वो डरावना सपना था मेरे लिए या मेरे भविष्य की एक झलक थी। मुझे नहीं पता पर अपने इस भविष्य दर्शन से मैं बहुत परेशान हूं! मेरा नाम रूही है। मैं अभी एक महिने पहले ही 32 की हुई थी और मेरे परिवार ने हमेशा की तरह ही खुब धूमधाम से मेरा जन्मदिन मनाया था। वैसे मैं लाडली भी तो हूं सबकी। मैं अपनी माता पिता की एकलौती संतान हूं और मेरे ससुराल में भी मेरे पति अकेले संतान है। वैसे शायद आपको लगे कि मैं खुद की तारीफ कर रही हूं, पर ये सच है कि मैं काफी सुंदर हूं। अगर आप लोगों की नजर में मेरे लंबे घूँघराले बाल और मेरी लंबी काली गहरी ऑंखे और मेरा गोरा रंग सुंदरता का प्रतिक है। तो हाँ मैं सुंदर हूं।
इस बात का मेरे आस पास के लोगों ने मुझे हमेशा ही एहसास दिलाया है, तो मुझें इस चीज का हमेशा से थोड़ा अंहकार था। मेरी शादि के दो साल हो चुके हैं और मेरे पति भी काफी अच्छे है दिखने में भी और व्यहार में भी। हम दोनों एक अच्छी सोसाइटी में रहते है। हम दोनों ही पहले जॉब करते थे। मैं एक अकॉउंटेन्ट हूं और मेरे पति एक बैंक मैनेजर है। पर अभी मैं प्रेग्नेंट हूं तो अभी मैं घर पर ही रहती हूं।
मेरी जिंदगी में सब कुछ अच्छा चल रहा है। मेरे पति मुझसे काफी प्यार करते है और मेरे सास-ससुर, मेरे माता-पिता सब मेरा ख्याल रखते है और हमसे मिलने भी आते रहते हैं। अभी मेरा आठवा महिना लग गया है। मैं जल्द ही मेरे बेटे को जन्म दूंगी!
हाँ, मुझें मालुम है मेरे गर्भ में लड़का है। मेरी माँ ने एक बाबा से ला कर मुझें एक जड़ी बुटी खिलायी थी। मेरे दूसरे महिने में ही। मुझें मालुम है आप ये नहीं मानेंगे पर ऐसा होता है। वो बाबा पता नहीं कितने औरतों को इस जड़ी-बुटी से लड़का करवा चुके है।
ख़ैर इसके अलावा भी मेरे पास एक और बात है जिससे मुझें मालुम है कि मेरा बेटा ही होगा!
वो एक आम सा दिन था मेरे पति अनिकेत सुबह तैयार हो रहे थे।
- अनिकेत- “अरे रूही यार ये जूस तो पिया करो”
- रूही- “अरे मुझें नहीं पसंद, ये अनार का जूस कौन लाता है?”
- अनिकेत- “जिसे अपनी बिवी को पिलाना होता हैं वो,चलो अब पियो”
- रूही- “खुद पी लो ना”
पर तभी अनिकेत रूही कि मम्मी को फोन मिलाने लग जाता है।
रूही- “अरे मैं तो मजाक कर रही थी।”
और वो फटाफट पी गयी।
अनिकेत (हस्ते हुय)- “गुड गर्ल, चलो बाय।”
और मेरे पति चले गये, वो हमेशा मेरे पिछे पड़ते है मेरी सेहत को लेकर और जब से मैं प्रेग्नेंट हुई हूं तब से कुछ ज्यादा ही।
रोज की तरह मेरा दिन बिता, मैने माँ (अनिकेत कि माँ) से बात की थोड़ी हल्की एक्सरसाइज की और जब शांता घर से काम करके गयी तो मैने अपनी मम्मी को फोन किया।
- रूही- “हेलो मम्मी कैसी हो?”
- मम्मी- “ठीक हूं बेटा तू कैसी है? ज्यादा उछल कूद तो नहीं कर रही?”
- रूही- “मैं क्या कोई बच्ची हूं? जो उछल कूद करुँगी!”
- मम्मी- “हरकतें तो वैसी ही है।”
- रूही- “अच्छा मम्मी वैसे क्या आप को पुरा यकीन है कि मुझें बेटा ही होगा?”
- मम्मी (गुस्सा होते हुए)- “पागल लड़की, ऐसे बार बार इन चीजों का ज़िक्र नहीं करते!चुपचाप रह और सबको ढोल मत पिट कर बता और अब घर से ज्यादा निकलना बंद कर दे आराम कर बस।”
- रूही-“ठीक है मम्मी”
उफ्फ मेरी मम्मी मुझें हमेशा इन बातों के लिए डाटती है। मैं थोड़ा बोर हो रही थी तो मैं एक नॉवेल पढ़ने लगी। कुछ देर बाद मैने समय देखा तो 4 बज गये थे, पढ़ते पढ़ते मालुम ही नहीं चला कब इतना समय हो गया। अब मुझें कुछ फल खाने चाहिये तो मैं रसोई में गई और कुछ फल और एक दुध का गिलास लेकर वापस आयी और बैठ गयी।
- तभी अचानक मुझें थोड़ा हल्का सा महसूस होने लगा मैने अपने शरीर की तरफ देखा और मेरा पेट, “मेरा बच्चा कहाँ गया? और मेरा शरीर, मेरी त्वचा, मैं मैं…बुढ़ी कैसे हो गयी?”
