बाराबंकी में 10 दिनों से नाती के शव के साथ रह रही मिथिलेश उर्फ रानी देवी के जीवन में एक और रहस्य जुड़ गया है। अपनी बेटी-दामाद की बीमारी से मौत और उसके दो बेटे अजीब तरह से गायब होने का सदमा झेल रहीं रानी अब नाती की मौत के बाद से पूरी तरह बदहवास हो चुकी हैं।
प्रियांशु की पोस्टमाटम रिपोर्ट में भी मौत के कारण स्पष्ट नहीं हो सके हैं। रविवार देर रात रानी देवी की सबसे बड़ी बेटी और दामाद यहां पहुंचे और पुलिस के सामने रानी के जीवन के पन्ने पलटे तो प्रियांशु के मौत की गुत्थी सुलझने के बजाय और उलझ गई।
शहर के हजाराबाग मोहारीपुरवा मोहल्ले में गत दिवस तेज दुर्गंध आने पर स्थानीय लोगों ने पुलिस को सूचना दी थी। मौके पर पहुंची पुलिस ने मिथिलेश उर्फ रानी देवी का घर खुलवाया, जहां उसके नाती प्रियांशु (17) पुत्र राजीव का सड़ चुका शव मिला था।
मानसिक रूप से बीमार मिथिलेश पुलिस को मौत के कारणों के बारे में कोई जानकारी नहीं दे सकीं तो उनकी बड़ी पुत्री ममता पत्नी कमलेश कुमार निवासी बरोठा निघासन जनपद खीरी को बुलाया गया था। ममता ने बताया उनकी मां मिथिलेश का पहला विवाह महेंद्र मोहन अग्निहोत्री से हुआ था, जिनसे दो पुत्री ममता, रजनी और दो पुत्र दीपू एवं अरुण थे।
हालांकि कुछ वर्ष के बाद महेंद्र ने दूसरी शादी कर ली तो मिथिलेश ने सत्यनरायन वर्मा से विवाह कर लिया और चारों बच्चों के साथ मोहारीपुरवा में रहने लगी थी, हालांकि बाद में उनके पति का भी निधन हो गया था। पुत्री रजनी व उसके पति राजीव के निधन के बाद उनका पुत्र प्रियांशु अपनी नानी के पास रह रहा था।
बेटे लापता, बहू घर छोड़कर चली गईं
पिछले दस वर्षों के दौरान मिथिलेश का पुत्र दीपू बरेली से व अरुण बाराबंकी से संदिग्ध हालात में लापता हो गए थे और उनकी बीवियां भी घर छोड़ कर जा चुकी थी। इसके बाद से मिथिलेश की हालत बिगड़ना शुरू हुआ। परिवार के चार सदस्यों को खोने के गम ने रानी देवी को इस कदर झकझोर दिया कि वह अपने नाती को एक पल के लिए भी अपने से दूर नहीं होने देना चाहती थीं।
यही वजह है कि वह प्रियांशु को न तो घर से बाहर निकलने देती थी और न ही स्कूल भेजती थी। प्रियांश की मौत के बाद भी रानी देवी उसके लौटने का इंतजार करती रही। सोमवार को प्रियांशु के शव का पोस्टमार्टम कराया गया, लेकिन मौत के कारण की पुष्टी न होने पर विसरा सुरक्षित कराया गया है। पुलिस के सामने कई अनसुलझे सवाल हैं, जिनका जवाब ढूंढ़ना आसान नहीं होगा।
बेटी ममता व दामाद कमलेश यहां आने के बाद से मिथिलेश उर्फ रानी देवी को समझा बुझा कर अपने साथ ले जाने का प्रयास करते रहे, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। बुजुर्ग महिला अपने नाती की मौत के बाद भी उसके वापस लौटने का इंतजार में है और उनके साथ जाने से भी इनकार कर दिया।
पेंशन से होता था गुजारा
ममता ने बताया कि उनका बाराबंकी आना जाना काफी कम था, लेकिन फोन पर कभी कभार संपर्क हो जाता था। दोनों का गुजारा पेंशन के सहारे होता था। आखिरी बार मई माह में फोन आया था, तब प्रियांशु ने बिजली कट जाने की बात कही थी। इस पर बिजली का बिल जमा कराकर आपूर्ति शुरू कराई गई थी। इसके बाद से किसी से संपर्क नहीं हो पाया था।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत के कारणों का पता नहीं चल सका है। शव आठ से दस दिन पुराना होने की बात सामने आई है। प्रकरण के अन्य तमाम बिंदुओं पर जांच की जा रही है। मृतक के मौसा-मौसी ने पोस्टमार्टम के बाद प्रियांशु का अंतिम संस्कार कर दिया है।