नव वर्ष क्यों मनाया जाता है, क्या फर्क है भारतीय और इंग्लिश नव वर्ष में ?

नव वर्ष एक उत्सव की तरह पूरे विश्व में अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग तिथियों तथा विधियों से मनाया जाता है। विभिन्न सम्प्रदायों के नव वर्ष समारोह भिन्न-भिन्न होते हैं और इसके महत्त्व की भी विभिन्न संस्कृतियों में परस्पर भिन्नता है।

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Happy New Year 2023: हम सभी जानते है कि 1 जनवरी को नया साल के रूप में बड़ी ही धूम धाम से पुरे विश्व में मनाया जाता है। इस अवसर पर लोग अपने जीवन में एक नए दिन की शुरुआत करते है लेकिन क्या आप जानते है कि इस दिन की शुरुआत कब से हुई है? चलिए आज हम आपको बताते है कि इंग्लिश नववर्ष की शुरुआत कब से हुई है। नव वर्ष क्यों मनाया जाता है|

नववर्ष की शुरुआत लगभग 4000 वर्ष पहले बेबिलीन नामक स्थान से शुरू हुआ था और तब से लेकर आज तक 1 जनवरी को मनाया जाता है। इंग्लिश नववर्ष ग्रेगोरियन कैलेंडर पर आधारित है आज के समय कैलेंडर का प्रयोग किया जाता है। जिसमे जनवरी से दिसंबर तक महीने होते है। जो आज भी वर्तमान में उपलब्ध है| इसकी शुरुआत रोमन कैलेंडर के रूप में हुई है। इस बार पारीक रोमन कैलेंडर का नया वर्ष 1 मार्च से शुरू होता है, लेकिन रोमन के स्मार्ट जूलियस सीजर ने 46 वर्ष ईसा पूर्व में इस कैलेंडर में परिवर्तन किया था। उन्होंने जुलाई का महीना और इसके बाद अपने भतीजे के नाम पर अगस्त का महीना जोड़ दिया। तब से लेकर आज तक पुरे विश्व में पहली बार 1 जनवरी को नए साल के रूप में मनाया जाता है। ठीक उसी प्रकार अलग अलग अलग संस्कृति के अपने कैलेंडर और अपने नववर्ष होते है। दुनिया के हर देश में अलग अलग रूप में नया साल मनाते है। इंग्लिश कैलेंडर के अनुसार साल में 12 महीने होते है जिनकी शुरुआत जनवरी के 1st दिन से शुरू होता है। इस दिन को नये साल के रूप में मनाया जाता है। दुनिया के सभी देशो की तरह ही भारत में भी अनेक जगह नया साल इसी दिन मनाया जाता है। इस तरह से भारत में नए साल खुशियाँ बाँटने और एक नए दिन के रूप में हैप्पी न्यू ईयर मनाया जाता है।

पश्चिमी नव वर्ष

नव वर्ष उत्सव 4,000 वर्ष पहले से बेबीलोन में मनाया जाता था। लेकिन उस समय नए वर्ष का ये त्यौहार 21 मार्च को मनाया जाता था जो कि वसंत के आगमन की तिथि भी मानी जाती थी। प्राचीन रोम में भी नव वर्षोत्सव के लिए चुनी गई थी। रोम के शासक जूलियस सीजर ने ईसा पूर्व 45वें वर्ष में जब जूलियन कैलेंडर की स्थापना की, उस समय विश्व में पहली बार 1 जनवरी को नए वर्ष का उत्सव मनाया गया। ऐसा करने के लिए जूलियस सीजर को पिछला वर्ष, यानि, ईसापूर्व 46 इस्वी को 445 दिनों का करना पड़ा था।

हिब्रू नव वर्ष

हिब्रू मान्यताओं के अनुसार भगवान द्वारा विश्व को बनाने में सात दिन लगे थे। इस सात दिन के संधान के बाद नया वर्ष मनाया जाता है। यह दिन ग्रेगरी के कैलेंडर के मुताबिक 5 सितम्बर से 5 अक्टूबर के बीच आता है।