- “ये सब क्या हो रहा है? मैं एक व्हील चेयर पर बैठी हुई हूं और मैं सिर्फ अपनी ऑंख कि पुतलियाँ हिला सकती हूं। मेरा शरीर जिस पर मुझें अहंकार था वो किसी काम का नहीं रहा। मैने घर की तरफ देखा और हाँ, ये है तो मेरा ही घर पर कुछ बदलाव के साथ और ये क्या…’अनिकेत’ मेरे पति की तस्वीर पर हार चढ़ा हुआ है। मतलब वो वो …मर चूके हैं।”
कुछ याद आ रहा है मुझें, मेरे बेटे ने अनिकेत के साथ एक बहुत बड़ा झगड़ा किया था और वो गुस्से में मुझें ले कर निकले थे। हम कार से जा रहे थे और वो बहुत तेज़ चला रहे थे। तभी हमारा एक्सिडेंट हुआ और अनिकेत नहीं रहें और मेरी ये हालत हो गयी।
मैं पिछले दो साल से इस व्हील चेयर पर हूं और बहु और बेटे के ताने सुन रही हूं ।
अरे ये आवाज़ कहाँ से आ रही है? अरे हाँ, ये तो मेरा बेटा जय और मेरी बहु निकीता की आवाज़ है।
- जय- “तुम सही कह रही हो निकी, हमें ये कदम उठाना ही होगा!”
- निकीता- “मैं जानती हूं जय, ये तुम्हारे लिए मुश्किल है। अपनी मम्मी को मारना खुद के ही हाथों से आसान नहीं, पर तुम्हें करना होगा। ये हमारे बच्चों के लिए, हमारे परिवार के लिए, आखिर पिछले दस सालों से हम तुम्हारी मम्मी पर खर्चा कर रहे है और कितना करे? अब हमें अपने बच्चों और अपने परिवार के बारे में भी तो सोचना है।”
- जय- “हम्म्म”
ये ये तो मुझें मारने की बात कर रहे है। मेरा बेटा मुझें मारने की बात कर रहा है, वो मुझें मार देगा। वो दोनों मेरे कमरें में आये, मैं बोलने की हालत में नहीं हूं पर मुझें समझ में आ रहा है। वो मुझें मारने आये है। मुझें मुझें…डर लग रहा है। भले ही मैं अपनी इस जिंदगी से खुश नहीं हूं और मरने की कामना करती हूं, पर हाँ, मुझें मौत से डर लग रहा है! अपनी मौत को सामने देख कर अपने ही बेटे के रूप में मुझें डर लग रहा है। मेरे बेटे ने मुझें गोद में उठा कर व्हील चेयर पर से बेड पर रख दिया और उसने कहा-
- जय- “मुझें माफ कर देना मम्मी, पर मैं मजबूर हूं! मुझे मेरे बच्चों के लिए और अपने परिवार के लिए आपकी जान लेनी ही होगी! आपको तो सब पता ही है। आपके स्वास्थ पर कितने खर्चे होते हैं और अब ये हम नहीं कर सकते। आई एम सॉरी मम्मी!”
वो ये क्या कह रहा है। उसका परिवार क्या मैं उसका परिवार नहीं हूं? और ख़र्चे, क्या मैने उसे पढ़ाने में और उसे बड़ा करने में कोई खर्चा नहीं किया। मुझें डर लग रहा है। मरने से मुझें डर लग रहा है। मैं अपने बेटे के रूप में अपनी मौत, शैतान के दर्शन कर रही हूं। मेरे बेटे ने तकिया मेरे ऊपर रख दिया और मुझें दबाने लगा। मुझें घुटन हो रही है। मुझें साँस नहीं आ रही और मैं छटपटा रही हूं। मेरी आँख से आंसू निकल रहे है और मेरी सांस रुक गयी!
हाँ, मैं मर गयी और यही मेरी मौत की वजह है मेरा बेटा, मेरी मौत! मेरी साँस फिर भारी हो गयी और घबराहट होने लगी और मेरी आँख खुल गई।
ये ये…सब क्या था? मैने खुद की की तरफ देखा मैं पहले के जैसी थी। खूबसूरत और मैने अपने पेट पर हाथ फिराया और मेरा बच्चा था, मुझें उसकी धड़कन महसूस हो रही थी।
तो क्या यही बच्चा मेरी मौत है? जिसे अभी मैने अपने गर्भ में स्थान दिया है। क्या मैं शैतान को जन्म देने वाली हूं ? ये सब क्या था? मेरे भविष्य की झलक थी या सिर्फ एक सपना! और मैं रोने लगी, मैं शैतान को जन्म देने जा रही हूं जो मेरी मौत का कारण बनेगा।