मजदूरों को बाहर निकालने का काम हुआ तेज़, मैनुअली ड्रिलिंग का काम जारी

अंदर फंसे मजदूरों और रेस्क्यू टीम के बीच अब सिर्फ 5 मीटर की दूरी बची है। कहा जा रहा है कि अगर कोई बड़ी बाधा ने रास्ता नहीं रोका तो सभी मजदूर जल्द ही सुरंग से बाहर आ जाएंगे।

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उत्तराखंड की सुरंग में 16 दिन से फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने का काम तेजी से किया जा रहा है। अमेरिकी ऑगर मशीन फेल होने के बाद अब मैनुअली ड्रिलिंग का काम किया जा रहा है। सिलक्यारा सुरंग से एक राहत देने की वाली खबर सामने आई है। अंदर फंसे मजदूरों और रेस्क्यू टीम के बीच अब सिर्फ 5 मीटर की दूरी बची है। कहा जा रहा है कि अगर कोई बड़ी बाधा ने रास्ता नहीं रोका तो सभी मजदूर जल्द ही सुरंग से बाहर आ जाएंगे।

रैट माइनर्स मलबे की खुदाई में जी जान से जुटे हुए हैं। मैनुअल ड्रिलिंग के लिए 3 टीमें बनाई गई हैं। 12, 7 और 5 सदस्यों की ये टीमें अपने काम में जुटी हुई हैं। उधर वर्टिकल ड्रिलिंग का काम भी तेज़ी से चल रहा है। सुरंग में मैनुअल ड्रिलिंग का काम सोमवार से शुरू किया गया। शुरुआती ड्रिलिंग का काम अमेरिकी ऑगर मशीन से किया जा रहा था लेकिन शुक्रवार को वह मलबे में फंस गई थी। जिससे अधिकारियों को वैकल्पिक तरीकों की तलाश करना पड़ा। ड्रिलिंग का काम करीब 40 प्रतिशत पूरा हो चुका है।

जाने क्या होती रैट माइनिंग?

संकरी जगह पर हाथों से खुदाई करने को रैट माइनिंग कहा जाता है। क्यों कि कम जगह में इंसान धीरे-धारे खुदाई करते हैं। इसलिए इसे रैट माइनिंग कहते हैं। इस तरह की जगह पर मशीनें और अन्य भारी उपकरण ले जाना संभव नहीं होता। इसका इस्तेमाल कोयला और अन्य खदानों में किया जाता है।

मैनुअली खुदाई करने के लिए पहले दो लोग पाइपलाइन में जाते हैं। एक आगे का रास्ता बनाता है और दूसरा मलबे को ट्रॉली में भरता है। चार लोग मलबे की ट्रॉली को बाहर खींचते हैं। पहली टीम जब थक जाती है तो दूसरी टीम काम को आगे बढ़ाती है।