नमित पेशे से जर्नलिस्ट है जोकी अपनी स्टोरी के लिए इधर उधर घूमता रहता है। इस दौरान उसे कई तरह के लोगों से मिलना जुलना होता है। आज शाम को प्राइम टाइम में उसका प्रोग्राम चलता है। और बॉस नाम का खतरनाक प्राणी उसे उसके ही प्रोग्राम से बाहर कर देगा, अगर कहानी लीक से हटकर नही हुई तो। यही सोच-सोच कर नमित का दिल बैठा जा रहा था। वैसे आज वो बिहार में एक शादी में शामिल होने आया था और दिमाग में ये बात भी थी कि कुछ सॉफ्ट न्यूज भी collect हो ही जायेगी।
लेकिन वो कहते है न “होनी को कुछ और ही मंजूर था” और किस्मत ने अपने कलम और श्याही से कुछ और लिख रखा था। जब वो शादी में पहुँचा तो वहाँ का नज़ारा बिलकुल ही अलग था जैसे बिना कैमरा के किसी फिल्म की शूटिंग चल रही हो। दूल्हे के सर पे बंदूक तनी हुई थी। लड़की महारानी पद्मावती के तरह सजी मजे से बैठी थी, जैसे उसे कोई फर्क नही पड रहा था। और पत्रकार महोदय को लगा इससे बेहतर कहानी तो हो ही नही सकती और अपने डिजिटल कैमरा को निकाल फोटो शूट करने लगा। फटाफट करके एक एक क्लिक हर कोने से बढ़िया से बढ़िया फोटो।
लेकिन अगले पल दो जोड़े बंदूक उसके सर पे आकर टिक गई और अगले पल वो दुल्हन-दूल्हा के समेत उनके आलीशान हवेली पर मौजूद था। नमीत को अब समझ में थोड़ा-थोड़ा सा आ रहा था कि वो भी बंधक बन चुका है लेकिन मेरी क्या गलती है मैं तो बस दोस्त की शादी में आया था। रात में मच्छरों के साथ गुजरी। उन्होंने तो खून चूस चूस के उसका फेशियल किया हुआ चेहरा ही सूजा दिया था। सुबह नाश्ते के टेबल पे ले जाकर बिठा दिया गया जिधर नज़ारा ही अलग था। दुल्हन बड़े ही मजे से motton के पाइप वाले पीस से ग्रेवी को पी रही थी, एकदम से बच्चों की तरह। एकदम बेपरवाह जैसे उसे कोई फर्क ही नही पड़ा हो। या ये उसके इधर का रिवाज़ हो।
उधर दूल्हा जो चिल्लाए जा रहा था मुझे जाने दो मुझे जाना है। इस तरह कौन शादी करवाता है। ये शादी कभी भी मुकम्मल नही होगी। मैं इस गवार को कभी भी कबूल नही करूंगा। मैं दोस्त की शादी में आया था। मुझे जबरन बंधक बनाया और शादी करवा रहे हो। जाने दो मेरी मंगेतर है। मेरा इंतजार कर रही होगी। भगवान से डरो मुझे जाने दो।
और बेचारा नमित ये नही समझ पा रहा था कि उसकी गलती क्या है। लेकिन इतना समझ में आ गया था कि ये बिहार की एक रस्म पकड़वा विवाह का हिस्सा हैं। जबकी कानून ने इस पर बैन लगा दिया है, लेकिन यदा-कदा कई मामले सामने आते रहते हैं। जिसमे जबरदस्ती दूल्हे की शादी करवा देते है और बाद में उसे विवश या खुश होकर जिंदगी उसी लड़की के साथ गुजारनी होती है।
ठाकुर साहब (लड़की के पिता)” दामाद जी हम हमेशा से अपनी लड़की के लिए सरकारी नौकरी वाला दूल्हा चाहते थे। पर हमारी बिटिया रानी कभी स्कूल ही नही गई। अब बताओ इन्हे कौन लड़का सामने से आकर अपनाता। इसलिए हमें ये रास्ता निकालना पड़ा, अगर किसी मूर्ख से इसकी शादी करवाते तो इसका तो दिल ही टूट जाता”
