रामपुर में सियासत ने बदली करवट, आजम खान की गली पड़ी है सूनी

आजम खान की गैर मौजूदगी में उनके घर का दरवाजा और गली सुना पड़ा है, बूथ पर भी पहले जैसी बात दिखाई नहीं दे रही है।

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Rampur News: उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 8 सीटों पर वोटिंग हो रही है। इस चुनाव में रामपुर सियासी एतवार से काफी सूना नजर आ रहा है। आजम खान की गैर मौजूदगी में उनके घर का दरवाजा और गली सुना पड़ा है, बूथ पर भी पहले जैसी बात दिखाई नहीं दे रही है। उनके समर्थक भी खामोश है और पोलिंग बूथ के साथ समर्थक नदारद हैं।

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आज़म खान का घर शहर के मोहल्ला घेर मीरबाज़ मे स्थित है। वही उनका पोलिंग स्टेशन रजा डिग्री कॉलेज में है। आजम खान रामपुर से पहली मर्तबा 1980 में चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे इसके बाद हुए चुनावों में वह एक के बाद एक जीत हासिल कर चले गए। फिर वक्त ने करवट बदली और वह 1996 में कांग्रेस के अफरोज अली खान से चुनाव हार गए। एक बार फिर उनकी किस्मत का पहिया पटरी पर आया और फिर जीत का सिलसिला शुरू हो गया जो 2022 के विधानसभा चुनाव तक जारी रहा।

इस दौरान उत्तर प्रदेश में भले ही पहले मुलायम सिंह यादव और उनके बाद अखिलेश यादव के नाम का सिक्का टिकट बंटवारे को लेकर चलता आ रहा है। लेकिन रामपुर में जिसके सर पर आजम खान का हाथ होता था लोकसभा हो या विधानसभा हो टिकट पर मोहर उनकी मंशा के मुताबिक की लगती थी। मतदान के दिन आजम खान दरवाजे और गली में रौनक रहा करती थी।

मीडिया से लेकर सोशल वर्कर तक का जमावड़ा लगा रहता था। समर्थक आजम खान की वोट डालने तक उनके दीदार का इंतजार करते नजर आते थे लेकिन वक्त ने ऐसी करवट बदली के आजम खान जेल में है और कहीं ना कहीं उनके समर्थक सपा प्रत्याशी का बायकाट करते नजर आ रहे हैं। इसके पीछे का कारण मोहिबुल्लाह नदवी का आजम खान की बजाए अखिलेश यादव के खेमें का प्रत्याशी होना है।

आजम खान के घर और गली से 45 साल तक सियासी फरमान जारी होते रहे हैं। मुलायम सिंह यादव से लेकर अखिलेश यादव तक उनके इस घर पर दस्तक देते चले आए, लेकिन आज चुनाव हो रहा है ना घर के दरवाजे पर रौनक है, ना ही गली में किसी के राह गुजर है। पोलिंग बूथ पर भी इस बार आजम खान और उनके परिवार का ना किसी को इंतजार है।

धूप में तेजी के साथ भले मतदान प्रतिशत में इजाफा हो रहा हो लेकिन आजम खान के करीबी पूरी तरह से इस चुनाव से नदारत हैं। इसी माहौल को लेकर उनके मोहल्ले के लोगों की अलग ही राय है। 45 के लंबे अरसे की सियासत में पहली बार आजम खान के घर और गली का सूनापन देखकर मशहूर शायर अल्लामा इकबाल की यही पंक्तियां ऐसे माहौल में तैरना शुरू हो चुकी है।’हजारों साल नरगिस अपनी बे नूरी पर रोती है….बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर पैदा।’