कहानी: आखिरी फोन

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aakhri phone

आज मां को फोन लगाया थोड़ी आवाज़ शांत सी थी लगा जैसे कुछ हुआ है…।
पूछा क्या हुआ तो वो कुछ बोली नहीं बस कहा की सुस्त सी महसूस कर रही है…।
उन्हें स्कूल का काम होता है नाना जी की भी देखभाल करती हैं और चूंकि वो सिंगल mother हैं तो शुरू से उन्होंने मुझे बहुत बढ़िया से सम्हाला, तो अब मेरी जिम्मादारी है न की मैं भी उनका सहारा बनू…।
बात आई गई हो गई mummy स्कूल चली गई मैं भी bussy हो गई…।

** रामेश्वरी देवी को लड़के के इंतजार में इस बार भी सातवी संतान लड़की ही हुई…।
उनकी सास जो हमारे घर बर्तन और बांकि काम जैसे खेत में धान कटना बाकी सब देखती थीं…।
गाम वाली दाई (दादी) चुकी उनकी गाम में ही शादी हुई थी गामवली ही बोलते थें…।
मुझे बड़ी अच्छी सी लगती थी वो…। कभी ब्लाउज नही पहनती थी, मैं छोटी सी थी अक्सर पूछा करती आप ब्लाउज क्यों नही पहनते तो वो कहती पहले गरीबी बहुत थी तो पहन नही पाए… और बीड़ी पीती थी तो मैं कहती इसके लिए आपके पास पैसे हैं तो अक्सर वो हंस दिया करती थी…।

जिस दिन सातवीं लड़की यानी उनकी पोती हुई थी वो बहुत दुखी थी की हमारी गाय को बछड़ा हुआ था तो सोचा हमारी बहु को भी बेटा हो जायेगा मेरे बेटे का घर आबाद हो जायेगा…। चुकी मैं भी mummy की इकलौती बेटी थी तो मेरे साथ ऐसा व्यवहार नहीं ही होता था…लेकिन उसी गांव में एक घर में एक लड़के के लिए सात सात लड़किया सोचने वाली बात थी क्या लड़कियां नही उनके भविष्य का सहारा बन सकती थी छोटी सी थी मैं कितना दिमाग लगाती…।

गाम वाली को यकीन था की बड़े लड़के को बेटा नही हुआ तो क्या हुआ छोटे बेटे के घर भी भाग्य चमक जाए लेकिन वहा भी पचवी बार लड़की का ही जन्म हुआ…।
गाम वाली अक्सर बातें करती की कोई लकड़ी देने वाला भी नही होगा मेरे लड़कों को…।
मुझे तो भगवान ने दो दिया इन्हें भी एक एक दे दो…।
लेकिन भगवान जाने क्यों इस परिवार की बात ही नही सुन रहा था…।
जिस समाज में एक लड़की हो जाय, पेट में पता चल जाए तो लोग वही मार देते हैं या एक से दो हो जाए तीसरे को दुनिया में आने भी नही देते…। आज बहुत सी चीजें बदल गई है बहुत से लोगों को मेरी बातें पसंद न आए लेकिन मैं संतानबे के करीब की बात कर रही हूं जिसे आजकल के लोग nineteej कहते हैं…।

लेकिन गामवाली के बड़े बेटे शंभू चाचा एकदम से लंबे चौड़े और गोरे से चेहरे पर एक शानदार सी मुस्कुराहट लगता ही नही था की वो एक निम्नवर्गीय परिवार के मजदूरी करने वाले से ताल्लुक रखते थे नही मैं stereotype बातें नही कर रही पर वो बहुत बड़े घर के लगते थे और जब भी कोई मेहमान आता तो उन्हें लगता ही नही था की वो हमारे परिवार का हिस्सा न हो…।
और न उनके चेहरे पर कभी कोई शिकन थी की उन्हें भगवान ने सात सात बेटियां दे दी है तो वो कैसे उनका निर्वाह करेंगे…।

एक दिन गांव में भोज का आयोजन था मैं भी बड़े पापा के साथ गई थी…। गांव में पहले ऊंची जाति वालों को खिलाते थे फिर जाति के हिसाब से धीरे धीरे सबको खिलाते थे चाहे छोटी जाति का बच्चा पहले आकर शाम से क्यों न बैठा हो वो पूरे दिन भोज के इंतजार में भूखा क्यों न किसी को तिल भर का फर्क नही परता…।

चुकी अब बहुत सी चीजें बदल गई हैं लेकिन अभी भी कभी कभी गांव में ये सब चीजें दिख जाती हैं तो मेरा मन विचलित सा हो जाता है लेकिन जब मैं कुछ भी नही कर पाती तो व्यथित से मन को लेकर लिखने ही बैठ जाती हूं की शायद इधर ही कोई पढ़ ले…।