तो ये मामला है….. नमित को अब समझ में आया मामला, लेकिन वो क्यों इधर है, सो समझ में अब तक न आया। समझ में आया तो ये कि वो अब पकड़वा विवाह का हिस्सा बन चुका है। वो कब से इस स्टोरी पे काम भी करना चाहता था लेकिन कुछ हो भी नहीं पा रहा था। अब हो रहा था तो कैसे बंदूक की नोक पे क्या स्टोरी बनाए और क्या ज़माने को दिखाएं।
दूल्हा “ये शादी कभी sucess नही होगी, देख लेना… मुझे जाने दो प्लीज”। दुल्हन “आज मीठे में रसमलाई नही है मैं रसगुल्ला नही खाऊंगी।” जैसे उसे टेबल पे हो रही बातों से कोई मतलब ही न हो। तभी एक लंबा-चौड़ा सा आदमी आया जो शायद दुल्हन का भाई होगा, पर्सनेलिटी तो किसी पुराने जमाने के जमींदार के जैसे थी और वो आकर सामने टेबल पर बैठ गया।
“अरे दामाद जी आपने कुछ खाया भी नही… आपके लिए मछली फ्राई, motton और मुर्गे की टांग तो साबुत ही बनवाया है। खाओ न शर्म न करो… और देखते ही देखते मुर्गे की टांग दे दना दन चबा गए, डकार भी न लिया। नमित बेचारा देखता ही रह गया।
उधर दूल्हा जो शायद शुद्ध शाकाहारी था। अपनी चेयर पे और दुबक के बैठ गया और ओ ओ करने लगा मानो उबकाई आ गई हो। पूरा घर इकट्ठा हो गया जाने क्या हो गया हो दामाद जी को। तभी किसी महिला की नज़र गयी कि दामाद जी तो तुलसी की माला धारण किए हो, लो यानी कि लहसन प्याज़ भी नही खाते। उधर दुल्हन दो कटोरी motton, तीन चार लेग पीस और छ: सात अंडे थोड़ी मच्छी फ्राई और उपर से रसमलाई। हे भगवान तुमने क्या सोच के इस तरह की जोड़ी बनाई है।
तभी दुल्हन ने आवाज़ दी ओ पत्रकार.. नमित का ध्यान भंग हुआ। दुल्हन “तुम कहानी लिखते हो क्या” “जी लिखता हूं “उसने जवाब दिया। हूं…… कलम के सिपाही हो। नमित ने सोचा कुछ तो ज्ञान है मोहतरमा में और उसने पेन पास किया। “Renolds का पेन नही रखते क्या?” नमित और दूल्हा दोनो उसकी ओर देखने लगे। पेन की कंपनी का नाम भी पता है। नमित ने कहा, “नही है। लेकिन सयोंग से दूल्हे के पास Renolds का पेन था। उसने उत्सुकता वस दे दिया जाने क्या लिखेगी। दुल्हन ने मुस्कुराते हुए ढक्कन लेकर पेन वापस दे दिया और कान में खुजली करने लगी। मुझे इसलिए ये पेन पसंद आता है कि लिखने के अलावा कान में खुजली भी कर सकते हैं। इसके बुलुका (blue) ढक्कन से पहचान जाते हैं कि ये Renolds का पेन है।
अब तो इन दोनों के पैर के नीचे से ज़मीन खिसक गई। नमित कुछ अच्छा सोच ही नही पा रहा था। हर मिनिट एक बम ब्लास्ट हो रहा था। वो सोच रहे थे कि इधर से निकले कैसे? boss को न्यूज नही दी तो वो आसमान सर पे उठाए होंगे ही। भगवान कुछ तो उपाय बताएं। उधर दुल्हन कान खुजाते हुए अंगड़ाई लेती निकल गई और दूल्हे को कह दिया, “हम अपने कमरे में जा रहे हैं। अगर तुम्हारा रोना धोना हो गया हो तो हमारे कमरे में दूध लेकर आ जाना। भाभी इनको हमारा कमरा दिखा देना।
