साइबेरिया की बैकल झील में पानी के ऊपर तैरते पत्थर लोगो को हैरान कर देने वाले है। असल में ये पत्थर खुद को झील में जमी बर्फ पर इस तरह जमा लेते है कि देखने में एकदम पानी के ऊपर तैरते दिखाई देते है। हवा, उर्ध्वपातन, पिघलने और पुनः जमने से बैकाल झील की सतह का अधिक आकार लेना। इस मामले में, कई छोटे-छोटे बर्फ के टुकड़े एक बिंदु पर बर्फ में बिखर जाते हैं, सतह पर जम जाते हैं और फिर, बदले में, समान हवाओं द्वारा गढ़े जाते हैं और पेडस्टल और गुहा बनाते हैं।
बता दे कि साइबेरिया के रूसी क्षेत्र में स्थित बैकाल झील, पानी का एक विशाल भंडार है और इसे दुनिया की सबसे गहरी और सबसे विशाल मीठे पानी की झील कहा जाता है। देखने में लगता है की बैकाल झील की बर्फ के ऊपर एक “पैर” पर एक छोटा पत्थर खड़ा है। एक बिंदु पर पत्थर का निचला भाग बर्फ की सतह पर जम गया, और समय के साथ, निरंतर हवाओं ने इसके आधारों को नष्ट कर दिया, बर्फ को उर्ध्वपातित कर दिया और एक उथले अवसाद के भीतर एक चिकने पेडस्टल को आकार दिया।
बीते दिनों साइबेरिया के एक नेचर फोटोग्राफर ने अपने कैमरे में इन ‘जेन पत्थरों’ की करिश्माई तस्वीरें कैद की थी। इन फोटोज को रूस की सर्वेश्रेष्ठ फोटो प्रतियोगिता में प्रथम अवार्ड से सम्मानित किया गया। ये पत्थर वास्तव में प्रकृति के संतुलन को दर्शाने का एक बेहतरीन उदाहरण है। वैज्ञानिको के द्वारा इन बेशकीमती पत्थरों को लेकर कई कयास लगाए जा रहे है। इनकी संपूर्ण वैज्ञानिक जांच के लिए, आप अंतर्राष्ट्रीय भौतिक विज्ञानी टूर्नामेंट 2018 में टीम यूक्रेन की इस प्रस्तुति को देख सकते हैं।