बात भोज की हो रही थी तो हम जब भोजन करके जा रहे थे तो देखा चाचा को, वो अपनी चार या पांच बेटियो के साथ बैठे थे कतार में तो एक व्यक्ति ने टोक दिया बेटियों को घर पे छोड़ के आया करो पूरी पलटन लेकर चलते हो …।
उसके बाद चाचा वही लड़ने लगे खाना छोड़कर जाने लगे फिर सबने कितना समझाया तब कहीं जाकर माने…।
सबने तारीफ की देखो बेटियों में इनकी जान बसती है…।

फिर जब आठवीं बार चाची पेट से थी तो सबको बहुत भरोसा था की लड़का ही होगा…।
लेकिन भगवान पता नही कौन से गांव जाकर बैठ गए थे इस परिवार पे दया ही नही थी…।
लेकिन अब वो आखिरी संतान थी इतना तक तो याद है फिर चाचा ने अपने भाई के लिया मन्नत मांगी की कम से कम मेरे भाई को लड़का दे दो तो मैं छठ पूजा में व्रत करूंगा और उनकी मनोकामना पूरी हुई उनके भाई के घर लड़का हुआ चाचा ने अपनी मन्नत पूरी की…।

जब मैं सातवीं कक्षा में थी तब शायद उन्होंने अपनी बड़ी बेटी गीता शायद यही नाम था उसकी शादी की होगी…।
बड़े शौक से साइकिल, घड़ी, रेडियो ये सब दिया बाकी जो भी उस जमाने में फैशन में था सब दिया…।
बड़े प्यार से बताते की क्या सब दिया हमारे गांव में तभी लाइट नही थी और वो चाची को कभी भी अकेले नही छोड़ते थे…। टॉर्च ले कर उनके पीछे पीछे चला करते थे…।
सब उन्हें छेड़ा भी करते की अरे आप अपनी लुगाई के बिना नही रह सकते…. तो कहते आप लोगों ने ही कर दिया हैं न तो फिर? सब चुप हो जाती…। उनकी जोड़ी इस तरह की था जैसे अमिताभ और जया जी की…।

समय पंख लगा कर उड़ने लगा… वो हर दो तीन साल दिल्ली जाकर मजदूरी करते पैसे जोड़ते फिर एक लड़की की शादी करते…।
दसवीं के बाद मुझे भी पढ़ने के लिए बाहर भेज दिया गया…। लेकिन जब भी जाना होता तो चाचा तो कभी कवार मिलते लेकिन चाची हर बार मिलती…।
हर बार पूछती कितनी बेटियों की शादी हुई तो बताती की कैसे चाचा ने किसी भी बेटी को कुछ भी नहीं छोड़ा देते ही रहे कभी चेहरे को मलिन भी नहीं होने दिया…।

अपने लिए कभी छत वाला घर नही बनया कभी अपनी बीबी को कान के झुमके सोने तो छोड़ो चांदी के भी नही बनाया…।
बस बेटियो को जन्म दिया है तो उनको अच्छे घर में विदा कर दें और पूरी उम्र उन्होंने इसे अच्छे से निभाया…।

इस साल दिसंबर में गांव जाना हुआ…।
अभी भी हवेली में कोई शादी होती तो वो अपना काम छोड़ कर गांव आ जाते। अगर उन्हें बुलाया जाता था तो, क्योंकि उनके जैसे ईमानदार तो मिलने से रही…। जैसे ही मेरी गाड़ी दरवाजे पे रुकी सब लपक के आए की कौन आया है चाचा भी आए…।
मैं भी पच्चीस साल करीब हो गए थे बहुत सी चीजें बदल गई चाचा मुझे देख के स्तब्ध खड़े हो गया जाने कौन सी मैडम हूं मैने कहा ” चाचा मैं हूं आपकी पिंकी” उन्होंने गौर से देखा और खुश होकर मेरा सामान उतारने लगे…।
चाचा किसी भी कोने से नही लग रहे थे की साठ के होने वाले हैं…। चेहरे पर वही चमक कोई फिक्र की लकीर तक भी नही…।
फिर चाची भी आई मैने फिर पूछा चाची कितनी लड़कियां रह गई उन्होंने बताया बस दो बची हैं…।
एक की अप्रैल में ठीक कर रखी है …।
कितने नाती है ये बताओ उन्होंने उंगली पे गिन के बताया मुझे बड़ी खुशी हुई की चलो कहा एक लड़का भी अब इतने सारे नाती हैं…।
चलो भगवान ने कहीं तो सुनी…।
फिर एक सप्ताह हम वहा रहें लड़की के विदाई के साथ मेरी गाड़ी भी निकलने ही वाली थी की चाचा ने एक कागज़ पे अपना फोन न. दिया की फोन करना मैने जल्दी जल्दी में कही घुसा दिया की ठीक है फ़ोन करूंगी और उन्होंने कई बार मेरा नंबर मांगा था पर मैं दे ही नही पाई…।
फिर मैं वापिस दिल्ली आ गई …।
Mumy ने कई दिन पूछा चाचा को फोन किया मैं कहा कर लूंगी न जल्दी क्या है ?

