कर्नाटक (Karnataka) और तमिलनाडु (Tamil Nadu) के मध्य 140 वर्ष से चला आ रहा विवाद रुकने का नाम नहीं ले रहा है। तमिलनाडु को कावेरी नदी का पानी दिए जाने के फैसले के विरोध (Cauvery river water Dispute) में कन्नड़ और किसान संगठनों की ओर से बुलाए गए कर्नाटक बंद का सुबह से ही व्यापक असर नज़र आ रहा है। कर्नाटक बंद के चलते सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ है। वहीं, केंपेगौड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर विरोध-प्रदर्शन करने पहुंचे कन्नड़ समर्थक संगठनों के 50 से अधिक प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने हिरासत में लिया है।
कर्नाटक बंद के चलते सुबह से ही लोगों को आने-जाने में परेशानी
कावेरी नदी का पानी तमिलनाडु को दिए जाने के फैसले के विरोध में 30 से ज्यादा कन्नड़ समर्थक, व्यापारी और किसान संगठनों ने सुबह 6 से शाम 6 बजे तक कर्नाटक बंद बुलाया है। जिसके चलते अप्रिय घटना की आशंका के चलते चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात किया गया है। वहीं, प्रशासन ने बेंगलुरु के सभी शिक्षण संस्थानों की छुट्टी का ऐलान किया है।
बेंगलुरु सिटी डिस्ट्रिक्ट डिप्टी कमिश्नर केए दयानंद ने स्टूडेंट्स के हितों को ध्यान में रखते हुए बेंगलुरु के सभी स्कूलों और कॉलेजों में छुट्टी की घोषणा की है। इधर, एयरपोर्ट प्रशासन ने भी 44 फ्लाइट्स को कैंसिल किया है। बंद के चलते सुबह से ही लोगों को आने-जाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
बेंगलुरु शहर सहित मांड्या और मैसूरु में धारा 144 लागू
पुलिस प्रशासन ने बेंगलुरु शहर सहित मांड्या और मैसूरु में धारा 144 लागू की है। कर्नाटक पुलिस ने कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए कन्नड़ समर्थक संगठनों के 50 से अधिक प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया है। बेंगलुरु शहर सहित चामराजनगर, रामानगर और हसन जिलों में स्कूलों और कॉलेजों के लिए छुट्टी घोषित की गई है। प्रदर्शनकारियों ने चित्रदुर्ग जिला मुख्यालय शहर में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की तस्वीर में आग लगा दी।
जाने क्या है कावेरी जल विवाद?
दरअसल, कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी नदी से जुड़ा विवाद 140 साल पुराना है। साल 1881 में मैसूर यानी कर्नाटक ने कावेरी पर बांध बनाने का फैसला किया। जिसका मद्रास यानी तमिलनाडु विरोध किया। साल 1924 में ब्रिटिश सरकार ने दोनों राज्यों के बीच समझौता कराने की पहल की, लेकिन समाधान नहीं मिला। इसके बाद 1974 में कर्नाटक ने तमिलनाडु की इजाजत के बिना नदी का रुख मोड़ना शुरू कर दिया। जिस पर 1990 में कावेरी वॉटर डिस्प्यूट ट्रिब्यूनल का गठन किया गया। जिसने कर्नाटक को आदेश दिया कि तमिलनाडु को हर महीने पानी दिया जाएं।
साल 2007 में कावेरी वॉटर डिस्प्यूट ट्रिब्यूनल ने तमिलनाडु को 419 हजार मिलियन क्यूबिक फीट और कर्नाटक को 270 हजार मिलियन क्यूबिक फीट हर वर्ष पानी देने का आदेश दिया, लेकिन साल 2016 में तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और कर्नाटक से कम पानी मिलने की बात कहीं।
जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने साल 2018 में तमिलनाडु को हर 404.25 हजार मिलियन क्यूबिक फीट और कर्नाटक को 284.75 हजार मिलियन क्यूबिक फीट पानी देने का आदेश दिया। लेकिन, इसी साल 13 सितंबर को कावेरी वाटर मैनेजमेंट अथॉरिटी ने आदेश दिया कि कर्नाटक अगले 15 दिन तक तमिलनाडु को कावेरी नदी से 5 हजार क्यूसेक पानी दे। जिसका कर्नाटक के किसान संगठन, कन्नड़ संस्थाएं और विपक्षी पार्टियां विरोध कर रही है।