कहानी: मतलबी दोस्त

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एक शहर में दो दोस्त रहते थे। दोनों में गहरी मित्रता थी। एक दोस्त का नाम श्याम था तो दूसरे का राम। श्याम एक सम्पन्न परिवार से था। वही राम गरीब परिवार से था। जहाँ श्याम को कभी किसी चीज के लिये तरसना नहीं पड़ा, वही राम के साथ ऐसा नहीं था। राम के पिता की मृत्यु उसके बचपन में ही हो गयी थी। चार बहन भाइयों में वह सबसे बड़ा था। बड़े होने के नाते सारी जिम्मेदारियां उसी पर थी, लेकिन इन सबसे राम और श्याम की दोस्ती पर कोई फर्क नहीं पड़ा था।

दोनों बचपन से ही साथ खेलते। बड़े हुए तो दोनों की शादी हुई। श्याम का विवाह एक बहुत धनी सेठ की सुन्दर कन्या से हुआ। उसकी पत्नी बहुत ही सुशील और संस्कारवान थी। उसके दो बच्चे भी हो गए। वही राम का विवाह उसकी मर्जी के खिलाफ किया गया। वह अभी शादी नहीं करना चाहता था। राम की पत्नी साँवली लेकिन सुन्दर नैन नक्श वाली थी। वह गुणवान भी थी। मगर राम को वह पसंद नहीं थी। वह अपनी पत्नी से खींचा खींचा सा रहता।

राम दिन भर काम में व्यस्त रहता और रात को थककर सो जाता। धीरे धीरे समय बीतता गया और इस बीच राम के तीन बच्चे भी हो गये। राम मेहनत मजदूरी करके अपना और अपने परिवार का पेट पालता था। एक दिन उसने व्यापार करने की सोची। एक व्यक्ति के साथ उसने अपना छोटा सा व्यापार शुरू किया। भगवान की कृपा से उसका व्यापार चल निकला। जिस व्यक्ति के साथ उसने व्यापार शुरू किया उसके साथ मनमुटाव के चलते दोनों ने व्यापार अलग कर दिया।

राम को श्याम की याद आयी क्योंकि व्यापार के लिये पैसों की आवश्यकता थी। उसने श्याम से मदद माँगी। श्याम ने राम के व्यापार में मदद की। उसने धन तो दिया ही साथ ही वह व्यापार में भी उसकी मदद करने लगा। वह कोशिश करता कि राम को किसी भी प्रकार की कोई दिक्क्त न हो। धीरे धीरे राम का व्यापार बढ़ने लगा। राम का व्यापार दिन दोगुनी रात चोगुनी तरक्की करने लगा। अब राम ने अपने लिए गाडी खरीद ली थी। अपना नया घर बनवा लिया था। धीरे धीरे उसके घर में सभी सुख सुविधाएँ हो गयी।

व्यापार के चलते राम ने बैंक से लोन ले लिया था लेकिन इस सबके बीच राम ने श्याम का कर्जा चुकाने की नहीं सोची और राम ये सोचकर चुप रह गया कि जब उसे पैसो की जरूरत होगी तो वह राम से माँग लेगा।

कहते है कि जब इंसान के पास पैसा आता है तो उसमें घमंड और महँगे शौक भी आ जाते है। अब राम पहले जैसा नहीं रह गया था। अपनी पत्नी तो उसे वैसे ही पसंद नहीं थी सो बहुत सारी लड़कियों से उसने दोस्ती कर ली थी। वह अब लड़कियों के चककर में पड़ने लगा था। शराब पीने लगा था। राम अपना ज्यादातर धन लड़कियों को घूमाने फिराने में खर्च कर देता। जब श्याम ने ये सब देखा तो उसे राम की चिंता हुई। श्याम राम को टोकने लगा लेकिन अब राम को श्याम की बाते बुरी लगने लगी थी। अगर श्याम उसे कुछ समझाता तो उसे लगता कि वह उससे जलता है।

