मणिपुर (Manipur) में जारी प्रदर्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने चिंता जताई है। CJI ने कहा है कि, फिलहाल हम राज्य में हालत स्थिर चाहते हैं। हमारा लक्ष्य सभी की सुरक्षा है हम वहां की घटनाओं से चिंतित हैं। अदालत ने कहा कि, यह एक मानवीय मुद्दा है सरकार लोगों को सुरक्षित करने और हालात ठीक करने के लिए कदम उठाए।
धार्मिक पूजा स्थलों की रक्षा की जाए: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि, हाईकोर्ट नहीं बल्कि राष्ट्रपति के पास जनजाति को ST के रूप में पहचानने का अधिकार है। अदालत ने सरकार से कहा कि, भोजन के साथ पर्याप्त राहत शिविर सुनिश्चित करने की जरूरत है। विस्थापित व्यक्तियों के पुनर्वास की व्यवस्था हो। धार्मिक पूजा स्थलों की रक्षा की जाए। वही अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख 17 मई तय की है।
गौरतलब है कि, मणिपुर में बीते कई दिनों से हो रही हिंसा में अभी तक 50 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। राज्य में स्थिति को बिगड़ता देख केंद्र ने अतिरिक्त सुरक्षा बलों को मणिपुर के लिए भेजा है। सेना के 10 हजार से ज्यादा जवानों की तैनाती के बाद यहां हिंसक घटनाओं में थोड़ी कमी जरूर देखने को मिली है।
मणिपुर में हो रहे हिंसा के पीछे ये है वजह
जहाँ मणिपुर में हिंसा के पीछे दो वजहें बताई जा रही हैं। पहली वजह यह है कि यहां के मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देना है। मणिपुर में मैतेई समुदाय बहुसंख्यक वर्ग में आता है, लेकिन इन्हें अनुसचित जनजाति का दर्जा दे दिया गया है। जिसका कुकी और नागा समुदाय के लोग विरोध कर रहे हैं। कुकी और नागा समुदायों के पास आजादी के बाद से ही आदिवासी का दर्जा है।
अब मैतेई समुदाय भी इस दर्जे की मांग कर रहा है जिसका विरोध कुकी और नागा समुदाय के लोग कर रहे हैं। कुकी और नागा समुदाय का कहना है कि मैतेई समुदाय तो बहुसंख्यक समुदाय है उसे ये दर्जा कैसे दिया जा सकता है। कुकी समुदाय के लोगों ने तीन मई को मैतेई समुदाय को मिलने वाले दर्जे और सरकार के फैसले के विरोध में प्रदर्शन किया। इसी प्रदर्शन में हिंसा शुरू हो गया। जिसके बाद से ही हिंसा काफी भड़क उठी।