अरे बाबा कितनी बोल्ड लड़की है। नमित ये देख बस सोचता ही रह गया। दूल्हा “मुझे मेरे घर जाना है, मैं सबको कोर्ट में घसीट दूंगा, ये गैरकानूनी है।” दुल्हन दूल्हे की आवाज सुन फिर पलट के आई और बोली “जी आपके घर भी चलेंगे। घर जमाई थोड़े न बनना है। हमारे पिता जी को नाना बनना है। सो बस वो नाना बन जाए, फिर तसल्ली से आपके घर चलेंगे और हाँ दूध लेकर आ जाये। मुझे खाने के बाद दूध पीना होता है।” कहकर वो फाइनली चली गई। और नमित् को भी जाते-जाते ये सुना गई, “पत्रकार साहेब जब तक आप अपने कलम से हमारे प्यार की कहानी नही लिखते तब तक आप कही भी नही जाओगे। और दूल्हे के साथ ही आप जाओगे वरना आप बाहर हमारे साथ ही जाओगे। तब तक जब तक हमारे प्यार की निशानी दुनिया में नही आ जाती। मजे से रहो खाओ पियो।
नमित तो सिर पीट के रह गया। हाय ये कहा फँस गया। ये सॉफ्ट न्यूज के चक्कर में हार्ड न्यूज में फँस गया। दूल्हे को कुछ औरतें जबरदस्ती दुल्हन के कमरे में ले जाकर बंद कर देती है। जिधर वो आराम से चिलम पी रही थी और बेचारा दूल्हा धुएं से खाँसी किए जा रहा था.. और कोने में खड़ा हो गया। दुल्हन ने हँस के कहा क्यों उधर हो इधर आओ मेरी पहली शादी है तुम्हारी तरह, और उठ के उसको बेड पे बिठा दिया। और दूल्हे की तो घिग्घी बंध गई, लेकिन दुल्हन अचानक से रुकी और उसने अपना दुप्पटा हटाया अब तो दूल्हे को लगा उसकी वर्जिनिटी गई। लेकिन उसने वो दुप्पटा अपनी दादी की बड़ी सी तस्वीर पे डाल दिया, और बोली बुढ़िया तू चुपकर सो जा वरना तेरे परदादी बनने का सपना अधूरा रह जायेगा।
उधर दूल्हा “भगवान मुझे बचा लो वरना ये मेरी वर्जिनिटी आज खत्म करवा देगी। लेकिन तभी किसी ने दरवाजा नॉक किया। सामने से नौकर कह रहा था पुलिस आई है और साहेब से मिलना है। दूल्हे की थोड़ी जान में जान आई। वो जैसे ही पुलिस के सामने पहुँचा और अपनी आपबीती सुनाने की कोशिश की। उन्होंने हँस के बात को टाल दिया कि इधर ये सब होते रहता है और हम तो नाम के पुलिस है बाकी होता वही है जो जमींदार साहेब चाहते है। हम तो बस बधाई देने आए थे। और ये लोग बहुत नेक दिल है बस इनकी लड़की जब तक खुश है, तब तक आपके परिवार में भी सब सुरक्षित है। इनकी लड़की दुखी, यानी सर्वनाश।
पुलिस चेतवानी दे कर चली गई। बेचारा नमित्त चुपचाप सब सुन रहा था। न उसके पास उसका कैमरा था न पेन और न ही वो कुछ करने की हालात में था लेकिन चुपचाप बैठ भी तो नही सकता था न। उसने दूल्हे को दिलासा दिलाया। घबराना नही है कुछ उपाय तो जरूर निकलेगा। लेकिन तब तक इस तरह रहना होगा जैसे कुछ हुआ नही और उन्हें कोई दिक्कत नही है। बेचारा दूल्हा कुछ सोचता कि नौकर ने बताया की दीदी बुला रही हैं और साथ में लेकर ही आने को बोला है। बेचारा नौकर के पीछे पीछे चला गया।