हिन्दू नव वर्ष

हिन्दुओं का नया बरस चैत्र नव रात्रि के प्रथम दिन अर्थात वर्ष प्रतिपदा एवं गुड़ी पड़वा पर प्रत्येक वर्ष विक्रम सम्वत के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से आरम्भ होता है।

भारतीय नव वर्ष

भारत के विभिन्न भागों में नव वर्ष दो-तीन प्रमुख तिथियों को मनाया जाता है। प्रायः पहली दो तिथियाँ मार्च और अप्रैल के महीने में पड़ती है

पहली तिथि: मेष संक्रान्ति अथवा वैशाख संक्रान्ति (बैसाखी) अथवा विषुुव/विषुवत संक्रान्ति (बिखौती) अथवा सौरमण युुुगादि भी कहते हैं। इस तिथि को मुख्य रूप से सौरमण वर्षपद मानने वाले प्रान्त नये वर्ष के रूप से मनाते हैं, जैैैसे: तमिलनाडु और केरल। इसके अतिरिक्त बंगाल और नेपाल भी इसे नव वर्ष के रूप में मनाते है। हिमालयी प्रान्तों जैसे: उत्तराखण्ड, हिमाचल और जम्मू के साथ साथ पंजाब, पूर्वाचल और बिहार में केवल एक पर्व के रूप में मनाया जाता है पर नव वर्ष के रूप में नहीं। उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू, पंजाब ,पूर्वांचल और बिहार में नव सम्वतसर वर्ष प्रतिपदा के दिन आरम्भ होता है। सिखों के द्वारा नवनिर्मित नानकशाही कैलंडर के अनुसार सिख नव वर्ष चैत्र संक्रांति को मनाया जाता है।

दूसरी तिथि: वर्ष प्रतिपदा (चैत्र शुक्ल प्रतिपदा) अथवा चन्द्रमण युगादि। इस तिथि को मुख्य रूप से चन्द्रमण वर्षपद मानने वाले प्रान्त नये वर्ष के रूप से मनाते हैं। कर्णाटक एवं तेलुगू राज्य- तेलंगाना और आन्ध्र प्रदेश में इसे उगादी (युगादि=युग+आदि का अपभ्रंश) के रूप में मनाते हैं। यह चैत्र महीने का पहला दिन होता है। कश्मीरी नववर्ष भी इसी दिन होता है और उसे नवरेह के नाम से जाना जाता है। महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा के रूप में यही दिन मनाया जाता है। और सिन्धी इसी दिन को चेटी चंड कहते हैं। सिंधी उत्सव चेटी चंड, उगाड़ी और गुड़ी पड़वा एक ही दिन मनाया जाता है। मदुरै में चित्रैय महीने में चित्रैय तिरूविजा नए बरस के रूप में मनाया जाता है।

तीसरी तिथि: बलि प्रतिपदा (कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा)। यह दीपावली के अगले दिन मनाया जाता है। दीपावली पर सब हिन्दू महालक्ष्मी की पूजा कर एक वर्ष के लेखे जोखे को बंद कर देते हैं। अगले दिन से नये आर्थिक/वाणिज्यिक वर्ष का आरम्भ होता है। व्यापारी वर्ग प्रधान प्रान्तों में यह दिन मुख्य रूप से नव वर्ष के रूप में मनाते हैं । मारवाड़ी नया बरस दीपावली के अगले दिन होता है। गुजराती नया बरस भी दीपावली के अगले दिन होता है। इस दिन जैन धर्म का नववर्ष भी होता है।

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का ऐतिहासिक महत्व:

1) इसी दिन के सूर्योदय से ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की।
2) सम्राट विक्रमादित्य ने इसी दिन राज्य स्थापित किया। इन्हीं के नाम पर विक्रमी संवत् का पहला दिन प्रारंभ होता है।
3) प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक का दिन यही है।
4) शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात् नवरात्र का पहला दिन यही है।
5) सिखो के द्वितीय गुरू श्री अंगद देव जी का जन्म दिवस है।
6) स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने इसी दिन आर्य समाज की स्थापना की एवं कृणवंतो विश्वमआर्यम का संदेश दिया।
7) सिंध प्रान्त के प्रसिद्ध समाज रक्षक वरूणावतार भगवान झूलेलाल इसी दिन प्रगट हुए।
8) राजा विक्रमादित्य की भांति शालिवाहन ने हूणों को परास्त कर दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने हेतु यही दिन चुना। विक्रम संवत की स्थापना की ।
9) युधिष्ठिर का राज्यभिषेक भी इसी दिन हुआ।
10) संघ संस्थापक प.पू.डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार का जन्म दिन।
11) महर्षि गौतम जयंती

भारतीय नववर्ष का प्राकृतिक महत्व:

1) वसंत ऋतु का आरंभ वर्ष प्रतिपदा से ही होता है जो उल्लास, उमंग, खुशी तथा चारों तरफ पुष्पों की सुगंधि से भरी होती है।2) फसल पकने का प्रारंभ यानि किसान की मेहनत का फल मिलने का भी यही समय होता है।3) नक्षत्र शुभ स्थिति में होते हैं अर्थात् किसी भी कार्य को प्रारंभ करने के लिये यह शुभ मुहूर्त होता है।

भारतीय नववर्ष कैसे मनाएँ:

1) हम परस्पर एक दुसरे को नववर्ष की शुभकामनाएँ दें। पत्रक बांटें, झंडे, बैनर….आदि लगावे ।2) आपने परिचित मित्रों, रिश्तेदारों को नववर्ष के शुभ संदेश भेजें।3) इस मांगलिक अवसर पर अपने-अपने घरों पर भगवा पताका फेहराएँ।4) आपने घरों के द्वार, आम के पत्तों की वंदनवार से सजाएँ।5) घरों एवं धार्मिक स्थलों की सफाई कर रंगोली तथा फूलों से सजाएँ।6) इस अवसर पर होने वाले धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लें अथवा कार्यक्रमों का आयोजन करें।7) प्रतिष्ठानों की सज्जा एवं प्रतियोगिता करें। झंडी और फरियों से सज्जा करें।8) इस दिन के महत्वपूर्ण देवताओं, महापुरुषों से सम्बंधित प्रश्न मंच के आयोजन करें।9) वाहन रैली, कलश यात्रा, विशाल शोभा यात्राएं कवि सम्मेलन, भजन संध्या , महाआरती आदि का आयोजन करें।10) चिकित्सालय, गौशाला में सेवा, रक्तदान जैसे कार्यक्रम।

इस्लामी नव वर्ष

इस्लामिक कैलेंडर का नया साल मुहर्रम होता है। इस्लामी कैलेंडर एक पूर्णतया चन्द्र आधारित कैलेंडर है ।

भारत देश त्यौहारों का देश है, सनातन (हिन्दू) धर्म में लगभग 40 त्यौहार आते हैं। यह त्यौहार करीब हर महीने या उससे भी अधिक आते है। जिससे जीवन में हमेशा खुशियां बनी रहती हैं और बड़ी बात है कि हिन्दू त्यौहारों में एक भी ऐसा त्यौहार नही है जिसमें दारू पीना, पशु हत्या करना, मास खाना, पार्टी करने आदि के नाम पर दुष्कर्म को बढ़ावा मिलता हो । ये सनातन हिन्दू धर्म की महिमा है। भारतीय हर त्यौहार के पीछे कुछ न कुछ वैज्ञानिक तथ्य भी छुपे होते हैं जो जीवन का सर्वांगीण विकास करते हैं हैं । ईसाई धर्म में 1 जनवरी को जो नया वर्ष मनाते है उसमें कुछ तो नयी अनुभूति होनी चाहिए लेकिन ऐसा कुछ भी नही होता है । रोमन देश के अनुसार ईसाई धर्म का नववर्ष 1 जनवरी को और भारतीय नववर्ष (विक्रमी संवत) चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है। आईये देखते हैं दोनों का तुलनात्मक अंतर क्या है?

