स्वामी चिन्मयानंद विद्यालय में लगे शिविर में, ‘मंत्र’ सीख रहीं मातृ शक्तियां

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परिवार में मातृशक्तियों की भूमिका अहम है। आज हमें राष्ट्र और समाज को सशक्त बनाने की शुरुआत परिवार से करनी होगी। जिसके लिए उन्हें स्वयं को सशक्त बनाना होगा। मानिसक रूप से जागरूक रहते हुए अन्य लोगों को भी सजग करने का दायित्व निभाना पड़ेगा। यह कार्य एक दिन में नहीं होगा बल्कि निरंतर करते रहना होगा। यह संदेश विहिप के काशी प्रांत के दुर्गा वाहिनी के सदस्यों को स्वामी चिन्मयानंद विद्यालय में लगे शिविर में दिया जा रहा है। मातृशक्तियों की बौद्धिकता और तार्किक क्षमता विकसित करने का भी प्रयास हो रहा है।

काशी प्रांत के 19 जिलों से आई दुर्गा वाहिनी की 80 सदस्याें को प्रतिदिन व्यायाम आदि कराने के बाद सामाजिक व्यवहार से जुड़ी बातें समझाई जा रही हैं। पूरा जोर सामूहिकता का भाव जगाने पर है। दुर्गावाहिनी की सदस्य अपने अपने क्षेत्र में अधिक से अधिक लोगों से संपर्क करेंगी। यह संपर्क परिवार के स्तर पर होगा। सप्ताह में एक दिन पूरे परिवार को साथ लेकर सत्संग जैसा आयोजन भी कराएंगी। आवश्यकता के अनुसार स्थानीय धर्म गुरुओं की मदद ली जाएगी। इन सत्संगों में महापुरुषों, तीज त्योहारों पर चर्चा के साथ सामाजिक विषयों को भी उठाया जाएगा। शिविर में प्रशिक्षक की भूमिका में शामिल प्रांत सह संयोजिका दिव्या ने बताया कि संगठन का परिवार प्रबोधन पर बल है। टूटते परिवारों को जोड़ने में मातृशक्तियों की मदद ली जाएगी। लोगों को यह बताया जाएगा कि परिवार संस्कार का केंद्र हैं न कि निद्रा और भोजन के।

  • दुर्गावाहिनी की सदस्य प्रतिदिन किसी न किसी घर में जाएंगी।
  • परिवार के सभी सदस्यों को साथ बैठाने का प्रयास होगा।
  • कोई विषय देकर उसपर चर्चा होगी, उसमें सभी विचार रखें यह भी कोशिश रहेगी।
  • परिवार में कोई समस्या या वैमन्स्य दिखे तो उसपर विमर्श कर उसके समाधान का प्रयास होगा।
  • यह प्रक्रिया परिवार के साथ मोहल्ले और ग्राम स्तर पर भी चलेगी जिससे समाज को जोड़ा जाए। इसके माध्यम से स्थानीय विवादों व अन्य समस्याओं का समाधान भी खोजा जाएगा।
  • बच्चों को संस्कारित करने में भी दुर्गावाहिनी की सदस्य सहयोग देंगी जिससे लव जिहाद और मतांतरण जैसी समस्याओं से निपटा जा सके।