सनातन धर्म में चतुर्थी तिथि का बेहद महत्व है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा का विधान है। चतुर्थी तिथि प्रतिमाह दो बार मनाई जाती है। इस माह यह 28 फरवरी, 2024 दिन बुधवार को मनाई जाएगी। फाल्गुन माह में आने वाली चतुर्थी तिथि को लोग द्विजप्रिय संकष्टी के नाम से जानते हैं, जिसका शास्त्रों में बहुत ज्यादा महत्व है।
संकष्टी चतुर्थी व्रत की महिमा
नारद पुराण के अनुसार संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रती को पूरे दिन का उपवास रखना चाहिए। शाम के समय संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा को सुननी चाहिए। संकष्टी चतुर्थी के दिन घर में पूजा करने से नकारात्मक प्रभाव दूर होते हैं । इतना ही नहीं संकष्टी चतुर्थी का पूजा से घर में शांति बनी रहती है। घर की सारी परेशानियां दूर होती हैं। गणेश जी भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं। इस दिन चंद्रमा को देखना भी शुभ माना जाता है। सूर्योदय से शुरू होने वाला संकष्टी व्रत चंद्र दर्शन के बाद ही समाप्त होता है, साल भर में 12-3 संकष्टी व्रत रखे जाते हैं। हर संकष्टी व्रत की एक अलग कहानी होती है। दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य में संकष्टी चतुर्थी को गणेश संकटहरा या संकटहरा चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है।
संकष्टी चतुर्थी का धार्मिक महत्व
संकष्टी चतुर्थी का दिन बप्पा के भक्तों के लिए बेहद खास होता है। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं और अत्यधिक भक्ति के साथ गणेश जी की पूजा-अर्चना करते हैं। भगवान गणपति जी का आशीर्वाद लेना अत्यधिक शुभ माना जाता है। महादेव और देवी पार्वती के पुत्र सभी देवताओं में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। यही कारण है कि उन्हें प्रथम पूज्य माना गया है। बता दें, किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले उनका आशीर्वाद लेने की प्रथा है, चाहे वह पूजा अनुष्ठान, विवाह, सगाई, मुंडन, या गृह प्रवेश हो।