हमारे देश में कई ऐसे मंदिर हैं जिनसे काफी गहरी मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। इन मंदिरों के पीछे बहुत सी ऐसी अनोखी और रहस्मयी कहानियां छिपीं हुई हैं। जिनके बारे में शायद ही लोगो को मालूम होगा। उत्तराखंड(Uttarakhand) में एक ऐसा ही मंदिर स्थित है जो कई रहस्यों को अपने अंदर समेटे हुए है। भक्तों के लिए उत्तराखंड(Uttarakhand) के मंदिर के कपाट वर्ष में केवल एक बार ही खुलते हैं। यह समय रक्षाबंधन का होता है, जब भक्त इस चमत्कारी मंदिर में भगवान के दर्शन कर पूजा-अर्चना करते हैं। तो चलिए जानते हैं कि आखिर इस मंदिर से जुड़ी मान्यताएं क्या है और इसके कपाट वर्ष में केवल एक बार ही क्यों खुलते है।
उत्तराखंड के चमोली जिले मे स्तिथ बंसीनारायण मंदिर के कपाट साल में केवल एक बार ही खुलते है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। इस मंदिर के कपाट सिर्फ रक्षाबंधन के मौके पर ही खुलता है, जहां महिलाएं और युवतियां अपने भाई पहले भगवान वंशी नारायण मंदिर को राखी बांधती हैं।
मान्यताओं के मुताबिक, रक्षाबंधन के दिन वंशी नारायण मंदिर में जो भी बहनें अपने भाई को राखी बांधती हैं उन्हें सुख, संपत्ति और सफलता का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही उनके भाईयों पर कभी कोई संकट नहीं आता है। आपको बता दें कि सूर्योदय के साथ मंदिर के कपाट खुलते हैं और सूर्यास्त के बाद इसे सालभर के लिए बंद कर दिया जाता है।
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान विष्णु अपने वामन अवतार से मुक्त होने के बाद सबसे पहले यहीं प्रकट हुए थे। कहते हैं कि इस स्थान पर देव ऋषि नारद ने प्रभु नारायण की पूजा-अर्चना की थी। माना जाता है कि नारद जी साल के 364 दिन विष्णु जी की पूजा करते हैं और एक दिन के लिए चले जाते हैं, जिससे लोग पूजा कर सकें। इसी वजह से यहां पर लोगों को सिर्फ एक दिन ही पूजा करने का अधिकार मिला हुआ है। मंदिर के पास एक भालू गुफा मौजूद हैं, जहां भक्त प्रसाद बनाते हैं। कहते हैं कि इस दिन यहां हर घर से मक्खन आता है और इसे प्रसाद में मिलाकर भगवान को भोग लगाया जाता है।
रक्षाबंधन सिर्फ एक त्यौहार नहीं बल्कि भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है। इस दिन बहनें जहां भाई की कलाई पर राखी बांधते हुए उसकी लंबी आयु की कामना करती हैं, वहीं भाई ताउम्र बहन की रक्षा करने का वचन देता है। आपको बता दें कि इस साल रक्षाबंधन का त्यौहार 30 अगस्त 2023 को मनाया जाएगा।