धूमधाम से मनाये जाते है शारदीय नवरात्रि, जाने इससे जुडी किवदंती और महत्त्व

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आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिद्वंदी तिथि से शारदीय नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। शक्ति की साधना के लिए नवरात्रि के नौ दिन सर्वोत्तम माने गए हैं। यह त्यौहार लोगों को आध्यात्मिक रूप से जागृत करने और देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है। आइए जानते हैं शारदीय नवरात्रि कब से शुरू हो रहे हैं…

शारदीय नवरात्र से जुडी धार्मिक मान्यताएँ

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कहा जाता है कि देवी दुर्गा ने आश्वासन के महीने में महिषासुर पर आक्रमण किया था और नौ दिनों तक उससे युद्ध किया था। दसवें दिन उसका वध कर दिया था। इसलिए ये नौ दिन शक्ति की आराधना के लिए समर्पित थे। मान्यता है कि चैत्र नवरात्रि का अभ्यास आपको मानसिक रूप से मजबूत बनाता है और आध्यात्मिक इच्छाओं को पूरा करने वाला है। वहीं शारदीय नवरात्रि सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति करने वाली मानी जाती है।

क्यों कहा जाता है शारदीय नवरात्रि ?

आश्विन मास में ही शरद ऋतु की शुरुआत हो जाती है इसलिए आश्विन मास की नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहा जाता है। शारदीय नवरात्रि में घर घर में मां दुर्गा की पूजा की जाती है और व्रत किया जाता है। मां दुर्गा की सच्चे मन से पूजा अर्चना करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और मां दुर्गा का आशीर्वाद भी बना रहता है। नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा शक्ति के रूप में की जाती है। पश्चिम बंगाल में इस नवरात्रि के समय दुर्गा पूजा का उत्सव मनाया जाता है।

कब से हो रहे है शुरू ?

ऐसा कहा जाता है कि शरद ऋतु में होने वाली वार्षिक महापूजा दुर्गा सप्तशती में, उस अवसर पर जो मनुष्य मेरे महात्म्य (दुर्गा सप्तशती) को श्रद्धापूर्वक सुनेगा, वह मेरी करुणा से सभी बाधाओं से मुक्त हो जाएगा और धनवान होगा। धन, दौलत और पुत्रत्व में शारदीय नवरात्रि-पूजा वैदिक काल में प्रचलित थी।

शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर 2023 दिन रविवार से शुरू हो रहे हैं और 23 अक्टूबर 2023 दिन मंगलवार को समाप्त हो रहे हैं। 24 अक्टूबर विजयादशमी या दशहरा का पर्व मनाया जाएगा।
आश्विन माह की प्रतिपदा तिथि का प्रारंभ – 14 अक्टूबर, रात 11 बजकर 24 मिनट से शुरू
आश्विन माह की प्रतिपदा तिथि का समापन – 15 अक्टूबर, दोपहर 12 बजकर 32 मिनट तक
ऐसे में उदया तिथि को देखते हुए शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है।