी के डर से। पर किसी न किसी को तो आवाज़ उठानी होगी न और एक बाद हमेशा याद रखो। इस लड़ाई में जीत या हार की बात नहीं है। सिर्फ लड़ाई लड़ना है तुम्हें और इस लड़ाई में मै तुम्हारे साथ हूँ।”
  • माध्यम- “मिश्री, तुम्हारे साथ क्या हुआ था? अगर तुम..”
  • मिश्री- “मेरी मम्मी का भी रेप हुआ था। एक बार नहीं कई बार और करने वाला मेरे पापा थे। मेरी मम्मी “मैरिटियल रेप” की विक्टिम थी। पर इसकी तो हमारे कानून में कोई सजा ही नहीं है और अगर होती भी तो कौन सा मेरी मम्मी जाती क्योंकी हमारे समाज में तो हमेशा यही बात समझायी जाती है कि “वो पति है।उसका ये अधिकार है। वो जब मन चाहे तब कर सकता है।” चाहे तुम्हारी मर्ज़ी हो या ना हो! उस समय मै अपने मम्मी-पापा के साथ रहती थी। मम्मी एक स्कूल में पढ़ाती थी और पापा बैंक मैनेजर थे। मै उनकी एकलौती बच्ची थी। दूर से सब कुछ बढ़िया दिखता था सबको हमारे परिवार में, पर अंदर उतना ही सब कुछ डरावाना था। मेरे पापा हमेशा मम्मी को गाली देते थे और उनके साथ जबरदस्ती करते थे। मेरी मम्मी के शरीर पर निशान देना, उनका सबसे लुभावना काम था। मैने अपनी मम्मी की घुटी हुई चिखे सुनी है क्योंकी मेरे पापा उनके मुँह पर कपड़ा डाल देते थे। ताकी बाहर आवाज़ ना जाये। मेरी मम्मी ने अपनी सास से लेकर अपनी माँ तक को बताया सब कुछ। पर सबका यही कहना, “तुम्हारा पति है वो। ये सब तुम हमें क्यों बता रही हो?” मेरी मम्मी अकेले में रोती थी। वो अपने आप से घिन करने लगी थी। धीरे-धीरे वो डिप्रेशन में चली गई। मेरे पापा को कभी इससे कोई फर्क नहीं पड़ा। उनके लिए तो मम्मी जैसे कोई बस एक मनपसंद खिलौना थी। जिसे जब जी चाहे खेल लिया और फिर फेक दिया। मम्मी ने एक दिन इन सबसे तंग आकर खुदखुशी कर ली। पर फिर भी लोगों ने मेरी मम्मी को ही कमज़ोर बोला। पर उसके बाद मेरी मौसी जो अब कुछ बड़ी हो गयी थी।उन्होंने मेरे पापा पर मेरी मम्मी को मेन्टल हेराश करने का केस कर दिया था। नानी ने फिर मेरी मौसी को दबाने की कोशिश की। जो वो हमेशा करती थी। पर मौसी नहीं मानी और उनका साथ दिया मेरे मौसा ने। जो उस वक्त उनके बॉयफ्रेंड थे। वो बहुत अच्छे वकील है।पर मेरे पापा तो ओबस्ड थे। मेरी मम्मी से चौथे दिन ही उन्होंने भी खुदखुशी कर ली। मैने अपने बचपन में ये सब देखा है मधु। पापा की हवस, मम्मी की चीख, दर्द, डर। मै हमेशा उस वक्त एक कमरे में खुद को बंद कर देती थी और डरती थी। मैने अपनी मम्मी के निशान देखे। उनको खुद के ही शरीर को नोंचते हुए देखा था। लोगों को बाते बनाते देखा था। मम्मी का डिप्रेशन में जाना और लोगों को उनको पागल बोलते देखा था। फिर खुदखुशी और सब ख़तम! उस समय मै सिर्फ 14 साल की थी। उसके बाद से मैं अपनी मौसी और मौसा के साथ रहती हूँ। पर शायद आज भी मै उन दिनों में ही जीती हूँ मधु!”

