रामपुर: पर्यावरण का खतरा है साठा धान, प्रशासन हुआ सख्त

किसानों के द्वारा साठा धान की फसल लगाए जाने को लेकर तैयार की जा रही पौध पर प्रशासन ने अपना कड़ा रुख तैयार कर लिया है।

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उत्तर प्रदेश का रामपुर तराई बेल्ट होने के चलते काफी उपजाऊ क्षेत्र माना जाता है लेकिन इन दिनों कुछ किसानों के द्वारा साठा धान की फसल लगाए जाने को लेकर तैयार की जा रही पौध पर प्रशासन ने अपना कड़ा रुख तैयार कर लिया है। साठा धान की फसल को पर्यावरण के लिए खतरा मानते हुए इस पर पूरी तरह से जनपद में रोक लगा दी गई है ।

जनपद रामपुर कृषि व्यवसाय के लिए एक बेहतर क्षेत्र है इसकी बिलासपुर तहसील इलाके को उपजाऊ जमीन होने के चलते मिनी पंजाब के नाम से भी पहचाना जाता है। वर्तमान समय में कुछ किसान चोरी छिपे साठा धान की फसल लगाने में लगे है, जिसके लिए बाकायदा उनकी तरफ से इसकी पौध भी तैयार कर ली गई है। जबकि जिला प्रशासन की ओर से आगामी दुष्परिणाम को भांपते हुए इसको लगाने को लेकर पूरी तरह से पाबंदी भी लगाई जा चुकी है।

गौरतलब है कि बिना मौसम के दो माह में तैयार होने वाली धान की फसल को साठा धान कहा जाता है, यह फसल प्राकृतिक के साथ खिलवाड़ है जिसके दूरगामी दुष्परिणाम को देखते हुए हरियाणा और पंजाब प्रदेशों में वहां की सरकारों के द्वारा भी पूरी तरह से पाबंदी लगाई जा चुकी है। कृषि वैज्ञानिकों का आधार है कि साठा धान पूरी तरह से भूगर्भ में मौजूद जल को सुख लेता है जिसके चलते आसपास के इलाकों का जलस्तर काफी घट जाता है।

इस धान की फसल से भविष्य के जल स्तर का संकट काफी विकराल रूप में गहराने लगेगा। इसी के मध्य नजर जिला प्रशासन की ओर से इसकी बुवाई को लेकर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई है और उनके विरुद्ध कठोर कानूनी कार्रवाई का खाका भी तैयार किया जा रहा है। जहां इसकी फसल लगाने को लेकर एसडीएम बिलासपुर हिमांशु उपाध्याय ने अपने स्तर से की जाने वाली कार्यवाही की मंशा को जाहिर किया है, तो वही जिला कृषि अधिकारी नरेंद्र पाल सिंह ने भी इससे होने वाले प्राकृतिक नुकसान के बारे में बताया है।