भारतीय संस्कृति की अमूल्य निधि है श्री रामचरितमानस, जाने क्या है इसका महत्त्व

0
76

श्रीरामचरितमान गोस्वामी तुलसीदास द्वारा १६वीं सदी में रचित प्रसिद्ध महाकाव्य है। इसके नायक मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम है और इसकी भाषा अवधी है। इस ग्रन्थ को अवधी साहित्य (हिंदी साहित्य) की एक महान कृति माना जाता है। इसे सामान्यतः ‘तुलसी रामायण’ या ‘तुलसीकृत रामायण’ भी कहा जाता है। श्रीरामचरितमानस भारतीय संस्कृति में एक विशेष स्थान रखता है। श्रीरामचरितमानस की लोकप्रियता अद्वितीय है। उत्तर भारत में ‘रामायण’ के रूप में बहुत से लोगों द्वारा प्रतिदिन पढ़ा जाता है। शरद नवरात्रि में इसके सुन्दर काण्ड का पाठ पूरे नौ दिन किया जाता है। रामायण मण्डलों द्वारा मंगलवार और शनिवार को इसके सुन्दरकाण्ड का पाठ किया जाता है।

भगवान राम है इस ग्रन्थ के नायक

श्रीरामचरितमानस के नायक श्रीराम हैं जिनको एक मर्यादा पुरोषोत्तम भगवान के रूप में दर्शाया गया है जोकि हिंदू धर्म ग्रंथो के अनुसार अखिल ब्रह्माण्ड के स्वामी हरि नारायण भगवान के अवतार है जबकि महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण में भगवान श्रीराम को एक आदर्श चरित्र मानव के रूप में दिखाया गया है। जो सम्पूर्ण मानव समाज को ये सिखाता है जीवन को किस प्रकार जिया जाय भले ही उसमे कितने भी विघ्न हों। प्रभु श्री श्रीराम सर्वशक्तिमान होते हुए भी मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। गोस्वामी जी ने श्रीरामचरित का अनुपम शैली में दोहों, चौपाइयों, सोरठों तथा छंद का आश्रय लेकर वर्णन किया है।

रामचरितमानस का महत्त्व

रामचरितमानस भारतीय संस्कृति की अमूल्य निधि है। यह हिन्दू धर्म का महान प्रतिपाद्य एवं पूज्य ग्रन्थ है। तुलसीदास ने इस ग्रन्थ की रचना इस प्रकार से की है कि इसमें नाजा पुराण, निगमागम के विचारों का समावेश तो हुआ ही है, उसके बाहर के अधीत एवं अनुभूत-लोक-हितकारी विचारों की भी अन्विति हुई है। पति का पत्नी के प्रति जो संदेश इसमें है, वह आदर्श और अनुकरणीय है। रामचरितमानस में भ्रातृ-स्नेह का भी आदर्श कम महत्वपूर्ण नहीं है। राम, लक्ष्मण, भरत तथा शत्रुघ्न इन चारों भाइयों का परस्पर स्नेह महान और उत्तम है। माता का भी आदर्श रामचरितमानस में उपस्थित किया है।

इस पवित्र ग्रन्थ से जुड़े तथ्य

  • रामचरितमानस हिंदू धर्म के लिए सर्वोत्तम ग्रंथ है। इसके रचयिता गोस्वामी तुलसीदास हैं।
  • रामचरितमानस न केवल तुलसीदास के बारह प्रामाणिक ग्रंथों में सर्वश्रेष्ठ है, वरन् समग्र हिंदी साहित्य का श्रेष्ठ गौरव ग्रंथ है, इसे भारतीय संस्कृति का विश्वकोश कहा जाता है।
  • इस ग्रंथ का साहित्य, दर्शन, आचारशास्त्र, शिक्षा, समाज-सुधार, साहित्यिक, मनोरंजन आदि कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण है।
  • रामचरितमानस की लोकप्रियता तो ऐसी है कि विगत चार सौर वर्षों से यह उत्तर भारत जी जनता का कंठहार बना आ रहा है। इसकी लोकप्रियता की तुलना में कोई भी दूसरा ग्रंथ उपस्थित नहीं किया जा सकता।
  • इसकी लोकप्रियता के अनेक कारणों में एक प्रमुख कारण यह भी है कि रामचरितमानस से केवल तत्कालीन अंधकार-ग्रस्त समाज को मार्गदर्शन मिला बल्कि समाज में प्रत्येक स्तर का व्यक्ति इस ग्रंथ में अपने लिए कर्त्तव्य एवं करणीय का संदेश एवं निर्देश प्राप्त कर सकता है।
  • यही कारण है कि यह ग्रंथ सामान्य जनता और बुद्धिजीवी वर्ग दोनों धरातलों पर सामान्य रूप से आदृत है।
  • यही एक महाकाव्य है जो सृजन साहित्य और जन-साहित्य के मध्य समान प्रतिष्ठा रखता है। इसका सबसे बड़ा कारण इसकी आचार शास्त्रीयता है।