जाने रामकृष्ण परमहंस जयंती का महत्त्व एवं इससे जुड़ा इतिहास

0

रामकृष्ण परमहंस, जिन्होंने स्वामी विवेकानन्द का मार्गदर्शन किया और उनके जीवन को आकार दिया, 19वीं सदी के एक हिंदू संत और रहस्यवादी कवि थे। उनकी जयंती रामकृष्ण जयंती के रूप में मनाई जाती है और आमतौर पर फरवरी-मार्च में आती है। गदाधर चट्टोपाध्याय के नाम से जन्मे रामकृष्ण परमहंस कोलकाता के प्रसिद्ध दक्षिणेश्वर काली मंदिर के मुख्य पुजारी भी थे।

इस बार रामकृष्ण जयंती 2024, मंगलवार, 12 मार्च, 2024 को रामकृष्ण परमहंस की जयंती मनाई जा रही है। वह एक भारतीय रहस्यवादी और गुरु थे, जिन्होंने स्वामी विवेकानन्द को प्रेरित किया और रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। उनकी शिक्षाएँ परमात्मा के प्रत्यक्ष अनुभव और सभी धर्मों के प्रति सम्मान पर जोर देती हैं।

इतिहास

रामकृष्ण परमहंस का जन्म पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के कामारपुकुर गाँव में हुआ था। उन्होंने देवी काली की भक्ति के मार्ग से अपना जीवन शुरू किया और 1855 में दक्षिणेश्वर मंदिर में पुजारी बन गए। कई लोगों का मानना ​​है कि उन्हें “परमहंस” की उपाधि अपने वेदांतिक गुरु – तोतापुरी, जो पंजाब के एक प्रसिद्ध भिक्षु थे, से मिली थी।

महत्व

रामकृष्ण परमहंस की ईश्वर के बारे में सीखने की प्यास ने उन्हें आगे बढ़ने और इस्लाम और ईसाई धर्म सहित अन्य धर्मों का पता लगाने के लिए प्रेरित किया। उनके अनुयायियों में सबसे प्रमुख स्वामी विवेकानन्द थे, जिन्होंने रामकृष्ण मठ की स्थापना की। बेलूर मठ रामकृष्ण मठ और मिशन का मुख्यालय है।