1. प्रकृति: एक जनवरी को कोई अंतर नही जैसा दिसम्बर वैसी जनवरी, चैत्र मास में चारों तरफ फूल खिल जाते हैं, पेड़ो पर नए पत्ते आ जाते हैं। चारो तरफ हरियाली मानो प्रकृति नया साल मना रही हो।
2. मौसम: दिसम्बर और जनवरी में वही वस्त्र, कंबल, रजाई, ठिठुरते हाथ पैर। चैत्र मास में सर्दी जा रही होती है, गर्मी का आगमन होने जा रहा होता है।
3. शिक्षा: विद्यालयों का नया सत्र-दिसंबर जनवरी में वही कक्षा, कुछ नया नहीं। मार्च अप्रैल में स्कूलों का रिजल्ट आता है नई कक्षा नया सत्र यानि विद्यार्थियों का नया साल।
4. वित्तीय वर्ष: दिसम्बर-जनवरी में खातों की क्लोजिंग नही होती, 31 मार्च को बैंको की (audit) क्लोजिंग होती है नए बहीखाते खोले जाते हैं, सरकार का भी नया सत्र शुरू होता है।
5. कलैण्डर: जनवरी में सिर्फ नया कलैण्डर आता है। चैत्र में ग्रह नक्षत्र के हिसाब से नया पंचांग आता है, उसी से सभी भारतीय पर्व, विवाह और अन्य महूर्त देखे जाते हैं, इसके बिना हिन्दू समाज जीवन की कल्पना भी नही कर सकता इतना महत्वपूर्ण है ये कैलेंडर यानि पंचांग।
6. किसान: दिसंबर-जनवरी में खेतो में वही फसल होती है। मार्च-अप्रैल में फसल कटती है नया अनाज घर में आता है तो किसानो का नया वर्ष और उत्साह।
7. पर्व मनाने की विधि: 31 दिसम्बर की रात नए साल के स्वागत के लिए लोग जमकर शराब पीते है, हंगामा करते हैं, रात को पीकर गाड़ी चलाने से दुर्घटना की सम्भावना, रेप जैसी वारदात, पुलिस प्रशासन बेहाल और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों का विनाश। भारतीय नववर्ष व्रत से शुरू होता है पहला नवरात्र होता है घर घर मे माता रानी की पूजा होती है, गरीबों में मिठाई, जीवनपयोगी सामग्री बांटी जाती है, पूजा पाठ से शुद्ध सात्विक वातावरण बनता है।
8. ऐतिहासिक महत्त्व: 1 जनवरी का कोई ऐतिहासिक महत्व नही है।

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन

1- ब्रह्माजी ने सृष्टि का निर्माण किया था। इसी दिन से नया संवत्सर शुंरू होता है।2- पुरूषोत्‍तम श्रीराम का राज्‍याभिषेक3- माँ दुर्गा की उपासना की नवरात्र व्रत का प्रारंभ4- प्रारम्‍भयुगाब्‍द (युधिष्‍ठिर संवत्) का आरम्‍भ5-उज्‍जयिनी सम्राट- विक्रामादित्‍य द्वारा विक्रमी संवत्प्रारम्‍भ6- शालिवाहन शक संवत् (भारत सरकार का राष्‍ट्रीय पंचांग)महर्षि दयानन्द द्वारा आर्य समाज की स्‍थापना7- भगवान झुलेलाल का अवतरण दिन।8 – मत्स्यावतार दिन9- गणितज्ञ भास्कराचार्य ने सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन, महीना और वर्ष की गणना करते हुए ‘पंचांग ‘ की रचना की ।

आप इन तथ्यों से समझ गए होंगे कि सनातन (हिन्दू) धर्म की भारतीय संस्कृति कितनी महान है।