भारत की पहली अंडरवाटर मेट्रो कोलकाता में शुरू हो गई है। जहाँ वर्षो की कड़ी मेहनत के बाद कोलकाता मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड की टीम ने ये बड़ी उपलब्धि प्राप्त की है। जिसका श्रीगणेश कल यानि 6 मार्च को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है। वही अंडरवाटर मैट्रो में सफर करने वाले यात्रियों को सुरंग के अंदर भी सुपरफास्ट इंटरनेट कनेक्टिविटी मिलती रहेगी।
टेलीकॉम ऑपरेटर्स Vodafone-Idea (Vi) और Airtel ने इसके लिए खास IBS (In-Building Solution) सिस्टम का इस्तेमाल किया है। इन दोनों टेलीकॉम कंपनियों ने कंफर्म किया है कि यात्रियों को कोलकाता और हावड़ा के बीच हुगली नंदी के नीचे से सफर करने के दौरान मोबाइल में नेटवर्क सिगनल मिलते रहेंगे।
अंडरवाटर मैट्रो टनल में यात्रियों को मिलेगी मोबाइल कनेक्टिविटी
नदी के तल से 16 मीटर नीचे से गुजरने वाली देश की पहली अंडरवाटर मैट्रो टनल में यात्रियों को मोबाइल कनेक्टिविटी अच्छी तरह से मिलेगी। यात्रियों की सुविधा को देखते हुए टेलीकॉम कंपनियों ने इस सुरंग में खास एंटिना इंस्टॉल किया है, जिसकी मदद से कॉल और डेटा एक्सेस किया जा सकेगा। जमीन से 42 मीटर अंदर बेहतर मोबाइल कनेक्टिविटी के लिए टेलीकॉम कंपनियों ने IBS सिस्टम यूज किया गया है, जो खास तौर पर इंडोर स्टेडियम, बड़ी और ऊंची इमारतों, टनल आदि के लिए है।
जाने क्या है IBS?
In-building solutions (IBS) सिस्टम में मोबाइल ऑपरेटर के सेलुलर सिग्नल को बिल्डिंग के अंदर भेजा जाता है। इस सॉल्यूशन की सहायता से बिल्डिंग या ऑफिस, शॉपिंग मॉल, अस्पताल, स्टेडियम, एयरपोर्ट आदि के अंदर हाई कैपेसिटी मोबाइल कम्युनिकेशन स्थापित की जाती है। इस सॉल्यूशन के जरिए इंडोर वातावरण में कई हब या इक्वीपमेंट लगाए जाते हैं, जो सिगनल को एंटिना तक पहुंचाते हैं। IBS के जरिए मोबाइल डिवाइसेज को मिलने वाले वायरलेस सिगनल को मजबूत बनाया जाता है।
In-building solutions (IBS) सिस्टम के जरिए 2G/3G/4G/5G LTE और Wi-Fi 6 नेटवर्क सिगनल को ट्रांसफर किया जा सकता है। इस सिस्टम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का इस्तेमाल करके हाई-स्पीड यूजर नेटवर्क तैयार किया जाता है, जिसके जरिए 10 Gbps से 100 Gbps की स्पीड से इंटरनेट सेवाएं पहुंचाई जा सकती है।
जाने यह कैसे करता है काम?
IBS सिस्टम में सिलिकॉन का उपयोग किया जाता है, जिसकी मदद से इंडोर में बेहतर नेटवर्क कवरेज मिलती है। टेलीकॉम ऑपरेटर के जमीन की सतह पर लगे मोबाइल टॉवर को इस सिस्टम में बेस स्टेशन माना जाता है। वहां से टेलीकॉम सिगनल IBS सिस्टम इस्तेमाल किए जाने वाले बिल्डिंग में लगे एंटिना तक पहुंचता है। इस एंटिना को डोनर एंटिना कहा जाता है। इसके बाद रिपीटर और स्प्लिटर की मदद से सिगनल को अलग-अलग सर्विस एंटिना तक भेजा जाता है। यूजर के डिवाइस सर्विस एंटिना के जरिए मोबाइल नेटवर्स से कनेक्ट हो जाते हैं। इस तरह से यह पूरा IBS सिस्टम काम करता है।
अंडरवाटर सेक्शन को क्रॉस करने में मैट्रो ट्रेन लगेगा इतना समय
कोलकाता मैट्रो के इस 520 मीटर अंडरवाटर सेक्शन को क्रॉस करने में मैट्रो ट्रेन को 45 सेकेंड का समय लगेगा। PTI की रिपोर्ट के अनुसार, वोडाफोन-आइडिया और एयरटेल ने कंफर्म किया है कि ये दोनों कंपनियां IBS का इस्तेमाल करके ट्रेन में यात्रा कर रहे यात्रियों को सुपरफास्ट इंटरनेट और मोबाइल सर्विस उपलब्ध कराएंगे। हालांकि, रिलायंस जियो ने अभी इस टेक्नोलॉजी को लेकर कोई बयान जारी नहीं किया है। कोलकाता मैट्रो के अलावा दिल्ली मैट्रो के अंडरग्राउंड स्टेशन पर भी IBS के जरिए ही हाई स्पीड मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं पहुंचाई जा रही हैं।