हिमालय की दस हजार फुट से ऊंची चोटियों पर तैनात होगी NDRF

एनडीआरएफ ने दुर्गम पर्वत शृंखलाओं में आपदाओं से निपटने के लिए अपने रक्षकों को तैयार करने के लिए कई उपायों की शुरुआत की है।

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राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (National Disaster Response Force) हिमालय के ऊंचे इलाकों में विशेष पर्वतारोहण टीमों को स्थायी रूप से तैनात करने की तैयारी कर रहा है। हिमस्खलन, भूस्खलन और बादल फटने की बढ़ती घटनाओं में राहत कार्य जल्दी शुरू हो सके, इसलिए यह योजना बनाई गई है। एनडीआरएफ (NDRF) ने दुर्गम पर्वत शृंखलाओं में आपदाओं से निपटने के लिए अपने रक्षकों को तैयार करने के लिए कई उपायों की शुरुआत की है।

सशस्त्र सुरक्षा बल इन देशो की सीमाओं की रक्षा के लिए तैनात है

विशेषज्ञों के मुताबिक़, इन क्षेत्रो में जलवायु परिवर्तन और मानव विकास समेत अन्य विभिन्न कारणों से दुर्घटनाओं में बढ़ोतरी देखी जा रही है। भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के अलावा सशस्त्र सीमा बल और सीमा सुरक्षा बल (Border Security Force) की ऊंचाई पर भी निगरानी हैं। ये सशस्त्र सुरक्षा बल चीन, नेपाल, भूटान और पाकिस्तान की सीमाओं की रक्षा के लिए तैनात हैं।

NDRF बल पहाड़ों में आपदाओं से निपटने के लिए कई कदम उठा रहा है

एनडीआरएफ के महानिदेशक, अतुल करवाल ने कहा कि बल पहाड़ों में आपदाओं से निपटने के लिए कई कदम उठा रहा है क्योंकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं के होने का गंभीर खतरा है। उन्होंने बल की स्थापना के 18 साल पूरे होने के मौके पर एक कार्यक्रम में कहा कि इस आपदा से निपटने के लिए बल सक्रिय भूमिका निभाएगा और इसकी तीन टीम छह फरवरी से अपना प्रशिक्षण शुरू करेंगी।

अतुल करवाल ने कहा कि, योजना बनाई जा रही है कि एनडीआरएफ (NDRF) की विशेष पर्वतीय बचाव प्रशिक्षित टीमों को तीन-चार महीने के लिए उच्च ऊंचाई (10,000 फुट से ऊपर) पर सीएपीएफ (CAPF) की चौकियों पर तैनात किया जाएगा।

हर टीम में चार-पांच कर्मि होंगे। यह हमें पहाड़ों में होने वाली किसी भी आपदा के मामले में त्वरित बचाव अभियान शुरू करने में मदद करेगा। हमारी टीमें पहले से ही ऊंचाइयों के अनुकूल हो जाएंगी क्योंकि वे वहां रह चुके होंगे या रह रहे होंगे।

जोशीमठ व अन्य आपदाओं के बारे में भी चर्चा की

अतुल करवाल ने उत्तराखंड में 2013 में अचानक आई बाढ़, फरवरी 2021 में सीमावर्ती शहर चमोली में हिमनदी झील के फटने से आई बाढ़ और जोशीमठ तथा आसपास के इलाकों में भू-धंसाव की ताजा घटना को उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में हुई कुछ आपदाओं के बारे में भी कहा। उन्होंने कहा कि, इस तरह की आपदाओं के पहले से कहीं अधिक और विकराल रूप में घटित होने की पूरी संभावना है और इसलिए एनडीआरएफ (NDRF) को इन चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार रहना होगा। पर्वतीय बचाव, कौशल और क्षमताएं ना सिर्फ उत्तर के पहाड़ी इलाकों में बल्कि अन्य स्थानों पर भी हमारी सहायता करेगी| बता दे कि, एनडीआरएफ (NDRF) ने हाल ही में विशेषज्ञ पर्वतारोहण संस्थानों से लगभग 125 कर्मियों को प्रशिक्षित किया है।