सुप्रिया सुले: राहुल गांधी एक मजबूत और ईमानदार नेता हैं

सुप्रिया सुले ने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी एक 'फाइटर' हैं।

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राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) की सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी एक ‘फाइटर’ हैं और एक चुनावी रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अपनी ‘पनौती’ वाली टिप्पणी पर चुनाव आयोग के नोटिस का ‘गरिमापूर्ण और ईमानदार’ जवाब देंगे।

सुप्रिया सुले ने कहा, ‘राहुल गांधी एक मजबूत और ईमानदार नेता हैं। मुझे विश्वास है कि वह सम्मानजनक और ईमानदार जवाब देंगे। वह एक योद्धा हैं, वह निडर रह सकते हैं, क्योंकि वह ईमानदार हैं।’ भारतीय जनता पार्टी की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा, ‘हमारे पास ऐसे कई उदाहरण हैं, जब बीजेपी ने उनके परिवार को लेकर निशाना साधा है। अब अगर वह कुछ बोलते हैं, तो बुरा मानने की क्या जरूरत है? उन्होंने (बीजेपी) तो राहुल गांधी की दादी तक को नहीं छोड़ा।’

भारतीय चुनाव आयोग (ECI) ने गुरुवार को बीजेपी की शिकायत पर कांग्रेस सांसद को कारण बताओ नोटिस जारी किया। इस नोटिस में राहुल गांधी के कथित तौर पर पीएम मोदी के खिलाफ अपनी चुनावी रैलियों में अपमानजनक टिप्पणी का जिक्र किया गया है। आयोग को दिए अपने ज्ञापन में भाजपा ने कहा था कि पिछले नौ वर्षों में उद्योगपतियों को 14,00,000 करोड़ रुपये की छूट देने के आरोप तथ्यों पर आधारित नहीं हैं।

आयोग के नोटिस में कहा गया है कि ‘पनौती’ शब्द प्रथम दृष्टया भ्रष्ट गतिविधियों से निपटने वाले जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 123 पर रोक की समानता में आता है। नोटिस में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को याद दिलाया गया है कि धारा 123 की उपधारा (ii) के खंड 2 में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति जो किसी उम्मीदवार या निर्वाचक को यह विश्वास दिलाने के लिए प्रेरित करता है या प्रयास करता है कि वह, या कोई भी व्यक्ति जिसमें वह रुचि रखता है। दैवीय नाराजगी या आध्यात्मिक निंदा का पात्र बन जाएगा या बना जाएगा। उसे ऐसे उम्मीदवार या निर्वाचक के चुनावी अधिकार के स्वतंत्र प्रयोग में हस्तक्षेप करने वाला माना जाएगा।

राहुल गांधी ने अहमदाबाद में विश्व कप क्रिकेट के फाइनल मैच में ऑस्ट्रेलिया से भारत की हार के बाद राजस्थान में एक चुनावी भाषण में पीएम मोदी के खिलाफ ‘पनौती’ शब्द का इस्तेमाल किया था। आम तौर पर पनौती शब्द ऐसे व्यक्ति के लिए इंगित किया जाता है जो बुरी किस्मत लाता है। नोटिस में आयोग द्वारा जारी एक सामान्य परामर्श का भी जिक्र किया गया है। जिसमें चुनाव प्रचार के दौरान ‘राजनीतिक संवाद के गिरते स्तर’ पर चिंता व्यक्त की गई थी।

आयोग ने गांधी को उच्चतम न्यायालय की उस टिप्पणी के बारे में भी बताया जिसमें कहा गया था कि यदि संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) द्वारा बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा की जाती है, तो प्रतिष्ठा के अधिकार को भी अनुच्छेद 21 द्वारा संरक्षित जीवन के अधिकार का एक अभिन्न हिस्सा माना जाता है और ‘इन दो अधिकारों को संतुलित करना एक संवैधानिक आवश्यकता है।’

चुनाव आयोग ने कहा, ‘आपसे अनुरोध किया जाता है कि आप लगाए गए आरोपों पर अपना स्पष्टीकरण दें और कारण बताएं कि आयोग द्वारा आदर्श आचार संहिता और प्रासंगिक दंड प्रावधानों के कथित उल्लंघन के लिए उचित कार्रवाई क्यों नहीं शुरू की जाए। यदि आपके पास कोई जवाब है, तो वह 25 नवंबर की शाम छह बजे तक पहुंच जाए. अगर तब तक कोई जवाब नहीं मिलता है, तो आयोग द्वारा उचित कार्रवाई की जाएगी।’

विधानसभा चुनावों के मौजूदा दौर में राहुल गांधी को आयोग की ओर से पहली बार नोटिस जारी किया गया, जबकि उनकी बहन और कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी को दो बार नोटिस जारी किया जा चुका है।