पकिस्तान में कटासराज के दर्शनों के लिए हिंदू श्रद्धालुओ का जत्था हुआ रवाना

जय भोले के उद्घोष के साथ भक्त पकिस्तान के लिए रवाना हुए, वाघा बॉर्डर के रास्ते लाहौर पहुंचेंगे श्रद्धालु।

0
53

Amritsar: अमृतसर से जय भोलेनाथ के उद्घोष के साथ ही पाकिस्तान (Pakistan) स्थित कटासराज (Katasraj) के लिए मंगलवार को श्रद्धालुओं का जत्था रवाना हो गया। यह जत्था श्री दुर्गियाना तीर्थ से रवाना हुआ जोकि वाघा बॉर्डर के रास्ते लाहौर पहुंचेगा। जत्था 25 दिसंबर को वापस आएगा।

जत्थे में पूरे देश के विभिन्न हिस्सों से 55 श्रद्धालु शामिल हैं। जिनमें 45 पुरुष और 17 महिलाएं हैं। इस जत्थे में 34 झारखंड से, बिहार से 11, गुजरात से 5, उत्तर प्रदेश और राजस्थान से 3-3 और दिल्ली से दो और तेलंगाना से एक यात्री शामिल हुए हैं। श्री दुर्गियाना मंदिर प्रबंधक कमेटी की प्रधान लक्ष्मी कांता चावला ने सम्मान के साथ जत्थे को रवाना किया।

श्री शिव शक्ति परिवार, टाटानगर के प्रधान कैलाशी विजय कुमार ने बताया कि पाकिस्तान (Pakistan) के किए बहुत कम श्रद्धालुओं को वीज़ा मिलता है। पहले 149 लोगों का वीजा अप्लाई किया था, जिसमें से 66 लोगों का और फिर अंत में सिर्फ 55 लोगों को ही वीजा मिल पाया। जबकि सिखों का जत्था हजारों में रवाना होता है। उन्होंने सरकार से भी मांग की कि ज्यादा से ज्यादा श्रद्धालुओं को वीजा दिया जाए। इसमें सबसे ज्यादा उम्र के 74 साल के गुजरात के रमेश चंद्र रावल है। वहीं राजस्थान के 23 वर्ष के मुदित शर्मा शामिल हैं।

यह जत्था 19 दिसंबर को रवाना होकर 25 दिसंबर को वापस पहुंचेगा। इस दौरान श्री कटासराज महादेव दर्शन, अमृतकुंड स्नान, श्री राधा कृष्ण मंदिर दर्शन, लाहौर स्थित श्री राम पुत्र लव के प्रयाण निर्वाण स्थल दर्शन, श्री वाल्मीकि मंदिर दर्शन, महाभारत कालीन अन्य पुरातन मंदिरों के दर्शन किए जाएंगे। इस दौरान पाकिस्तान (Pakistan) की ईटीबीपी की ओर से राम रुद्राभिषेक, दीप प्रज्ज्वलन, संभाषण, गायन का भी इंतजाम किया गया है।

कटासराज का मंदिर

कटासराज पाकिस्तान के पाकिस्तानी पंजाब के उत्तरी भाग में नमक कोह पर्वत शृंखला में स्थित हिन्दुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। कटासराज (Katasraj) मंदिर का निर्माण खटाना गुर्जर राजवंश ने करवाया था। यहां एक प्राचीन शिव मंदिर है। अतिरिक्त और भी मंदिरों की श्रृंखला है जो दसवीं शताब्दी के बताये जाते हैं। ये इतिहास को दर्शाते हैं। इतिहासकारों एवं पुरात्तव विभाग के अनुसार, इस स्थान को शिव नेत्र माना जाता है। जब माँ पार्वती सती हुई तो भगवान शिव की आँखों से दो आंसू टपके। एक आंसू कटास पर टपका जहाँ अमृत बन गया यह आज भी महान सरोवर अमृत कुण्ड तीर्थ स्थान कटासराज (Katasraj) के रूप में है दूसरा आंसू अजमेर राजस्थान में टपका और यहाँ पर पुष्करराज तीर्थ स्थान है।