और वो अब रोने लगी थी। माध्यम ने उसके हाथ पर अपना हाथ रख दिया था। मिश्री अब उसके कंधे पर सर रख कर रो रही थी और वो धीरे से उसका सर सहला रहा था। उन्हें देख कर लग रहा था, जैसे अब वो दोनों एक दूसरे को तकलीफ से निकालने के लिए तैयार थे। हालात अब भी वही थे। माध्यम से कुछ लोग बिल्कुल ही खार खाये बैठे थे तो कुछ बातों बातों में भुला चुके थे। ख़ैर समय अपनी गती से बढ़ रहा था और उन सभी के एग्जामस आ गये। फिर कुछ दिनों की छुट्टियाँ और इन छुट्टियों में माध्यम ने एक फैसला लिया।

  • मिश्री (माध्यम का दरवाज़ा खटखटाते हुय) – “क्या मै अंदर आ जाऊ?”
  • माध्यम- “हाँ बिल्कुल।”
  • मिश्री- “तो तुमने पक्का मन बना लिया है अपने पापा के पास मुंबई जाने का।”
  • माध्यम- “हम्म, सिर्फ छुट्टियों के लिए ही।”
  • मिश्री- “तुमने अपने पापा को बताया?”
  • माध्यम- “नहीं, अगर बता दूँगा तो वो मुझे नही आने देंगे।”
  • मिश्री- “तुम क्या करने वाले हो?”
  • माध्यम- “मिश्री अब बहुत हो चुका है ये सब, अब मै लड़ने वाला हूँ उन लोगों के खिलाफ। अब लड़ूंगा मै!”
  • मिश्री- “ये आसान नहीं होगा। बहुत लम्बी लड़ाई होगी ये।”
  • माध्यम- “जानता हूँ।”
  • मिश्री- “मै अपने मौसा जी से बात करूंगी। वो जरूर तुम्हारी मदद करेंगे।”

माध्यम मुंबई पहुँच गय। वो अचानक अपने घर पहुँच गया। उसे अचानक देखकर उसके पिता हैरान हो गए।

  • माध्यम के पिता- “तुम यहाँ क्या कर रहे हो”?
  • माध्यम- “आपसे मिलने आया हूँ। आपको खुशी नही मिली क्या मुझे देखकर?”
  • माध्यम के पिता- “नहीं हूँ खुश। तो अब तुम जा सकते हो। मै कल की तुम्हारी टिकट करवा देता हूँ।”
  • माध्यम- “मै नही जा रहा हूं।”

और वो अपने कमरे में चला गया। उसके पिता उसके बदले हुय मिज़ाज़ के बारे में सोचते रह गये। अगले दिन माध्यम पुलिस स्टेशन गया। वो थोड़ा झिझका रहा था पर थोड़ा हिम्मत करके वो गया। उसने एक हवलदार से कहा कि उसे रिपोर्ट लिखवानी है। उसने उसे थोड़ी देर इंतज़ार करने को कहा। कुछ देर बाद उसे अंदर बुलाया गया। वहाँ सब-इंस्पेक्टर ने उसे बैठने को कहा और उससे समस्या पूछी!

माध्यम ने उसे सब बता दिया। फिर वो सब-इंस्पेक्टर कुछ हॅंसने सा लगा और कहा,

  • “बच्चें तुम जानते भी हो क्या कह रहे हो? इतने बड़े डायरेक्टर पर इल्जाम लगाते हुय जरा भी डर नहीं लगा?”
  • माध्यम- “पर सर..”
  • सब-इंस्पेक्टर- “देखो बच्चे, यहाँ मज़ाक़ का फालतू टाइम नहीं है। यहाँ बहुत सीरियस केस आते है तो हमें काम करने दो और निकलों।”

माध्यम वहाँ से उठ गया और वो जैसे ही बाहर निकलता है। उसे मिश्री दिखती है और उसके साथ एक आदमी भी था। मिश्री उसके पास आते हुए कहती है..

  • मिश्री- “हाय माध्यम, कैसे हो? कल रात तुम्हारे साथ बात कर के लगा कि मुझे यहाँ होना चाहिए तुम्हारे पास। तो मै आ गयी और ये मेरे मौसा जी है। ये भी तुम्हारी मदद करने के लिए आये है।
  • माध्यम- “नमस्ते मौसा जी।”
  • मौसा जी- “नमस्ते बेटा। क्या तुमने रिपोर्ट लिखवा दी?”
  • माध्यम- “वो उन्होंने मना कर दिया लिखने से।”
  • मौसा जी- “चलों मेरे साथ।”

