केंद्रीय कैबिनेट ने महिला आरक्षण बिल को दी मंजूरी

लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण के बाद बोलने के लिए खड़े हुए अधीर रंजन चौधरी ने मोदी सरकार से महिला आरक्षण बिल पारित करने की मांग की थी।

0
33

पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की अध्‍यक्षता में सोमवार यानि 18 सितम्बर को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक हुई। इसमें बड़ा फैसला लिया गया। केंद्रीय कैबिनेट ने महिला आरक्षण बिल (Women’s Reservation Bill) को मंजूरी दे दी है। बीते कुछ दिनों से महिला आरक्षण सहित कई विधेयकों की चर्चा जोरों पर है। सोमवार को लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के भाषण के बाद बोलने के लिए खड़े हुए अधीर रंजन चौधरी (Adhir Ranjan Chaudhary) ने मोदी सरकार से महिला आरक्षण बिल पारित करने की मांग की थी।

इस बात की अटकलें लगाई जा रहा थीं कि सरकार संसद के विशेष सत्र में महिला आरक्षण बिल ला सकती है। हालांकि, सरकार ने इसे लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं। भारत राष्‍ट्र सम‍ित‍ि (बीआरएस) ने महिला आरक्षण बिल लाने की मांग करते हुए लोकसभा के अंदर और बाहर गांधी मूर्ति पर प्रदर्शन भी किया था। बीजेपी सहित कई अन्य राजनीतिक दलों ने भी कहा क‍ि वे लंबे समय से महिला आरक्षण की मांग कर रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने विशेष सत्र के दौरान कहा था कि नए संसद भवन में महिला आरक्षण विधेयक को पेश और पारित किया जाए। इसमें देर नहीं होनी चाहिए।

जहाँ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्‍यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हुई। इसी में महिला आरक्षण बिल को मंजूरी दी गई। यह लोकसभा और राज्‍य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण सुनिश्चित करेगा। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने ट्वीट कर बताया कि महिला आरक्षण की मांग को पूरा करने का नैतिक साहस केवल मोदी सरकार में था। कैबिनेट की मंजूरी से यह साबित हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मोदी सरकार को बधाई।

केंद्रीय कैबिनेट की ओर से बिल को मंजूरी मिलने की खबर के बाद कांग्रेस की प्रतिक्रिया भी आई। पार्टी के वरिष्‍ठ नेता जयराम रमेश ने एक्‍स पर पोस्‍ट किया- ‘महिला आरक्षण लागू करने की कांग्रेस पार्टी की लंबे समय से मांग रही है। हम केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले का स्वागत करते हैं। विधेयक के विवरण की प्रतीक्षा हैं। विशेष सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक में इस पर अच्छी तरह से चर्चा की जा सकती थी। गोपनीयता के पर्दे के तहत काम करने के बजाय सर्वसम्मति बनाई जा सकती थी।’