महान समाजसुधारक थे संत गाडगे महाराज, 20 दिसंबर को मनाते है पुण्यतिथि

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आधुनिक भारत को जिन महापुरुषों पर गर्व होना चाहिए, उनमे राष्ट्रीय संत गाडगे बाबा का नाम सर्वोपरि हैं। समाज के हितैषी, सामाजिक समरसता के द्योतक अगर किसी को माना जाए तो वे संत गाडगे थे। महाराष्ट्र के प्रसिद्ध समाज सुधारकों में से वे एक थे। भारत सरकार ने भी उनके सम्मान में कई पुरस्कार जारी किये। गाडगे महाराज भारत के महाराष्ट्र राज्य के एक भारतीय भिक्षुक-संत और समाज सुधारक थे।

संत गाडगे महाराज जो कहते थे कि शिक्षा बड़ी चीज है। वो कहते थे कि अगर पैसे तंगी हो तो के सामान बेच दो, महिलाओं के लिए कम दाम के कपड़े खरीदो, टूटे-फूटे मकान में रहो पर बच्चों को शिक्षा दिए बिना न रहो। वह स्वैच्छिक गरीबी में रहे और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने और विशेष रूप से स्वच्छता से संबंधित सुधारों की शुरुआत करने के लिए विभिन्न गांवों में घूमते रहे।

संत गाडगे महाराज लोगों को जानवरों पर अत्याचार करने से रोकते थे और वे समाज में चल रही जातिभेद और रंगभेद की भावना को नहीं मानते थे और लोगों के इसके खिलाफ वे जागरूक करते थे। वे समाज में शराबबंदी करवाना चाहते थे। गाडगे महाराज लोगो को कठिन परिश्रम, साधारण जीवन और परोपकार की भावना का पाठ पढ़ाते थे और हमेशा जरूरतमंदों की सहायता करने को कहते थे।

उन्हें सम्मान देते हुए महाराष्ट्र सरकार ने 2000-01 में ‘संत गाडगेबाबा ग्राम स्वच्छता अभियान’ की शुरुवात की। जो ग्रामवासी अपने गांवों को स्वच्छ रखते है उन्हें यह पुरस्कार दिया जाता है। इतना ही नही बल्कि अमरावती यूनिवर्सिटी का नाम भी उन्ही के नाम पर रखा गया है। संत गाडगे महाराज भारतीय इतिहास के एक महान संत थे। 20 दिसम्बर, 1956 को महाराज जी चल बसे, लेकिन सबके दिलों में उनके विचार और आदर्श आज भी जिंदा हैं।