World AIDS Day: अब भी एड्स का कोई इलाज नहीं, जाने कब होगा इसका अंत

1 दिसंबर को 'विश्व एड्स दिवस' (World AIDS Day) के रूप में मनाया जाता है। HIV के कारण एड्स जैसी घातक बीमारी पैदा हो सकती है।

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1 दिसंबर को दुनियाभर में एड्स को लेकर जागरुकता अभियान चलाया जाता है। 1 दिसंबर को ‘विश्व एड्स दिवस’ (World AIDS Day) के रूप में मनाया जाता है। HIV के कारण एड्स जैसी घातक बीमारी पैदा हो सकती है। इस बीमारी पर कैसे काबू पाया जाए इसके लिए यूएन लगातार प्रयास कर रहा है। लोगों के एड्स के बारे में जागरूक किया जा रहा है।

AIDS को लेकर संयुक्त राष्ट्र की नई रिपोर्ट आई सामने

पीड़ित लोगों को सपोर्ट किया जाता है। अब सवाल उठता है कि दुनिया से एड्स कब खत्म होगा? इसके लिए कई समुदायों और संगठन लगातार कोशिश कर रहे हैं। एक्वायर्ड इम्यून डेफिशिएंसी सिंड्रोम (AIDS) को लेकर संयुक्त राष्ट्र की नई रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें खुलासा किया गया है कि 2030 तक एड्स पर काबू पा लिया जाएगा।

जाने क्या है थीम?

विश्व एड्स दिवस पर लोगों को इस घातक बीमारी के बारे में जागरूक किया जाता है। आज भी एड्स को लेकर लोगों की बहुत ही संकुचित मानसिकता है। यही कारण है कि इस बीमारी को लेकर व्यापक स्तर पर जागरूकता फैलाने की जरूरत है। इस साल संयुक्त राष्ट्र संस्था ने विश्व एड्स दिवस की थीम ‘समुदायों को नेतृत्व करने दें’ रखी है। इसका मतलब है कि साथ में आकर एड्स को खत्म कर सकते हैं। यूएन एड्स का मानना है कि ‘समुदायों के नेतृत्व से दुनिया से एड्स को खत्म किया जा सकता है।

क्या 2030 तक एड्स हो जायेगा खत्म?

यूएन एड्स ने एड्स के लिए काम कर रहे संगठनों को सशक्त बनाने के लिए तीन सूत्री समाधान भी सुझाया है। जिसमें समुदायों को नेतृत्व की भूमिका देना, उन्हें पर्याप्त धन मुहैया कराना और एचआईवी सेवाओं के लिए अच्छा वातावरण मुहैया कराना शामिल है। यूएन एड्स की ओर से जारी सालाना में कहा गया है कि 2030 तक ‘एड्स के अंत’ तक पहुंचा जा सकता है। संयुक्ट राष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2030 तक एड्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे के रूप में खत्म करने का लक्ष्य रखा गया था, जिसे आसानी से पा सकते हैं।

कैसे जाने कि आपको HIV तो नहीं?

एचआईवी संक्रमण या एड्स की पुष्टि के लिए खून की जांच जरूरी है। हालांकि कुछ लक्षणों के माध्यम से भी इस रोग की पहचान की जा सकता है। एचआईवी से संक्रमित कुछ लोगों में वायरस के शरीर में प्रवेश करने के 2 से 4 सप्ताह के भीतर फ्लू जैसी बीमारी विकसित होने लगती है। इसके अलावा बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, गले में खराश और मुंह में घाव होना, वजन घटना भी इस रोग का लक्षण माना जाता है।

ये लक्षण इतने हल्के हो सकते हैं कि लोगों का शुरू में इनपर ध्यान भी नहीं जाता। हालांकि, समय के साथ रक्त में वायरल लोड बढ़ती जाती है। जिसके कारण रोग और लक्षणों के गंभीर रूप लेने का खतरा अधिक हो सकता है।

किन लोगों को एड्स का खतरा?

यदि आप असुरक्षित यौन संबंध बनाते हैं, विशेषकर जाने-अनजाने उन लोगों के साथ जिनको पहले से ही ये संक्रमण है तो आप भी एचआईवी के संपर्क में आ सकते हैं। इसके अलावा संक्रमित इंजेक्शन को साझा करने, संक्रमित व्यक्ति का रक्त लेने से भी आपके संक्रमित होने का जोखिम हो सकता है।

इस साल एड्स दिवस की हुई थी शुरुआत

गौरतलब है कि, विश्व एड्स दिवस की शुरुआत 1 दिसंबर 1988 से हुई थी। AIDS को लेकर हमारे समाज में सालों से कई मिथक चले आ रहे हैं। जिसकी वजह से इस बीमारी से पीड़ित लोगों को शर्मिंदगी और दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है। इन मिथकों को दूर करने और मरीजों की बेहतर देखभाल के लिए प्रोत्साहन करने के लिए ही दुनियाभर में एड्स की शुरुआत हुई थी। जहाँ हर साल 1 दिसंबर विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है।