किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष का बजट पर बयान, कहा कॉरपोरेट के लिए छूट और किसानों के लिए लूट

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केंद्र सरकार के इस नए बजट पर अब पक्ष विपक्ष के साथ ही किसान संघर्ष समीतियों के नेताओं की भी प्रतिक्रिया सामने आ रही है। किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष और पूर्व विधायक डॉ सुनीलम इस नए लागू हुए बजट से असंतुष्ट नजर आए है, और इस बजट को किसानों को परेशान करने वाला बताया है, उन्होंने कहा कि बजट को देखते हुए ऐसा लगता है कि, मोदी सरकार (बीजेपी) ने आंदोलन करने वाले किसानों को सबक सिखाने के लिए यह बजट तैयार कराया है। उन्होंने कहा कि यह बजट कॉर्पोरेट सेक्टर के लिए छूट और किसानों की लूट करने वाला बजट है।

किसानों की आय दोगुनी करने का वादा भूली सरकार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छह वर्षों में किसानों की आय दोगुनी करने का वादा अनेकों बार दोहराया है, लेकिन इस बार वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने आय दुगनी करने को लेकर एक शब्द भी नहीं कहा। 2015 से 2016 में यह 8059 रुपये प्रति माह थी जो छह साल के बाद महंगाई को जोड़कर 21,146 होनी थी, लेकिन वह 2018-19 में केवल 10, 218 रुपये तक पहुंची है। 2022 में यह 12,955 रुपये होगी।

कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों या उससे जुड़े हुए इलाको का कुल बजट पिछले साल के 4.26 प्रतिशत से घटाकर इस वर्ष (2022) 3.84 प्रतिशत कर दिया गया है। जबकि किसान संघर्ष समिति किसानों की आबादी के अनुपात में बजट की मांग करती रही है।

किसान अध्यक्ष ने कहा कि बजट में ग्रामीण विकास का बजट पिछले साल 5.59% से घटाकर इस वर्ष 5.23% कर दिया गया है। 2014 के बाद से ही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लेकर सरकार ढिंढोरा पीट रही है। लेकिन बजट पिछले साल के 16000 करोड़ रुपए से घटाकर इस साल 15500 करोड़ रुपए कर दिया गया है। इसी तरह किसानों को फसल का दाम मिल सके उसके लिए सरकार की पी एस एस (P S S)और एमआईएस(MIS) स्कीम में पिछले साल खर्च किया गया 3595 करोड़ रुपये को घटाकर 1500 करोड़ कर दिया गया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कहते रहे है की, एमएसपी(MSP) थी, है और आज भी रहेगी, लेकिन किसानों को एमएसपी दिलवाने के लिए बनाई गई स्कीम घटाकर पिछले साल चार सौ करोड़ रुपये किया गया था, और इस बार सिर्फ एक करोड़ रूपये कर दिया गया है।

किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष ने कहा कि, बजट में पिछले वर्ष की अपेक्षा में गेहूं और चावल की खरीद के लिए 2.37 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया है। जो कि पिछले वर्ष 2.48 लाख करोड़ था । एमएसपी के संबंध में भी गलत जानकारी दी गई है। इस साल( 2022) 2.37 लाख करोड़ रुपये की एमएसपी(MSP) पर खरीद पिछले साल 2.84 लाख करोड़ रुपये की खरीद से भी कम है। जबकि 2021में बारह सौ छियासी लाख टन की खरीद हुई थी जबकि 2022 में बारह सौ आठ लाख टन की हुई। 2021 में 1.97 करोड़ किसानों को लाभ हुआ था ।2022 में केवल1.63 करोड़ किसानों को ही लाभ होगा। जबकि देखा जाए तो पिछले साल से महंगाई में इस बार चालीस प्रतिशत (40%) की वृद्धि हुई है। इसके अनुसार आवंटन बढ़ाया जाना चाहिए था। सरकार ने केवल चार प्रतिशत की वृद्धि की थी।पिछले वर्ष (2021)की तुलना में सरकार ने इस वर्ष (2022) सात प्रतिशत कम गेहूं और चावल की खरीद 17% कम किसानों से खरीद की गई है।

एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड में सरकार का योगदान

एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड(Agriculture Infrastructure Fund) में सरकार का योगदान पिछले साल (2021) में 900 करोड़ से घटाकर इस साल (2022) में 500 करोड़ कर दिया गया है। फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन( Farmar Producer Organization) के लिए बजट 2021 में 700 करोड़ से घटाकर 2022में 500 करोड़ कर दिया गया है। पराली जलाने को रोकने के लिए किसान को मदद प्रदान करने के लिए पिछले साल सात सौ करोड़ का बजट था, और इस साल घटाकर शून्य कर दिया गया है। नेचुरल फार्मिंग (Natural Farming) के बारे में सरकार ने बोला यह ज्यादा है, उसमें खर्चा ना के बराबर किया है। पिछले दो सालों से एग्रीकल्चर इन्वेस्टमेंट फंड (Agriculture Investment Fund )की बहुत जोरोशोर के साथ घोषणा हुई थी। उसके 1,00,000 करोड़ रुपये में से अब तक केवल 2,400 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं ,उसके बारे में भी कुछ नहीं बोला गया और ना कोई जानकारी दी गई।

खाद्य सब्सिडी को कम किया गया

सरकार द्वारा खाद्य सब्सिडी को पच्चीस प्रतिशत (25% ) घटा दिया गया है। प्रधानमंत्री किसान योजना( Pradhan Mantri Kishan Yojana) के आवंटन में नौ प्रतिशत घटाई गई है। प्रधानमंत्री किसान योजना जब लागू की गई थी तब कहा गया था कि ,उसे बारह करोड़ परिवारों से पंद्रह करोड़ परिवारों तक बढ़ाया जाएगा, लेकिन इस दावे के अनुसार नहीं किया गया है। महंगाई बढ़ने के कारण किसान सम्मान निधि का पैसा पंद्रह प्रतिशत घट गया है। उसे बढ़ाने के बारे में कुछ नहीं कहा गया है। मनरेगा में पिछले साल 97,034 करोड़ रुपये खर्च हुए थे, लेकिन इस साल मात्र 72,034 करोड़ रुपये का बजट है। मनरेगा में राज्यों के पास फंड खत्म हो गया है। उसे पूरा करने के बारे में कुछ नहीं बोला। किसान संघर्ष समिति मानती है कि, किसान ड्रोन योजना (Kisan Drone Yojana) का वही निष्कर्ष होगा जो किसान रेलवे (Kisan Railway) और फसल बीमा का हुआ है। किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष ने कहा कि, हमारे देश के किसानों के लिए कर्जा मुक्ति सबसे बड़ा प्रश्न है,और इसे खत्म करना है ,लेकिन ऐसा लग रहा इसे सरकार किसानों को अधिक कर्जदार बनाने की नीति पर कार्य कर रही है।

डॉ सुनीलम ने आगे कहा कि, आने वाले विधानसभा चुनाव में यूपी और चार राज्यों के किसान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से बजट के माध्यम के द्वारा किये गए अपमान का बदला लेंगे।इस बजट से हम असंतुष्ट है। इस वर्ष(2022) में फिर से एक ‘राष्ट्र व्यापी आंदोलन किसान आंदोलन’ की शुरुआत करेंगे।