वाराणसी: बाबा महाश्मसान नाथ जी का त्रिदिवशीय श्रृंगार महोत्सव का आज हुआ समापन

योगिनीओ ने नित्यांजली से अर्पण किया शिव को अपना श्रद्धां सुमन तो शव लोक बना शिवलोक।

0
15

त्रितिय दिवस में 15 अप्रैल को बाबा का सांयकाल पंचमकार का भोग लगाकर तांत्रोकत विधान से भव्य आरती किया गया, ऎसी मान्यता है कि बाबा को प्रसन्न करने के लिये शक्ति ने योगिनी रूप धरा था और आज बाबा का प्रांगण रजनी गंधा, गुलाब व अन्य सुगंधित फूलों से सजाया गया था।

आरती के पश्चात नगर वधुंऔ ने अपने गायन व नृत्य के माध्यम से परम्परागत भावांजली बाबा को समर्पित करते हुए मन्नत मांगी की बाबा अगला जन्म सुधारे, यह बहुत ही भावपूर्ण दृश्य था। इस श्रृंगार महोत्सव के प्रारंभ के बारे में विस्तार से बताते हुए गुलशन कपूर ने कहा कि यह परम्परा सैकड़ों वर्षों से चला आ रहा है। जिसमें यह कहा जाता हैं कि राजा मानसिंह द्वारा जब बाबा के इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया था। तब मंदिर में संगीत के लिए कोई भी कलाकार आने को तैयार नहीं हुआ था। हिन्दू धर्म में हर पूजन या शुभ कार्य में संगीत जरुर होता है।

इसी कार्य को पूर्ण करने के लिए जब कोई तैयार नहीं हुआ तो राजा मानसिंह काफी दुःखी हुए, और यह संदेश उस जमाने में धीरे-धीरे पूरे नगर में फैलते हुए काशी के नगर वधूंऔ तक भी जा पहुंचा तब नगर वधूऔ ने डरते डरते अपना यह संदेश राजा मानसिंह तक भिजवाया कि यह मौका अगर उन्हें मिलता हैं तो काशी की सभी नगर वधूएं अपने आराध्य संगीत के जनक नटराज महाश्मसानेश्वर को अपनी भावाजंली प्रस्तुत कर सकती है।

यह संदेश पा कर राजा मानसिंह काफी प्रसन्न हुए और सस्मान नगर वधूऔ को आमंत्रित किया गया और तब से यह परम्परा चल निकली, वही दुसरे तरफ नगर वधूऔ के मन मे यह आया की अगर वह इस परम्परा को निरन्तर बढ़ाती हैं तो उनके इस नरकिय जीवन से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होगा फिर क्या था आज सैकड़ों वर्ष बितने के बाद भी यह परम्परा जिवित है और बिना बुलाये यह नगर वधूए कहीं भी रहे चैत्र नवरात्रि के सप्तमी को यह काशी के मणिकर्णिका घाट स्वयं आ जाती है।

तत्पश्चात बाबा का रात्रि पर्यन्त चलने वाला जागरण प्रारंभ हुआ जो की जलती चिताऒ के पास मंदिर में अपने परम्परागत स्थान से प्रारंभ हुआ इसमें सर्वप्रथम आये हुए अतिथियों का स्वागत मंदिर के व्यवस्थापक गुलशन कपूर व अध्यक्ष चैनू प्रसाद गुप्ता ने किया। सर्व प्रथम बाबा का भजन दुर्गा दुर्गति नाशिनी,दिमिग दिमिग डमरू कर बाजे,डिम डिम तन दिन दिन तू ही तू जगबक आधार तू…… ओम नमः शिवाय, मणिकर्णिका स्रोत, खेले मसाने में होरी के बाद दादरा, ठुमरी, व चैती गाकर बाबा के श्री चरणों में अपनी गीतांजलि अर्पित की।

इसके बाद काशी के प्रसिद्ध गायक जय पांडेय द्वारा भजनो को अपने सुमधुर गायन औम मंगलम औमकार मंगलम, बम लहरी बम बम लहरी जैसे भजनो से भक्तों को झुमने पर मजबूर कर दिया। उक्त आयोजन में अध्यक्ष चैनू प्रसाद गुप्ता व्यवस्थापक गुलशन कपूर, महामन्त्री बिहारी लाल गुप्ता, विजय शंकर पांडे, संजय गुप्ता, दीपक तिवारी, अजय गुप्ता, रिंकू पांडेय, रोहित कुमार, मनोज शर्मा आदि पदाधिकारी व भक्त शामिल थे।