Rampur: भूखे को रोटी प्यासे को पानी और बिछड़े हुए को उसके अपनो से मिलाने के कार्यों से बड़ा पुण्य का काम कोई और नहीं हो सकता है। जी हां हम बात कर रहे हैं एक ऐसे कैदी की जिसकी सजा तो पूरी हो चुकी थी लेकिन सजा के साथ लगाए गए जुर्माने की अदायगी उसके बस की बात नहीं थी। फिर सबके बीच इस धरती की सबसे बुरी जगह माने जाने वाली जेल के प्रशासनिक अधिकारियों ने कुछ समाजसेवियों की मदद से पहले तो अदालत में उसके जुर्माने की भारी-भरकम रकम का भुगतान किया और फिर बायोवृद्ध कैदी को उसके लापता परिजनों को बड़ी मशक्कत के बाद ढूंढ कर उनसे मिलवाया। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला?
रामपुर (Rampur) की जिला जेल में 83 वर्षीय वृद्ध कैदी रमजानी का एक ऐसा मामला सामने आया जिसने यह साबित कर दिया कि जेल अधीक्षक प्रशांत मौर्य, जेलर कुश कुमार और डिप्टी जेलर विनय प्रताप सिंह सहित 4 समाजसेवी उसकी रिहाई के लिए मसीहा बनकर सामने आए। दरअसल कैदी रमजानी मुजफ्फरनगर जनपद का रहने वाला था और वह एक मामले में वर्ष 2007 से अदालती फरमान के बाद अपने गुनाह की सजा जिला जेल में भुगत रहा था। उम्र के अंतिम पड़ाव पर पहुंचने के पर उसके गुनाह की सजा पूरी हुई और उससे 24 हजार रुपए का जुर्माना वसूलने के बाद रिहाई का फरमान आया। वर्ष 2016 से उसके परिजनों का कोई अता-पता न था जिस कारण उसके द्वारा उस पर लगाए गए जुर्माने की रकम को अदा करने की शर्त को पूरा करना उसके लिए असंभव था। ऐसी स्थिति में जेल प्रशासन के लिए उसकी रिहाई एक चुनौती बन चुकी थी एक तरफ तो जुर्माने की रकम काफी थी तो वहीं दूसरी तरफ कह दी के परिजनों को ढूंढ पाना उससे भी ज्यादा मुश्किल था।

रामपुर (Rampur) के जेल अधीक्षक प्रशांत मौर्य ने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए बूढ़े कैदी रमजानी के रिहा होने के लिए जुर्माने की रकम अदायगी को लेकर दो निजी संस्थाओं के 4 समाजसेवियों से संपर्क साधा और मदद की पेशकश की। इसके बाद समाजसेवियों ने आपसी सहयोग से कैदी पर लगाए गए जुर्माने की 24 हजार की रकम को नियमानुसार जमा करवाया और उसकी रिहाई का रास्ता कुछ हद तक खोल दिया। कैदी की रिहाई को लेकर जेल अधीक्षक प्रशांत मौर्य के प्रयासों को जमीनी स्तर तक पहुंचने के लिए जेलर कुश कुमार और डिप्टी जेलर विनय प्रताप सिंह ने भी एड़ी से लेकर चोटी तक का जोर लगा डाला किंतु अब चुनौती और भी ज्यादा बढ़ चुकी थी। कैदी रमजानी के परिजनों का अता पता ना था जिसको लेकर जेल प्रशासन की ओर से मुजफ्फरनग,र गाजियाबाद और हापुड़ के स्थानीय पुलिस प्रशासन से सहयोग मांगा गया। यही नहीं उपरोक्त तीनों ही जनपदों के न्यायिक अधिकारियों ने भी जेल प्रशासन के इस इंसानियत भरे कदम को अपना मार्गदर्शन दिया।
जेल अधीक्षक प्रशांत मौर्य की लगन के बाद आखिरकार वृद्ध कैदी रमजानी के परिजनों से संपर्क साध लिया गया। जिसका परिणाम यह हुआ कि रात्रि के समय नियम अनुसार कैदी की रिहाई हुई और उन्हें सकुशल उनके परिजनों को सौंप दिया गया। जिला अधीक्षक के अलावा जेलर कुश कुमार, डिप्टी जेलर विनय प्रताप सिंह, उत्तर प्रदेश अपराध निरोधक समिति के समाजसेवी डॉक्टर उमेश शर्मा, जीके पाठक, गजाली खान एवं रईस रामपुरी कल्याण संस्थान के शरीफ खान के इस इंसानियत भरे कार्य की जमकर प्रशंसा की जा रही है।