ऐसे ही समय बीतता गया और राम और श्याम की दोस्ती कमजोर होती गयी। एक दिन अचानक श्याम की पत्नी की तबियत बहुत खराब हो गयी। राम ने हकीम, वैध, डॉक्टर्स सबको दिखाया पर सबने जवाब दे दिया। किसी भी इलाज से उसकी पत्नी को कोई फायदा नहीं हो रहा था। इधर पैसा पानी की तरह बह रहा था और उधर उसकी पत्नी की हालत दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही थी।

श्याम को उम्मीद थी कि इन हालातों में उसका दोस्त उसकी मदद जरूर करेगा। मगर उसकी आशा के विपरीत राम ने तो श्याम की सुध-बुध ही नहीं ली। उसने एक बार भी श्याम से आर्थिक मदद के लिये नहीं पूछा। जब श्याम ने राम से अपने पैसे माँगे तो उसने बहाना बना दिया। अब श्याम को राम पर बहुत गुस्सा आया।

उसने राम से कहा कि लड़कियों पर लुटाने को तो तुम्हारे पास बहुत पैसा है। तुमने अभी नयी गाड़ी और बाइक खरीदी है। तुम रोज पार्टी करते हो और मुझे देने को तुम्हारे पास पैसे नहीं है। मै तुमसे उधार नहीं माँग रहा हूँ बस अपने पैसे माँग रहा हूँ। इस पर राम बहुत ज्यादा भड़क गया और उसने श्याम को खूब खरी खोटी सुनायी और वहाँ से चला गया।

उस दिन श्याम बहुत रोया। वह अंदर से टूट सा गया था क्योंकि उसे राम से इस सबकी उम्मीद बिलकुल भी नहीं थी। श्याम ने राम की हमेशा मदद की थी। हमेशा उसका भला ही चाहा था। वह उसके लिये दूसरो से झगड़ जाता था और आज उसी दोस्त ने उसके बुरे वक्त में उसे आँखे दिखाई थी। ये पहली बार था जब उन दोनों के बीच इतना झगड़ा हुआ था और यह भी पहली बार ही था जब श्याम को राम की जरूरत आन पड़ी थी।

खेर वक्त बीता और श्याम की पत्नी धीरे धीरे ठीक होने लगी। श्याम अब काम पर जाने लगा। उस दिन के बाद से राम और श्याम की दोस्ती टूट गयी। उन दोनों में बातचीत बंद हो गयी गयी। राम ने श्याम के पैसे भी नहीं दिये। धीरे धीरे श्याम ने अपने पैसे माँगना बंद कर दिया। ऐसे ही समय बीतता गया।

समय का चक्र घूमा और एक दिन श्याम को बाजार में राम का बेटा मिला। वह बहुत परेशान लग रहा था। उसने बताया कि पिताजी को व्यापार में घाटा हुआ है। गाड़ी भी बेचनी पड़ गयी। बैंक वालो का लोन चुकाने के लिये घर भी गिरवी रखना पड़ा। अपनी पत्नी के गहने राम पहले ही बेच चुका था। राम के बेटे ने बताया कि पिताजी काफी परेशान रहते है। परेशानी के चलते वह बीमार भी रहने लगे है।

यह सब सुनकर एक बार को तो श्याम ने सोचा कि जब उसके दोस्त ने उसके बुरे समय में उसका साथ नहीं दिया तो वह भी उसकी चिंता क्यों करें लेकिन फिर उसने सोचा कि अगर वह भी उसके जैसा व्यवहार करेगा तो उसमे और राम में क्या फर्क रह जायेगा। एक दिन श्याम राम से मिलने उसके घर गया। श्याम को देखकर राम फूट फूटकर रोने लगा। राम ने अपने दोस्त को गले से लगा लिया। उस दिन उन आंसुओ के साथ दोनों के मन का मैल भी धुल गया। अब दोनों ने मिलकर राम के व्यापार को फिर से खड़ा किया और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।