नौकर ने कहा था सिया दीदी। नाम तो बहुत ही बढ़िया रखा है चुड़ैल का। लेकिन तभी घर में जोर से आवाज आने लगी। मारो, जाने मत दो पकड़ो.. सिया के कमरे से आवाज आ रही थी। सब उधर ही भागे.. लेकिन अंदर मोहतरमा पब्जी गेम खेल रही थी और फिर चिल्लाई चिकन पार्टी मेरी। नमित और राघव (दूल्हे) ने सिर पीट लिया गवार कहीं की। जाने कौन-सी बला है।
इस तरह से उस घर में जाने कितने दिन बीत गए राघव को अपनी माँ और पूरी फैमिली की बहुत याद सता रही थी। जाने कब जाना हो। घर के बाहर भी पहरा बहुत सख्त था। नमित्त भी कुछ नही कर पा रहा था। अब राघव को लोग बुरे नही लग रहे थे। धीरे धीरे सब अच्छा लग रहा था लेकिन फिर उसे उसकी मंगेतर की याद आ जाती.. और सर को झटक देता।
राघव ने आज सुबह सिया को देखा और देखता ही रह गया। गीले बालों में चमपई सिंदूर, गुलाबी प्योर सिल्क की साड़ी, बहुत सारे गहने, एकदम स्वर्ग से उतरी अप्सरा लग रही थी। बस मन करा कि सब भूल के उसको निहारता रहे.. लेकिन तस्वीर में टंगी दादी को भी कहा चैन था, “क्यों बबुआ पसंद आ गई न हमारी पोती।” राघव फिर डर गया।
राघव तुरंत हकीकत की दुनिया में वापिस आ गया। लेकिन गौर से सोचने पे सिया की गलती किधर है? उसकी गलती क्या है? अगर उसके समाज में बेटियों को पढ़ाना लिखाना जरूरी नहीं समझते। मनपसंद हमसफर बंदूक की नोक पे लाते है तो उसकी कही से भी गलती नही है। राघव का मन वकालत करता सिया के लिए। पर गलत तो गलत ही होता है न।
एक दिन राघव और नमित को मौका मिल गया। सारे घर वाले बगल के गाँव में शादी देखने गए थे। नमित ने कैसे करके एक गाड़ी मंगवाई। उसने एक नौकर से कितनी मुश्किल से दोस्ती की थी। उसी का मोबाइल लिया था और अपने दोस्त को बोल के गाड़ी अरेंज की। चूँकि घर वाले सोचते थे कि अब तो सब ठीक है। अब दामाद भी घर का हो गया तो चौकीदारी कम कर दी थी। अब जाने का टाइम आया तो राघव का दिल बैठा जा रहा था। लग रहा था कुछ छूट रहा है। बंदूक की नोक पे ही सही उसने सात फेरे तो लिए थे। जबरदस्ती ही सही पर कसमें खाई तो थी। लेकिन जाना तो था सो उसने दादी के सामने हाथ जोड़ के माफी माँगी और सिया की एक फ्रेम वाली फोटो लेकर नमित के साथ निकल जाता है।
दादी कुछ भी नही बोल पाती। उनकी लाडली पोती इस कुप्रथा की बलि चढ़ गई। जाने क्या जवाब देंगी वो जब वो शादी से वापिस आयेगी.. दादी मूक बन गई। नमित के पास वही स्टोरी थी। जो वो कबसे चाहता था। पर अंदर से मन बहुत दुखी था। बेचारी सिया उसकी बस इतनी सी गलती थी कि वो इस जगह पैदा हुई। बेटी के लिए अच्छा दामाद ढूढना सबका हक है। लेकिन आपको अपनी बेटी को उस लायक भी तो बनाना चाहिए… कि कोई उसे अपना जीवन साथी बनाने में गर्व महसूस करे न की शर्मिंदा हो। हालाकि ये प्रथा अब बंद हो चुकी है।
Very nice story
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