Rahul Gandhi ने लोकतंत्र में बिखराव की आशंका जाहिर की

राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कहा कि, अगर भारत के लोकतंत्र में बिखराव होता है तो इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा।

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भारत के लोकतंत्र को अक्सर खतरे में बताने वाले कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने अमेरिका में भी वही राग अलापा है। उन्होंने देश के लोकतंत्र में बिखराव की आशंका जाहिर की है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कहा कि, अगर भारत के लोकतंत्र में बिखराव होता है तो इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा, क्योंकि इससे पूरी दुनिया का लोकहित जुड़ा है। इसलिए और यदि उसमें बिखराव होता है तो इसका असर पूरे विश्व पर पड़ेगा और यह अमेरिका के भी हित में नहीं है। हालांकि लोकतंत्र देश का आंतरिक मामला है।

राहुल गाँधी ने यहां बृहस्पतिवार को ‘नेशनल प्रेस क्लब’ में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “भारत में लोकतंत्र के लिए लड़ाई लड़ना हमारा काम है और यह एक ऐसी चीज है, जिसे हम समझते हैं, जिसे हम स्वीकार करते हैं और हम ऐसा कर रहे हैं।” राहुल गांधी ने कहा, “लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि भारतीय लोकतंत्र पूरी दुनिया की भलाई के लिए है। भारत इतना बड़ा है कि यदि भारत के लोकतंत्र में बिखराव पैदा होता है तो इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा। इसलिए यह आपको सोचना है कि भारतीय लोकतंत्र को आपको कितना महत्व देना है, लेकिन हमारे लिए यह एक आंतरिक मामला है और हम इस लड़ाई को लड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं और हम जीतेंगे।”

राहुल गाँधी (Rahul Gandhi) ने जाने-माने भारतीय अमेरिकी फ्रैंक इस्लाम द्वारा उनके स्वागत में आयोजित एक समारोह के दौरान भी लोकतंत्र संबंधी सवालों पर इसी प्रकार का जवाब दिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि, भारत और अमेरिका के संबंधों को विस्तार देने की आवश्यकता है और ये केवल रक्षा संबंधों तक ही सीमित नहीं होने चाहिए। यदि दोनों देश साथ आ जाते हैं तो वे बहुत बड़ी ताकत बन सकते हैं। राहुल गाँधी ने कहा, “भारत को अपने हितों के अनुसार काम करना होगा और यही (सोच) हमारा मार्गदर्शन करेगी। इसलिए मैं उस निरंकुश सोच को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं हूं, जिसे बढ़ावा दिया जा रहा है।”

राहुल गाँधी ने आगे कहा कि, “मेरा मानना है कि ग्रह पर लोकतंत्र की रक्षा करना बहुत जरूरी है। इसमें भारत की भूमिका है। निश्चित रूप से चीजों को लेकर भारत का अपना नजरिया है और मुझे लगता है कि उस नजरिए को पटल पर रखा जाना चाहिए, लेकिन मुझे नहीं लगता कि किसी को इन बातों को चीजों का केंद्र समझना चाहिए। मुझे लगता है कि ऐसा करना अहंकार होगा।”

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