अंदर पुलिस स्टेशन में मौसा जी उस सब-इंस्पेक्टर के पास जा कर बैठते है।

  • मौसा जी- “सर आपने इस लड़के की कम्प्लेन क्यों नही लिखी?”
  • सब-इंस्पेक्टर- “आप कौन?”
  • मौसा जी (अपना कार्ड दिखाते है) – “अब आप बताइए आपने क्यों नही लिखी?”
  • सब-इंस्पेक्टर- “सर वो कुछ भी नहीं था इसके केस में। ये तो…”

तभी वहाँ इंस्पेक्टर साहब आ जाते है, जो मौसा जी को पहचानते हुए कहते हैं, “अरे सर आप यहाँ?”
मौसा जी- “जी इंस्पेक्टर साहब एक कंप्लेन लिखवानी थी। पर आपके सब-इंस्पेक्टर साहब को हमारी कंप्लेन लिखनी ही नहीं।”

इंस्पेक्टर साहब उसे घूरते हुय मौसा जी को अपने साथ आने को कहते है। माध्यम उन्हें सब कुछ बता देता है और वो उसकी कंप्लेन लिख लेते है।

माध्यम (बाहर आ कर)- “थैंक यू अंकल। थैंक्स मिश्री।

  • मौसा जी- “अभी चलों मेरे अपार्टमेंट में। मै खुद तो तुम्हारा केस नही लड़ सकूँगा पर मेरे एक दोस्त है जो बेहतरीन वकील है। वो तुम्हारे लिए लड़ेंगे। वो भी वही आ रहे है चलों।”
  • माध्यम- “पर मै कैसे?”
  • मौसा जी- “कोई दिक्कत है। कोई और वकील करना चाहते हो?”
  • माध्यम- “नही, पर..”
  • मिश्री- “अरे चलो ना यार।”

कुछ देर बाद सभी अपार्टमेंट में बैठे हुए थे। मौसा जी के बताए हुए वकील भी उन्ही के उम्र के थें और वो केस को बारीकी से माध्यम से सुन रहे थे।

  • वकील साहब- “माध्यम हमें तुम्हारी उस वक्त की मेडिकल रिपोर्ट्स भी चाहिए!”
  • माध्यम- “जी, वो है मेरे पास। पापा ने तो गलत रिपोर्ट बनवायी थी। पर डॉक्टर मेम काफी अच्छी थी। उन्होंने सही वाली रिपोर्ट सावधानी से अपने पास रखी और बाद में मुझे मेल कर दी।”
  • वकील साहब- “देट्स गुड। ये बढ़िया सबूत होगा।”
  • माध्यम- “सर एक बात थी। मै आपकी फीस तो अभी इतनी जल्दी नहीं दे पाऊँगा पर थोड़ा थोड़ा करके दे दूँगा।”
  • वकील साहब- “इट्स ओके। तुम जब चाहे दे सकते हो।”

कुछ देर बाद वकील साहब जाने लगते है और मौसा जी भी उनके साथ उन्हें छोड़ने जाते हैं।

  • मिश्री- “माध्यम तुम कैसे दोगे फीस?”
  • माध्यम- “डोंट वरी मिश्री। मेरी मम्मी और नानी ने मेरे नाम पर पैसे रखे हुए है क्योंकी उन्हें मेरे पापा पर कभी भरोसा नहीं था। उन्हें शायद मालुम था कि वो मेरी देखभाल कर ही नहीं सकते।”

अनिकेत बजाज और उसके दोनों साथी के खिलाफ अब अरेस्ट वारेंट जारी हो चुका था और उन्हें पुलिस का सहयोग करने के लिए कहा जा रहा था। ये बात अब जंगल में लगी आग की तरह फैल चुकी थी। अनिकेत बजाज की गिरफ्तारी की खबर सुर्खियों में थी और उनपे इल्जाम भी तो रेप का था। वो भी एक लड़के का रेप। अनिकेत बजाज के सहयोगी लगातार माध्यम को गलत और एक गिरा हुआ लड़का कह रहे थे। तो जनता और मिडिया दोनों ही खबर के चटकारे ले कर सुन और सुना रही थी। माध्यम के पिता को और माध्यम को, दोनों को ही धमकियाँ मिल रही थी। ऐसे में माध्यम के पिता उसे घर बुलाते हैं क्योकि माध्यम अभी तक मिश्री के मौसा जी के साथ उनके अपार्टमेंट में रह रहा था।

