सनातन धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण है, रक्षाबंधन का त्यौहार

0
77

रक्षा बंधन आने वाला है। ये सुनकर ही बहनों के चेहरों में खुशी झलक जाती है। और हो भी क्यूँ न ये भाई बहन का रिश्ता ही कुछ ऐसा होता है किसे की शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है। ये रिश्ता इतना ज्यादा पवित्र होता है की इसका सम्मान पूरी दुनिभर में किया जाता है। इसकी इतनी ज्यादा महत्व है की इसे एक त्योहार के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व को श्रावण माह के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। जो की अक्सर अगस्त के महीने में आता है।

रक्षाबंधन क्यों मनाते है?

रक्षाबंधन का त्यौहार असल में इसलिए मनाया जाता है क्यूंकि ये एक भाई का अपने बहन के प्रति कर्तव्य को जाहिर करता है। रक्षाबंधन पर, एक बहन अपने भाई के कलाई में राखी बांधती है। वो भगवान से ये मांगती है की उसका भाई हमेशा खुश रहे और स्वस्थ रहे। वहीँ भाई भी अपने बहन को बदले में कोई तौफा प्रदान करता है और ये प्रतिज्ञा करता है की कोई भी विपत्ति आ जाये वो अपने बहन की रक्षा हमेशा करेगा।

रक्षा बंधन का इतिहास

सभी त्योहारों की तरह ही राखी इन हिंदी के भी एक इतिहास है, ऐसे कहानियां जो की दंतकथाओं में काफी लोकप्रिय हैं।

सम्राट Alexander और सम्राट पुरु

राखी त्यौहार के सबसे पुरानी कहानी सन 300 BC में हुई थी। उस समय जब Alexander ने भारत जितने के लिए अपनी पूरी सेना के साथ यहाँ आया था। उस समय भारत में सम्राट पुरु का काफी बोलबाला था। जहाँ Alexander ने कभी किसी से भी नहीं हारा था उन्हें सम्राट पुरु के सेना से लढने में काफी दिक्कत हुई। जब Alexander की पत्नी को रक्षा बंधन के बारे में पता चला तब उन्होंने सम्राट पुरु के लिए एक राखी भेजी थी जिससे की वो Alexander को जान से न मार दें। वहीँ पुरु ने भी अपनी बहन का कहना माना और Alexander पर हमला नहीं किया था।

रानी कर्णावती और सम्राट हुमायूँ

रानी कर्णावती और सम्राट हुमायूँ की कहानी का कुछ अलग ही महत्व है। ये उस समय की बात है जब राजपूतों को अपने राज्य को बचाने के लिए मुस्लमान राजाओं से युद्ध करना पड़ रहा था। उस समय चित्तौड़ की रानी कर्णावती हुआ करती थी। वो एक विधवा रानी थी। ऐसे में गुजरात के सुल्तान बहादुर साह ने उनपर हमला कर दिया। ऐसे में रानी अपने राज्य को बचा सकने में असमर्थ होने लगी। इसपर उन्होंने एक राखी सम्राट हुमायूँ को भेजी। हुमायूँ ने भी अपनी बहन की रक्षा के हेतु अपनी एक सेना की टुकड़ी चित्तौड़ भेज दिया। जिससे बाद में बहादुर साह के सेना को पीछे हटना पड़ा था।

इन्द्रदेव की कहानी

भविस्य पुराण में ये लिखा हुआ है की जब असुरों के राजा बाली ने देवताओं के ऊपर आक्रमण किया था तब देवताओं के राजा इंद्र को काफी क्षति पहुंची थी। इस अवस्था को देखकर इंद्र की पत्नी सची से रहा नहीं गया और वो इसका समाधान प्राप्त करने के लिए विष्णु जी के करीब गयी। तब प्रभु विष्णु ने एक धागा सची को प्रदान किया और कहा की वो इस धागे को जाकर अपने पति के कलाई पर बांध दें। जब उन्होंने ऐसा किया तब इंद्र के हाथों राजा बलि की पराजय हुई। इसलिए पुराने समय में युद्ध में जाने से पूर्व राजा और उनके सैनिकों के हाथों में उनकी पत्नी और बहनें राखी बांधा करती थी जिससे वो सकुशल घर जीत कर लौट सकें।

राखी बांधने का शुभ मुहूर्त और पांचांग कब है?

राखी का त्योहार इस वर्ष 2023 में रक्षाबंधन 30 अगस्त, बुधवार को है। यदि हम शुभ मुहूर्त की बात करें तब इस साल रक्षा बंधन पर राखी बांधने मुहूर्त काफी लंबा है। रक्षा बंधन 2023 का शुभ मुहूर्त 30 अगस्त 2023 रात 09:01 से 31 अगस्त सुबह 07:05 तक रहेगा। इस समय बहने अपने भाई को सुबह से शाम तक कभी भी राखी बांध सकती हैं।