** आज एक पड़ोसी का कॉल आया की उनकी जिठानी को दो लड़की है तीन सौ गज की कोठी है और जाने कितनी प्रॉपर्टी है…। बड़ी लड़की की शादी तो बिरादरी में कर दी उन्होंने लड़की की नौकरी छुड़वा दिया। अब वो नही चाहती की दूसरी की शादी अपने बिरादरी में हो और वो नौकरी करती रहे मेरे पास पैसे नहीं है जो बेटी किसी और को पसंद करती है लेकिन मैंने बोला है एक साल रुक फिर पैसे manage हो जाए फिर शादी करूंगी…।

सामने वाले ने तो फोन रख दिया पर मेरी आंखों पर चाचा का चेहरा नाचने लगा बताओ एक मजदूरी करने वाला कभी नही थका, कभी भी नही रुका और कभी अपने और अपनी बीबी के लिए नही सोचा और एक ये महिला है एकाध बार मैं भी गई थी तीन सौ गज की कोठी में बारह पंद्रह किराएदार भी थे फिर भी पैसे की कमी लगती है इनको और इनके बाद तो सारा इन्ही दोनो लड़कियों का तो होना था…।
खैर मैंने चाचा का नंबर ढूंढना शुरू किया पर मिला ही नही मैने सोचा गांव से कजिन से ले लूंगी क्या जल्दी है पर ध्यान बस चाचा पर जा रहा था…।
शाम को फिर mumy का फोन आया अभी भी वही उदासी सी थी आवाज में
मैने पूछा क्या हुआ बताओ न …?
फिर उन्होंने बताया की शंभू चाचा अब भी नही रहे मैने कहा क्या बोल रही हो अभी तो मिले थे न फिर उन्होंने बताया की आज गांव से फोन आया था की दिल्ली में उनका सुबह निधन हो गया…।
उनको किसी ने स्क्रीनशॉट लेकर भेजा था देखा था तो लिखा था दिल्ली में सुबह निधन हो गया यही कोई आठ दस दिन पहले की बात है मेरा दिमाग सुन्न हो गया…।
हे भगवान सुबह से पता होता तो कम से कम आखिरी दर्शन तो कर आती…।
जाने कैसे उनका आखिरी संस्कार हुआ होगा मेरे मन में हज़ार सवाल नाचने लगे फिर मैंने कई जानने वालों को फोन लगाया फिर पता चला की उनका नाती भी दिल्ली में काम करता था उसने मुखाग्नि दी तब जाकर मुझे थोड़ा सुकून मिला…।
और कमबख्त नंबर भी मिल गया डायल करती हु पर फोन ही नही मिलता…।

इसलिए इंसान को कल के लिए कुछ भी नहीं छोड़ना चाहिए जो हमारे बस में हो कर लेना चाहिए क्योंकि ऊपर जो बैठा है न वो कुछ और ही सोचते रहता है…। चाचा आप हमेशा मेरे मन में रहोगे और सम्मान हमेशा रहेगा भगवान आपकी आत्मा को शांति दे…। गरीबों को दिल दे देता है पैसा भी नहीं देता…। अमीरों को पैसा दे देता है दिल नही देता अब मैनेज करते रहो जैसे करना है और खुद बैठ के तमाशा देखता है…।

अगर इस कहानी से किसी को कोई आहत हुआ हो तो माफी चाहूंगी लेकिन ये वही लिखा जो मैने देखा है…। रात को देर रात लिखने के बाद जब मैं सोई तो मैने सपने में देखा क्या वो खाना बना रहे थे और बिलकुल वैसे ही हस रहे थे और मुझे ही कह रहे थे इतना टेंशन मत ले…। आश्चर्य में मैं इतनी हूं की आज तक कभी सपना नही देखा था लेकिन कल इतने शिद्दत से उनको याद करके लिख रही थी की सपने में ही आ गए…।

अगर आपलोगों को मेरी बातें पसंद आती है तो दो शब्द ज़रूर लिखा करे धन्यवाद…।

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