  • माध्यम के पिता- “ये सब क्या कर रहे हो तुम?”
  • माध्यम- “मतलब?”
  • माध्यम- “अपनी खानदान और मेरी इज़्ज़त को मिट्टी में मिला रहे हो तुम! अरे अगर कुछ हो भी गया तो अब उसका ये प्रदर्शन क्यों कर रहे हो? पूरी दुनिया को बताने की क्या जरूरत है?”
  • माध्यम- “पापा मुझे आपसे कुछ नहीं कहना और ये सब नहीं रुकेगा।”
  • कोर्ट की तारीख भी आ गयी। माध्यम के वकील ने काफी अच्छे से दलील दी। सभी को उम्मीद थी कि ये केस पहली तारीख में ही ख़ारिज हो जायेगा मगर ऐसा नहीं हुआ। हालांकि अनिकेत और उसके साथियों को बेल मिल गई पर उनपे केस जारी रहा। अनिकेत बाहर आकर माध्यम को घूरता है।
  • अनिकेत- “ये तुमने अच्छा नहीं किया। अब मै क्या करता हूँ। तुम देखना। तुम्हारा बाप, उसके बारे में कुछ सोचना था न।”
  • माध्यम- “अनिकेत तुम्हें जो करना था न तुम कर चुके हो। अब इससे बुरा मेरे साथ और कुछ नहीं हो सकता है। जहाँ तक रही मेरे पापा की बात तो करो उनके साथ जो तुम्हें करना है। मै उस इंसान के बारे में क्यों सोचू जो मेरे बारे में नही सोचता।”

अनिकेत गुस्से का घुट पीकर वहाँ से चला जाता है। माध्यम से बात करने के लिए कई मिडिया चैनल उसके पिछे लगे थे। माध्यम बात करने के लिए तैयार हो गया।एक रिपोर्टर उससे बात करने के लिए आती है।

  • रिपोर्टर- “माध्यम पहले तो आपका स्वागत है हमारे चैनल में। आप पहले अपने बारे में हमें बताईये।”
  • माध्यम- “जी, मेरा नाम माध्यम है और में अभी दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ता हूँ।”
  • रिपोर्टर- “आपके साथ उस दिन क्या हुआ था?”
  • माध्यम अपने साथ हुई जबरदस्ती बताता है।
  • रिपोर्टर- “मतलब आप अनिकेत बजाज को पहले भी मिल रखे थे और जानते थे।”
  • माध्यम- “जी, मेरे पापा उनके साथ काम करते है और मै पहले भी उनसे डरता था।”
  • रिपोर्टर- “क्यों? क्या उन्होंने पहले भी कोई ऐसी हरकत की?”
  • माध्यम- “जी की तो नहीं थी। पर वो जिस तरह से घूरते थे। उनकी नज़रें, उनका घूरना, मेरे अंदर डर पैदा करता था।”
  • रिपोर्टर- “आपको लगता है कि उन्होंने पहले भी ऐसा और किसी के साथ किया होगा?”
  • माध्यम- “कुछ कह नहीं सकते”
  • रिपोर्टर- “देखिये ज्यादातर मामले में देखा गया है कि लड़कियाँ विक्टिम होती है और अभी आप अलग कह रहे है, तो जनता में माहौल अलग हो रहा है।”
  • माध्यम- “यही तो हमारे समाज और हमारे कानून की कमजोरी है। उन्हें लगता हैं कि विक्टिम हमेशा लड़कियाँ और दोषी हमेशा लड़का होता है। गलत।किसी के भी साथ हो सकता है और कोई भी कर सकता है। हमारे समाज में हमेशा नारी को अबला और कमजोर समझा जाता है और ये मान लिया जाता है कि गलत तो हमेशा कमजोर के साथ होता है, जो खुद की रक्षा नहीं कर सकते। और एक मर्द को दर्द ही नहीं होता, तो भला उसे कहाँ कुछ हो सकता है। जबकी ऐसा नहीं है। डोमेस्टिक वायलेंस लड़कें ज्यादा सह रहे है और वो बता भी नहीं सकते क्यूंकि समाज उनको ताने देगा, “कि देखो बीवी से पीट गया।” ऐसे ही रेप केस और भी वारदात सिर्फ लड़कियाँ नही लड़के भी झेलते है। पर चुप है। ऐसे में हमें समाज और कानून में बदलाव की जरूरत है।”

