हिंदू धर्म के सबसे खास त्योहारों में से एक वसंत पंचमी है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। यह त्योहार माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। हिंदू परंपराओं के अनुसार पूरे वर्ष को छह ऋतुओं में बांटा गया है, जिसमें वसंत को सभी ऋतुओं का राजा कहा जाता है। जिस दिन से वसंत ऋतु की शुरुआत होती है, उस दिन को वसंत पंचमी के पर्व के रूप में मनाया जाता है।
वसंत पंचमी के धार्मिक महत्व होने के साथ ही सामाजिक महत्व भी है।
वसंत पंचमी जीवन में नई चीजें शुरू करने का एक शुभ दिन है। इस मौसम में पेड़ों पर नव कोपलें आनी शुरू हो जाती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन माता सरस्वती प्रकट हुई थीं इसलिए इस दिन वसंत पंचमी के दिन सरस्वती माता की विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। मां सरस्वती को विद्या एवं बुद्धि की देवी माना जाता है। धार्मिकता के साथ इस पर्व के पर्यावरणीय महत्व भी हैं। इस ऋतु के साथ मौसम की चाल बदलने लगती है। शाम भी खुशगवार हो रही होती है। नव पल्लव के साथ मौसम में बदलाव स्पष्ट नजर आने लग जाता है। ठंड में मुरझाए हुए पेड़-पौधे, फूल आंतरिक अग्नि को प्रज्ज्वलित कर नए सृजन की तरफ बढ़ते हैं। खेतों में फसल वातावरण को खुशनुमा बना देती है।
कैसे हुई वसंत पंचमी को मनाने की शुरुआत?
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने इसी दिन ब्रह्मांड का निर्माण किया था। सृष्टि की रचना करके जब उन्होंने संसार में देखा तो उन्हें चारों ओर सूनसान निर्जन ही दिखाई दिया। वातावरण बिल्कुल शांत लगा। तब ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु जी से अनुमति लेकर अपने कमंडल से पृथ्वी पर जल छिड़का। जल छिड़कने के बाद देवी के हाथ में वीणा लिए प्रकट हुईं। मां के प्रकटोत्सव को पूरे देश में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। ये नव सृजन का संकेतक पर्व है, ये नव ऊर्जा के संचार के पर्व है।