मौनी अमावस्या और बसंत पंचमी पर्व पर प्रयागराज के लिए चलेंगी मेला स्पेशल ट्रेन

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File Photo Railway
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पूर्वोत्तर रेल प्रशासन की ओर से मौनी अमावस्या और बसंत पंचमी पर प्रयागराज (Prayagraj) के लिए अनारक्षित चार मेला स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया जा रहा है। इसमें ट्रेन संख्या 15107  बनारस-प्रयागराज रामबाग बनारस स्टेशन से 31 जनवरी के साथ 4 फरवरी, 15 फरवरी और 28 फरवरी को रात 11.30 बजे संचालित होगी।

ट्रेन संख्या 05109 बनारस-प्रयागराज रामबाग  1 फरवरी, 5 फरवरी, 16 फरवरी और 1 मार्च को संचालित होगी। सुबह 5.30 बजे बनारस से चलकर सुबह नौ बजे प्रयागराज पहुंचेगी। ट्रेन संख्या  05117 भटनी-प्रयागराज 31 जनवरी को रात 10.35 बजे भटनी से चलकर अगले दिन तड़के में चार बजे प्रयागराज पहुंचेगी।

जबकि ट्रेन संख्या 05120 गोरखपुर-प्रयागराज 31 जनवरी की शाम चार बजे गोरखपुर से रवाना होकर अगले दिन देर रात दो बजे प्रयागराज पहुंचेगी।

वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन पर कोरोना नियमों का पालन नहीं किया जा रहा। यात्री बिना मास्क के स्टेशन और ट्रेनों के अंदर दिख रहे हैं। कैंट रेलवे स्टेशन पर रोजाना एक से डेढ़ लाख यात्री आते-जाते हैं। बावजूद इसके लोग कोरोना नियमों के प्रति सजग नहीं दिखाई दे रहे हैं।

माघ मास की अमावस्या 31 जनवरी को पड़ रही है लेकिन उदय व्यापिनी होने के कारण मौनी अमावस्या एक फरवरी को मनाई जाएगी। मौनी अमावस्या पर भौमवती अमावस्या का दुर्लभ संयोग निर्मित हो रहा है। गंगा के तट पर स्नान व दान के लिए श्रद्धालुओं का रेला उमड़ेगा।

पद्मपुराण के उत्तरखंड में माघ मास की अमावस्या के महात्म्य का वर्णन करते हुए कहा गया है कि व्रत, दान और तपस्या से भी भगवान श्रीहरि को उतनी प्रसन्नता नहीं होती, जितनी कि माघ महीने में स्नान मात्र से होती है। इसलिए स्वर्ग लाभ, सभी पापों से मुक्ति और भगवान वासुदेव की प्रीति के लिए प्रत्येक मनुष्य को माघ स्नान करना चाहिए।

ज्योतिषाचार्य विमल जैन ने बताया कि माघ की अमावस्या तिथि 31 जनवरी को दोपहर 1.15 बजे लग रही है और एक फरवरी को सुबह 11.16 बजे तक रहेगी। उदय व्यापिनी ग्राह्य होने से मौनी अमावस्या एक फरवरी को मनाई जाएगी। इस बार मौनी अमावस्या पर भौमवती अमावस्या का दुर्लभ संयोग होगा। तिथि विशेष पर मौन रख कर प्रयागराज त्रिवेणी संगम में स्नान या काशी में दशाश्वमेध घाट पर गंगा में डुबकी लगाने का विशेष मान है।

काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने बताया कि प्रात: काल मौन रख कर स्नान-ध्यान से सहस्र गोदान का पुण्य फल प्राप्त होता है। वैसे मौनी अमावस्या पर स्नान के बाद दान का भी विशेष महत्व होता है। दान में भूमि, स्वर्ण, अश्व, गज दान के साथ ही आम जनमानस तिल से बनी सामग्री, उष्ण वस्तुएं, कंबल स्वेटर, शाक-सब्जी दान से भी विशेष पुण्य लाभ होता है। इस दिन साधु-महात्मा व ब्राह्मणों के लिए अग्नि प्रज्वलित करनी चाहिए। उन्हें कंबल आदि जाड़े के वस्त्र देने चाहिए।