सर्व पितृ अमावस्या पर लगेगा सूर्य ग्रहण, जाने श्राद्ध कर्म करना रहेगा शुभ या अशुभ ?

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14 अक्टूबर को शनिवार के दिन सर्व पितृ अमावस्या है। इस दिन साल का आखिरी सूर्य ग्रहण भी लगने जा रहा है। बता दें कि पितृपक्ष में सर्व पितृ अमावस्या का अधिक महत्व होता है। इस बार सर्व पितृ अमावस्या 14 अक्टूबर शनिवार के दिन है। इसलिए इसे शनि अमावस्या भी कहा जाएगा। आइए जानते हैं इस दिन सूर्यग्रहण होने के चलते आपको श्राद्ध कर्म करना शुभ रहेगा या अशुभ?

अमावस्या के दिन लग रहा है सूर्यग्रहण

सबसे पहले बता दें कि अमावस्या तिथि 14 अक्टूबर को रात में 9 बजकर 50 मिनट से लगेगी और अगले दिन यानी 14 अक्टूबर की रात 11 बजकर 24 मिनट पर रहेगा। वहीं, भारतीय समय अनुसार, सूर्यग्रहण रात में 8 बजकर 34 मिनट से लगेंगे और मध्य रात्रि 2 बजकर 25 मिनट तक रहने वाला है। लेकिन, ग्रहण लगने से 12 घंटे पहले सूतक काल लग जाता है। हालांकि, ज्योतिषि नीलांबर झा के अनुसार, श्राद्ध कर्म कार्यों में सूतक काल मान्य नहीं होता है। आप इस समय श्राद्ध कर सकते हैं। हालांकि, मूर्ति पूजन सूतक काल में नहीं करना चाहिए।

क्या भारत में दिखाई देगा सूर्यग्रहण

साथ ही आप तर्पण भी इस दिन सूर्य को दे सकते हैं। वैसे तो यह सूर्यग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा।फिर भी आप सूर्य को तर्पण देते समय सूर्य को सीधा न देखें। दरअसल, पितृपक्ष में सर्वपितृ अमावस्या का सबसे अधिक महत्व होता है। इसलिए इस दिन अपने पूर्वजों और पितरों को प्रसन्न करने के लिए उनका श्राद्ध पूरे विधि विधान के साथ करना चाहिए। सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितरों और पूर्वजों का धरती लोक पर आखिरी दिन है। इस दिन वह सवर्ग लोक के लिए वापस जाते हैं। इसलिए इस दिन श्राद्ध और तर्पण करने का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। अपने पूर्वजों की कृपा और उनका आशीर्वाद आप पर बना रहे इसके लिए उनका श्राद्ध पूरे नियम के साथ करना चाहिए।