रामपुर: आलोक मौर्य से जुदा नहीं अध्यापक शिव सिंह की कहानी

बेवफा पत्नी उधर भी और इधर भी

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Rampur

Rampur: बरेली की पीसीएस अधिकारी ज्योति मौर्य और उनके पति आलोक मौर्य के बीच में होमगार्ड कमांडेंट मनीष दुबे की कहानी तो मीडिया की सुर्खियां बनी हुई ही है इन सबके बीच रामपुर जनपद (Rampur) में शारीरिक रूप से अक्षम प्राइवेट अध्यापक शिव सिंह का प्रकरण भी कुछ इसी तरह ही प्रदर्शित हो रहा है। हुआ यूँ कि अध्यापक शिव सिंह ने अपनी पत्नी को पढ़ा लिखा कर स्वास्थ्य विभाग में आशा बहू की नौकरी लगवा दी। अब आरोप है कि पत्नी ने नौकरी मिलने के बाद उसके साथ दगाबाजी करते हुए ना सिर्फ अपने प्रेमी के साथ ढाई साल पहले शादी कर ली बल्कि अपनी 3 साल की बच्ची सहित पति और दो पुत्रों को भी ठुकरा दिया है। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला….

जनपद रामपुर (Rampur) के कैमरी थाना अंतर्गत ग्राम गंगापुर के रहने वाले शिव सिंह शारीरिक रूप से अक्षम है और वह अपना निजी स्कूल चलाते हैं। जहां पर वह अध्यापन कार्य भी करते हैं। उन्होंने 18 साल पहले मूल रूप से बिहार की रहने वाली निशा देवी से शादी कर ली थी। वैवाहिक जीवन के दौरान दोनों ही पति पत्नी से दो बेटे और एक बेटी पैदा हुई, जिनमें से सबसे बड़े बेटे सनी की आयु इस समय 16 वर्ष है, उससे छोटे बेटे सूरज की 14 और बेटी की मात्र 6 साल है। शिव सिंह ने अपनी पढ़ाई लिखाई पूरी होने के दौरान कुछ सपने जरूर देखे थे, जिसका उद्देश्य वह स्वयं पूरा करने के बजाए अपनी पत्नी निशा देवी को आगे बढ़ा कर पूरा करना चाहता था। दिव्यांग पति ने बड़ी मुश्किल से जैसे तेसे करके अपनी पत्नी को पढ़ाया लिखाया, पहले आठवी, फिर हाईस्कूल और उसके बाद इंटरमीडिएट तक की तालीम दिलवाई । जब पत्नी की पढ़ाई पूरी हो गई तो उसे जुगाड़ लगा कर गांव में ही आशा के पद पर नियुक्त करवा दिया।

आरोप है कि निशा देवी ने आशा बनने के बाद कई वर्ष तक उसके और बच्चों के साथ जिंदगी ठीक-ठाक गुजारी लेकिन इस बीच पति पत्नी के बीच में वह की एंट्री हुई और जिसका परिणाम यह हुआ कि ढाई साल पहले वह अपने प्रेमी के साथ रफूचक्कर हो गई। पति अपनी पत्नी और बच्चे अपनी मां को वापस पाने के लिए तरस रहे हैं लेकिन अब तक परिवार की खुशियां बिखरी हुई हैं और निशा देवी पढ़ लिख कर कामयाबी की बुलंदी पर पहुंचने के बाद किसी और के घर की शोभा बनी हुई है।

अध्यापक शिव सिंह शारीरिक रूप से अक्षम है लेकिन फिर भी अपने बच्चों को पिता का पूरा प्यार देने का हर जतन करते नजर आते हैं। उनके निजी स्कूल में मौजूद दीवारों पर पढ़ाई लिखाई से संबंधित कई तरह के स्लोगन लिखे हुए हैं लेकिन पत्नी की बेवफाई ठीक दीवारों पर लिखे स्लोगन से उलट है। शिव सिंह अपने परिवार के बिखरने का कारण पत्नी को उनके द्वारा पढ़ा लिखा कर नौकरी पर लगवाने को मानते हैं। सरकारी दस्तावेजों यानी आधार कार्ड और जमीन की खाता खतौनी में भी उनका नाम निशा देवी के पति के रूप में दर्ज है लेकिन बेवफा पत्नी अब पति और बच्चों को त्याग कर अपनी सरकारी नौकरी के घमंड में किसी गैर मर्द की हो चुकी है।

पीड़ित शिव सिंह,निशा देवी और रामचंद्र की कहानी आलोक मौर्य, पीसीएस अधिकारी ज्योति मौर्या और मनीष दुबे की तरह ही नजर आती है। दोनों की ही इस अजीब कहानी में पति-पत्नी के बीच में वह के दखल ने कोहराम मचा रखा है। उधर आलोक मौर्य अपने बच्चों की वजह से अपनी पत्नी ज्योति मौर्या की कथित बेवफाई को भुलाने के लिए तैयार है तो इधर भी कुछ इसी तरह अध्यापक शिव सिंह बच्चों की वजह से ही अपनी पत्नी निशा देवी की कथित करतूत को भूल जाने के लिए तैयार हैं।