माध्यम का ये इंटरव्यू वायरल हो गया। माध्यम वापस अपने कॉलेज भी गया और अब लोग उसे एक हीरो की तरह देख रहे थे। ख़ैर वक्त आगे बढ़ा। कुछ लोग माध्यम के साथ थे तो कुछ हमेशा की तरह विपक्ष पर।अनिकेत ने और भी लड़कों के साथ गलत किया था।अब वो भी खुल के सामने आ कर बात कर रहे थे। कुछ के पास तो अनिकेत के खिलाफ सबूत भी थे। कुछ अभी भी कैमरे के सामने आने से हिचकिचा रहे थे। पर एक लहर सी उठ गयी थी। अनिकेत बजाज के खिलाफ।

अनिकेत को शायद इसकी उम्मीद नहीं थी। उसने माध्यम के वकील को खरीदना चाहा पर वकील साहब ईमान के पक्के थे।

केस लम्बा चला। ‘मैनस राइट’ की बात हुई। कई लोगों की ऐसी कहानियाँ सामने आयी जो लोग हमेशा दबा देते है। कोर्ट में बहस हुई, दलीलें दी गयी। आखिरकार अनिकेत बजाज और उसके अन्य साथीयों को (अबनॉर्मल सेक्स जैसे किसी जानवर के साथ सेक्स करना या किसी के मर्ज़ी के खिलाफ सेक्स करना) इसके तहत 10 साल की सजा हुई। उनके साथ एक लड़की भी थी, जिसने उनके गुनाहों में उनका साथ दिया था और उसने भी माध्यम के साथ रेप किया था। पर दुर्भाग्यवस हमारे समाज में लड़कियों को इस गुनाह में सजा देने के लिए कोई कानून नहीं है। मगर उसे मौकाये वारदात पर मौजूद रहने और दोषियों का साथ देने के लिए सजा हुई।

3 साल बाद:

  • मिश्री अब दिल्ली में ही एक कंपनी में जॉब करती थी। वो एक दिन जैसे ही अपने ऑफिस से बाहर निकली उसने माध्यम की बाइक देखी। माध्यम भी दिल्ली में रहने लगता है।
  • मिश्री- “हाय मधु, तुम अभी यहाँ क्या कर रहे हो?”
  • माध्यम- “मैने अभी एक नया घर लिया हैं। बताया था न। तो तुम्हें अपना घर दिखाने ले जा रहा हुँ। बैठो।”
  • मिश्री- “अभी?”
  • माध्यम- “हम्म,जरूरी है।”
  • मिश्री- “ठीक है।”

माध्यम उसे अपने घर लेकर गया जो उसने पहले से ही सजाया हुआ था।

  • मिश्री- “मधु, ये सब?”
  • माध्यम- “सरप्राइज डेट”
  • मिश्री- “तो ये डेट है?”
  • माध्यम- “हाँ, अगर तुम मुझसे शादी करने के लिए मान जाओ तो ये डेट है। नहीं तो मेरी तरफ से घर लेने की खुशी में पार्टी।”
  • मिश्री (हॅसते हुए)- “डेट ज्यादा बैटर रहेगी, क्यूंकि पार्टी तो सभी दोस्तों के साथ ही होगी।”
  • माध्यम- “मतलब तुम्हारी हाँ है।”
  • मिश्री- “हम्म, बिल्कुल।”

कुछ देर बाद वो दोनों छत पर बैठे हुए थे और चांद की तरफ देख रहे थे और एक ठंडी हवा का झौका उन्हें छू गया।

माध्यम के दोषियो को भले ही सजा मिल गयी थी पर उन्होंने फिर से अपील की थी। अभी भी कुछ ख़ास बदलाव नहीं आया था। माध्यम और मिश्री, दोनों ही अपने अतीत से निकलने की कोशिश कर रहे थे। अभी भी माध्यम मैनस राइट के लिए लड़ रहा था और दोनों ही अपनी समस्याओं से झुझ रहे थे। पर इनमें एक अच्छी बात ये थी कि माध्यम अब लड़ना सिख गया था, अपने लिए भी और दुसरों के लिए भी और मिश्री अब उसकी हर लड़ाई में साथ थी। चाहे वो खुद से हो या बाहर वालों से। कई बार सिर्फ लड़ाई जीत और हार दोनों से ज्यादा मायने रखती हैं।