केंद्रीय बजट 2023-24: लोक हितकारी राज्य से बाज़ारवाद के तरफ बढ़ता भारत 

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को केंद्रीय बजट (Budget) 2023-24 पेश किया। उन्होंने बजट को अमृत काल का पहला बजट बताया। यह बजट पिछले बजट में रखी गई नींव पर बने रहने की उम्मीद करता है, और India@100 के लिए खाका तैयार करता है।

पहले आय कर की बात करें तो वित्तीय वर्ष 2023-24 का बजट (Budget) पेश करते हुए “नई टैक्स व्यवस्था” को मुख्य विकल्प बना दिया गया है| नई टैक्स व्यवस्था में पहले मिलने वाले सारी छूटो को ख़तम कर दिया गया है| यह छूट घर के लोन पर ब्याज़, बिमा का प्रीमियम, दान और पी.पी. एफ. पे निवेश इत्यादी में मिलती थी| यह छूट बचत और भविष्य की सुरक्षा के लिए दी जाती थी| 

वित्त मंत्री की घोषणा के बाद बीमा कंपनियों के शेयर में गिरावट आई| पहले ज्यादातर लोग टैक्स बचाने के लिए निवेश करते थे| नई व्यवस्था में निवेश में तो कोई छूट नहीं दी गई है पर निवेश से होने वाले मुनाफे में टैक्स लिया जाएगा| इससे बीमा इत्यादि में निवेश में कमी होने की उम्मीद है| 

कॉर्पोरेट के मुनाफे में लगने वाले टैक्स को 2019 में 30% से घटाकर 22% कर दिया गया था| इस बजट (Budget) पर 5 करोड़ या उससे ज़्यादा कमाने वाले लोगो पर लगने वाले सरचार्ज को 37% से घटाकर 25% कर दिया गया है| स्वाभाविक है इससे सरकार को मिलने वाले टैक्स में कमी आयेगी और वित्तीय घाटा काम करने के लिए सरकार को स्कीमों के खर्चे में कमी करनी होगी| 

सरकार ने इस वित्तीय वर्ष न.रे.गा पे खर्च करने के लिए 60000 करोड़ रूपये रखे है यह 2019-20 में किये गए खर्च से भी कम है| खाद और खाद्य में होने वाले खर्च में भी सरकार ने कटौती की है| इस वित्तीय वर्ष खाद्य में होने वाला खर्च 2019-20 से अब तक सबसे काम है| प्रधान मंत्री किसान योजना के लाभारतीयों में काफी कमी आई है, ऐसे में सरकार लाभ राशि 6000 से बढ़ा सकती थी पर सरकार ने बिना लाभ राशि बढ़ाए होने वाले खर्च को कम कर दिया है|  

सरकार ने बजट (Budget) में महिलाओ के लिए बचत स्कीम की घोषणा की है| इसमें 2 लाख में सरकार ने 7.5% ब्याज देने की बात की है| साल के पहेली छमाही में रिज़र्व बैंक ने मंहगाई दर 5.2% रहने का अनुमान लगाया है| महंगाई अगर और बढ़ी तो प्रभावित ब्याजदर और कम हो जाएगी| इसके अलावा कई बैंक इससे ज्यादा ब्याज पहले ही दे रहे है|    

पिछले वर्ष नवंबर माह में एम्स में साइबर अटैक के कारण काफी मरीज़ो को दिक्कत का सामना करना पड़ा और ओ.पी.डी कई दिन तक पेन और पेपर में ही चलती रही| इस घटना के बाद भी इस वर्ष सरकार ने एम्स को पिछले वर्ष से 50 करोड़ कम दिए है|