प्रयागराज (Prayagraj) में प्रतिनदिन अस्पतालों की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराती जा रही है। जहां मरीजों को MRI जैसी टेस्टिंग के लिए 1 साल से डेढ़ साल का इंतजार करना पड़ रहा है। परेशानी केवल यही ख़तम नहीं होती है। इतने समय बाद नंबर आने पर भी मरीजों की टेस्टिंग नहीं हो रही है। अभी कुछ समय पहले डॉ कमलेश सोनकर ने 3 अप्रैल को लकवा के मरीज विष्णुकांत को एमआरआई का परामर्श दिया था। विष्णुकांत (मरीज) की लकवा जैसी बीमारी से बोलने व समझने की शक्ति खत्म हो चुकी है। जब उन्होंने एमआरआई सेंटर के स्टाफ से MRI की बात कही तो उन्होंने 22 फरवरी 2024 तारीख की पर्ची पर सुबह 9:30 का समय लिखकर उनको दे दी।
स्वास्थ्य व्यवस्था सुधरने के निर्देश
मामला प्रयागराज (Prayagraj) के सबसे बड़े अस्पताल स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल का है, जहां मरीज को MRI टेस्टिंग के लिए करीब साल भर इंतजार करना होगा। कुछ मामले तो ऐसे हैं, जिनमें इतने लम्बे समय बाद इलाज करने आये मरीजों को दूसरी तारीख की पर्ची दे दी गयी। ये हाल तब हैं कि जब हाल ही में स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक द्वारा शहर के एक अस्पताल में बिना पूर्व सूचना के किये निरक्षण के बाद स्थितियां को सुधारने के निर्देश दिए गए थे।
समय पर पहुंचने पर भी नहीं हुई टेस्टिंग
प्रयागराज (Prayagraj) में अस्पतालों की क्या स्थिति है इसका अनुमान ऐसा ही एक और मामले से लगायी जा सकती है। मेजा निवासी 75 वर्षीय रामकृष्ण पांडे को 26 नवंबर 2021 को डॉक्टर ने MRI जांच के लिए लिखित परामर्श दिया था। लेकिन MRI सेंटर द्वारा उनको 19 अप्रैल 2022 को बुलाया गया। आश्चर्य तो तब हुआ जब रामकृष्ण के समय पर पहुंचने पर भी उनकी जांच अभी तक नहीं हो पायी।
महंगे इलाज की आयी नौबत
मरीजों ने अस्पताल प्रशासन के बड़े अफसरों से अस्पतालों की लाचार व्यवस्था की शिकायत करी हैं। जिसका न तो मरीजों को हल मिला और नहीं संतोषजनक जवाब। मरीजों की क्या हालत है? अस्पताल में एमआरआई जांच करवाना किसी पहाड़ तोड़ने जैसा है। ऐसा एमआरआई सेंटर के बाहर मरीजों की लम्बी कतार से पता चलता है। जहां न केवल उनको घंटो इंतजार करना पड़ता है बल्कि नंबर आने पर दूसरी तारीख दे कर लौटा दिया जाता है। SRN अस्पताल में इतनी लंबी वेटिंग होने के चलते मरीजों को प्राइवेट संस्थानों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं, महंगे इलाज की नौबत बन रही है।
जल्द आएगी MRI की एक और मशीन
SRN अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजय सक्सेना ने बताया कि MRI की एक ही मशीन होने के कारण प्राथमिकता तय करने के बाद ही जांच कराई जाती है। यदि कोई मरीज का ऑपरेशन होना है या फिर आपातकालीन परिस्थिति में तुरंत जांच कराई जाती है। विभाग द्वारा स्थितियां सुधरने के लिए अस्पताल में एक और मशीन मंगायी गयी है।