भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) हर 2 महीने के बाद तीन दिवसीय मौद्रिक नीति बैठक करते हैं और रेपो रेट के लिए उनके फैसले का एलियन करता है और आज RBI इस बार के के फैसले का ऐलान करेंगे। इससे पिछली बैठक दिसंबर में हुई थी।आपको बता दें कि इस बैठक में रेपो रेट के साथ कई अहम फैसले लिये जाते हैं। 1 फरवरी 2024 को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंतरिम बजट पेश किया था, जिसके बाद ये पहेली बैठक है। यह बैठक आरबीआई गवर्नर की अध्यक्षता वाली कमेटी द्वारा किया जाता है। आज 10 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करके आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास रेपो रेट और कई अहम फैसलों का एलान करेंगे।
इस दिन से हुई थी शुरू RBI की बैठक
यह बैठक 6 फरवरी 2024 को शुरू हुई थी। जिसकी जानकारी आज 10 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करके आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास इस बैठक में लिये गए फैसलों का एलान करेगी।भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank Of India) की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीन दिवसीय बैठक जारी है। उम्मीद है कि रेपो रेट लगातार छठी बार 6.5 पर अपरिवर्तित रखने की संभावना है। यदि आरबीआई आगामी नीति में यथास्थिति बनाए रखता है, तो रेपो दर 6.5 फीसदी पर स्थिर रहने का पूरा एक वर्ष पूरा हो जाएगा। केंद्रीय बैंक ने आखिरी बार 8 फरवरी, 2023 को रेपो दर को 25 आधार अंक बढ़ाकर 6.5 फीसदी कर दिया था। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा अंतरिम बजट की घोषणा के बाद यह पहली बैठक है।
पिछली 5 बैठकों से है स्थिर फैसला
पिछली 5 बैठक से रेपो रेट को स्थिर रखने का फैसला लिया गया था। उम्मीद की जा रही है कि आज भी रेपो रट को स्थिर रखने का फैसला लिया जाएगा।आपको बता दें कि महंगाई दर को नियंत्रण करने के उद्देश्य से रेपो रेट में बदलाव नहीं किया जाता है। आरबीआई की एमपीसी बैठक में आर्थिक आंकड़ों, महंगाई दर आदि पर फोकस रखा जाता है।
आरबीआई की एमपीसी बैठक
देश में महंगाई को काबू करने के लिए आरबीआई द्वारा हर दो महीने में एमपीसी बैठक होती है। इस बैठक में सबसे मुख्य फैसला रेपो रेट होता है। बता दें कि रेपो रेट एक तरह का ब्याज दर होता है। रेपो रेट के ब्याज दर पर ही आरबीआई देश के बाकी बैंक को कर्ज देती है।ऐसे में रेपो रेट में बदलाव का असर सबसे ज्यादा आम जनता पर पड़ता है। दरअसल, जब भी आरबीआई द्वारा रेपो रेट में बदलाव किया जाता है तो बैंक उसके आधार पर लोन में बदलाव करती है। जब भी देश में महंगाई दर में वृद्धि होती है तब केंद्रीय बैंक रेपो रेट को बढ़ा देता है। रेपो रेट को बढ़ने से इकोनॉमी में मनी फ्लो कम हो जाता है। ऐसे में जब मनी फ्लो कम होगा तो डिमांड कम हो जाएगी। इसके विपरीत जब इकोनॉमी में डिमांड बढ़ती है तब रेपो रेट को कम कर दिया जाता है। इससे मनी फ्लो बढ़ जाता है।